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अमेरिका में कहीं भी धूल का नामोनिशान नहीं Abroad World 

अमेरिका में कहीं भी धूल का नामोनिशान नहीं

अमेरिका यात्रा संस्मरण-3

अमेरिका में लोगों का स्वच्छ व्यवहार सबों के लिए प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय है। कहीं भी सड़क पर, बाजार में, पार्क में, बस पड़ाव ,पेट्रोल पंप या रेलवे स्टेशन पर न तो कागज का एक टुकड़ा, पेड़ के फूल-पत्ते, गोबर, कुत्ते, सूअर, घोड़े या किसी अन्य जानवर का मल, बजबजाते हुए नाले का गंदा पानी दृष्टिगोचर नहीं होगा।

रामसुंदर द्सौंधी/शैंपेन शहर, इलोनाइस राज्य, USA

अमेरिका में लोगों का सफाई के प्रति जिम्मेदारी वाला व्यवहार दुनिया के हर कोने के लिए प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय है। कहीं भी सड़क पर, बाजार में, पार्क में, बस पड़ाव ,पेट्रोल पंप या रेलवे स्टेशन पर न तो कागज का एक भी टुकड़ा, पेड़ के पत्ते, गिरा हुआ फूल, गोबर, कुत्ते, सूअर, घोड़े या किसी अन्य जानवर का मल, बजबजाते हुए नाले का गंदा पानी दृष्टिगोचर नहीं होगा। न ही कहीं पान खाकर थूकने का चिन्ह या मनुष्य या जानवर का पेशाब ही नजर आता है। कहीं भी धूल कण का नामोनिशान नहीं। हर जगह पूर्ण स्वच्छता और हरे-हरे तरीक़े से छंटाई किए गए घास के मनोहारी दृश्य दिखाई पड़ते हैं।
ऐसा नहीं है कि समस्याएं वहाँ नहीं है। बल्कि यहाँ तरह की समस्याओं के लिए समुचित व्यवस्था है। जानवरों के लिए अलग-अलग फार्म हैं। दूध के लिए डेयरी फार्म, घोड़े के लिए स्टड फार्म, बकरियों के लिए गोट फार्म, सूअर के लिए पिग फार्म एवं मुर्गों के लिए अलग फार्म की व्यवस्था है। फलस्वरूप आवारा पशु सड़कों पर मटरगश्ती करते ,फसलों को नुकसान पहुंचाते और सड़कों पर मल मुत्र बिखेरते नहीं दिखते हैं। जगह-जगह दुकानों, पेट्रोल पंपों, सड़कों से कुछ दूरी पर रेस्ट रूम की व्यवस्था है, जिसमें आम आदमी/यात्रीगण अपने प्राकृतिक जरूरतों को पूरा करते हैं। कोई भी व्यक्ति यत्र-तत्र कूड़ा कचड़ा नहीं फेंकतें हैं बल्कि कचड़ा पेटी में ही फेंकते हैं।यदि भूलवश किसी से किसी सार्वजनिक जगह पर कचड़ा गिर जाता है तो उसके पीछे आ रहा अन्य व्यक्ति उसे उठाकर कचड़ा पेटी में डाल देता है।
यहां के लोगों का शौक है कुत्ता पालना। कुत्ते को टहलाने के लिए जब उसके पालक उसे लेकर सड़क या पाथ वे पर निकलते हैं तो कुत्ते की गरदन को लोहे के चेन से बांधा हुआ होता है। एक हाथ में चेन का दूसरा सिरा और दूसरे हाथ मे एक प्लास्टिक बैग या वेस्ट कैन रहता है। जैसे ही उनका पालतू कुत्ता जमीन पर मल त्याग करता है, तुरत उसे दूसरे हाथ मे रखे गये प्लास्टिक बैग या वेस्ट कैन में उसे उठा लेंते हैं और उसे लेकर या तो अपने घर के कचड़ा बिन में डालते हैं या यदि पार्क में हों तो वहां पर विशेष रूप से बने Dog Waste Station में रख देते हैं जहां से टीम विशेष उसे उठाकर ले जाती है।
सड़कों पर झाड़ू लगाने एवं सड़कों पर उगे/लटके फालतू घास की छंटाई के लिए विशेष रूप से उपकरणों से सुसज्जित वाहनों से दो-तीन दिनों के अन्तराल पर सड़कों पर झाड़ू लगाया जाता है और सड़कों के किनारे उगे हुए /लटके हुए घास की छंटाई कर फालतू घास और बुहारन को अपने वाहन में ही बने थैले में रखकर लेते जाते हैं।
घरों कचडो़ं के निष्पादन के लिए घर के हर कमरे एवं रसोई घर में छोटे-छोटे कचड़ा पेटी रखे रहते हैं और गराज में सड़ने वाले और नहीं सड़ने वाले दो बड़े -बड़े बिन रखे हुए होते हैं जिन पर कब्जा से झूलता हुआ ढक्कन लगा रहता है।
हर दिन घर के कमरों में रखे हुए कचड़ा पेटी से कचड़ा निकाल कर गराज में रखे हुए बड़े-बड़े कचड़ा बिन में डाल दिया जाता है। सप्ताह के किसी निश्चित दिन को इन दोनों बिन को निकाल कर अपने परिसर में ही सड़क किनारे मेल बाक्स के समीप रख देते हैं। कुछ ही देर में कम्पनी विशेष के दो बड़े-बड़े वाहनों को लेकर उनके चालक आते हैं। एक वाहन में सड़ने वाले कचड़े जमा किये जाते हैं और दूसरे वाहन में नहीं सड़ने वाले कचड़े ।वाहनों के चालक अपनी सीट पर बैठे-बैठे यंत्रों का संचालन करते हुए सड़क किनारे रखे गए बिन को चारों तरफ से यंत्र से पकड़ कर अपने वाहन के अन्दर उलट कर बिन को खाली कर पुनः बिन को सडक़ किनारे रखकर आगे बढ़ जाते हैं। फिर पीछे वाले वाहन चालक उपर्युक्त रीति से ही दूसरे बिन को खाली करते हुए आगे बढ़ जाते हैं।इसका विडिओ भी इस पोस्ट के साथ दिया जा रहा है।
यह आवश्यक नहीं है कि बगल के मकान वाले भी उसी एजेंसी से कचड़ा उठवाएं। उनका अलग एजेंसी और अलग दिन हो सकता है। कचड़ा उठाने के लिए हर घर को करीब 60डालर (4,000रुपये) का बिल हर तीन महीने पर डाक से घर में आता है जिसका भुगतान करना होता है।
जल निकासी (drainage) की व्यवस्था तो पहले से ही किया हुआ रहता है। पार्कों में, दुकानों में एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी इसी तरह की व्यवस्था रहती है। फलस्वरूप सब जगह स्वच्छता दिखाई पड़ती है। यह स्वच्छ व्यवहार हर देश के लिए अनुकरणीय है।
Comments ov Facebook comments:
Basant Rai: अनेक सीरीज में प्रस्तुत अमेरिकी रिवाजों के सजीव चित्रण, जिससे आम लोगों को जानकारी प्राप्त हो रही है, इस नेक कार्य(ज्ञान बर्धक) के लिए आपको धन्यवाद।
 
Sonu Kumar Rai बहुत बढिया जानकरी के लिये धन्यवाद
Deorath Kumar इतना सजीव चित्रण की मानो हम भी अमरीका में हैं, हर कड़ी के बाद अगली कड़ी का इंतजार रहता है
 
Roy Tapan Bharati विस्तार से हर बात का जिक्र, लेखन इसी को कहते हैं। इतनी सफाई जिस देश में हो वह तो स्वर्ग कहलाएगा। अमेरिका से हम भारतीयों को सीखने की जरूरत है।
 
Ray Rahul Kumar बड़ी बातों का जिक्र होना एक सामान्य सी बात है पर जितनी सूक्ष्मता और बारीकी से आपने सतही बातें लिखी है, निःसन्देह लाजबाब है. अमरीकी जन जीवन से रूबरू हो कर हम बहुत कुछ सिख सकते है.
 
Abhishek Kumar आपकी यात्रा से हमे वहाँ की बेहतरीन जानकारी मिल रही है।
 
Amita Sharma हमारे ब्रह्मभट्टवर्ल्ड के महापुरुष🙏🙏इतने अच्छे तरीके से आज तक किसी किताब में भी नही समझाया गया था।शुक्रिया हम सभी को अमेरिका दर्शन करने के लिए।अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।
 
Bipin Maharaj प्रणाम! आपकी यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है हम लगातार आपका पोस्ट पढ़ते आ रहें हैं काफी रोचक और अनुकरनीय है ईससे मेरे समेत काफी लोगों को फायदा पहुँच रहा है। आपका मेहनत सराहनीय है।
Rakesh Sharma प्रणाम।विकसित देशों का यही प्रमाण है।
 
Mukund Bhatt भारत से 6 गुणा कम अमेरिका की जनसंख्या भी तो है।
 
Amar Nath Sharma किसी भी स्थान की स्वच्छता वहाँ के रहने वाले लोगों के व्यवस्थित एवं अनुशासित जीवन शैली पर निर्भर करता है ।जिसका प्रमाण आपके वर्णन से प्राप्त हो रहा हैं।यह एक प्रेरणादायक लेख भी है जिससे प्रेरित होकर हम भी अनुशासित एवं व्यवस्थित जीवन शैली अपना कर अपने आस पास और देश को स्वच्छ एवं सुंदर बना सकते हैं।विस्तृत जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार।
 
Sangita Roy आप अपना आखों देखा हाल लिख रहे है और हमें भी लग रहा है हम अपने आंखों से देख रहे है।वहां के नागरिकों में Civic sence है इसलिये वह देश विकसित है। किसी भी देश के प्रगतिशील होने में नागरिकों का बहुत बड़ा योगदान होता है।
 
Parmanand Choudhary हमारे बड़े भाई रामकृष्ण चौधरी के दो लड़के विनोद और प्रमोद तथा लड़की मीरा लगभग बीस साल से अमेरिका में बसे हुए हैं। वे लोग अमेरिका की तारीफ तो करते हैं लेकिन अमेरिका की सजीव चित्रण आपने बड़ै रोचक ढंग से किया है, मानो चलचित्र देख रहे हैं।
 
Pankaj Kumar Sharma 🙏प्रणाम फूफाजी🙏
मुख्यपुस्तिका पर आपका चौथा संस्करण भी बहुत बढ़िया है ! मैंने अपनी पत्नी आरती शर्मा को भी आपकी चारों कहानियां पढ़ाई हैं ! सरल भाषा में आपने संपूर्ण विश्लेषण किया है ! मतलब आपके आलेख ने “गागर में सागर” भर दिया है !
 
Vinita Sharma अमरीका विकसित देश है ।यहां हर चीज नियमावली से चलता है । लोग इसका पालन करते हैं ।सबसे बड़ी बात है कि को भारतीय वहां जाते हैं वे भी उस नियम का पालन करते हैं किन्तु अपने देश में आकर सारा भूल कर यत्र तत्र कूड़ा बिखेरने लगते हैं ।कुत्ते को कहीं भी मल करा देंगे ।इं देशों की विकास की चीज़ों पर हम सब को अमल करना चाहिए ।बहुत अच्छी जानकारी

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