मंथन-मंथन-मंथन की पुकार चारों ओर
आपसी प्रेम का मंथन से लौटकर ऐसा लग रहा है कि अपनों से मिलकर मन नहीं भरा, वो पल आँखों के आगे ही हैं, लगता है मंथन कम से कम दो दिन का होता और हम एक दूसरे से और मिल पाते। जब भी मंथन होगा, जहाँ भी होगा, मैं जरूर शामिल होऊँगी। बिंदु कुमारी/नवी मुंबई Bindu Kumari/Navi Mumbai जिधर...