जीवन की खुशियों में केवल धन? नहीं-नहीं !
प्रेम की पूर्णता तो इसमें है कि एक दिन चौक की चापलूसी छोड़कर समय से 1 घण्टा पहले घर पहुँचते ही दरवाजे पर खड़ी माँ की आखों ने झांकते हुए हाथ पकड़कर यह कहना कि माँ तुम्हारी आँखे लाल और शरीर गरम, क्या बात है बहू के साथ चाय नहीं हुयी क्या? आलोक शर्मा, महाराजगंज (यूपी) प्रसन्नता यदि इंसान का...