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मंथन : उनकी बातों में दम था, इरादे चट्टानों जैसे मजबूत थे Bihar Events India 

मंथन : उनकी बातों में दम था, इरादे चट्टानों जैसे मजबूत थे

मेरी पत्नी पूजा पांडे जो कि अपनी निजी संस्थान ‘द प्लस एजुकेशन, सहरसा’ की डायरेक्टर हैं, ने भी काफी लोगों से मिलीं क्योंकि उनके लिए वहाँ कई ऐसे स्वजन थे जिनसे उन्हें फेसबुक के अतिरिक्त फोन पर भी बातें हुआ करती थी | वास्तव में ये कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि फेसबुक से मिलने के बाद जब हम सामने मिले तो कोई अपरिचित नहीं लग रहे थे |

त्रिपुरारी राय/सहरसा

… और कांरवा बढ़ता गया, बढ़ता गया ….. | एक दिन वो भी आया जब संख्या 7400 के पार चला गया | लेकिन इस आंकड़े को छूने से पूर्व ही ब्रह्मभट्टवर्ल्ड परिवार में Tr-2एक उथल-पुथल शुरू हो गई थी | लोग एक दुसरे से मिलने को उत्सुक होने लगे | फिर कार्य-योजना बनी और नाम रखा गया “मंथन’ | किसी को नहीं पता था कि इसकी परिणति क्या होगी | दिन, महीना और स्थान तय किया गया | लोग तरह-तरह के कह-कहे लगा रहे थे | भविष्यवाणियां की जा रही थी | लोग अंदेशा में थे | किन्तु कोई दुष्प्रभाव न हो इसके लिए पूर्व तैयारियां की जाने लगी | जैसे किसी तूफ़ान या पूर्व प्राकृतिक आपदा से पहले टीम गठित की जाती है उसी तरह एक टीम भी बनी, जिसमें ये हमेशा से कहा गया की कुछ ऐसा व्यवहार या अकर्णप्रिय शब्दों का प्रयोग न हो जिससे लोगों को बुरा लगे | टीम ने बखूबी अपने कर्तव्यों को निभाया भी |

और वो दिन भी आ गया, 18 दिसंबर-2016 …क ऐतिहासिक दिन…जब हमलोग सभी एक मंच पर ‘होटल वाटिका प्रीमियर’ के प्रांगण में मिले |  कार्यक्रम की शुरुआत सुबह के अल्पाहार के बाद स्वागतगान से हुआ जिसमें आरा के महावीर प्रसाद भट्ट ने अपने दिल के सारे उदगार को संगीतबद्ध कर दिए | फिर परिचय का दौर चला | लोगों ने अपना परिचय काफी बढ-चढ कर दिया | यद्यपि काफी संक्षेप में परिचय देना था फिर भी लोगों ने परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बहु, पोते–पोतियाँ, नाती-नातिन, दामाद तक को सम्मिलित करते हुए उनके वर्तमान ठिकाने यथा यु.एस., कनाडा, जर्मनी, जापान आदि तक को नहीं छोड़ा | परिचय सत्र मनोरंजक भी रहा | भरथुआ से आये उमानाथ राय यहाँ तक बोल गए कि जैसे भारत की राजधानी दिल्ली है, बिहार की राजधानी पटना है उसी तरह मैं ब्रह्मभट्ट की राजधानी भरथुआ से आया हूँ | काफी हंसी छूटी, लोग इस परिचय से गद-गद हो गए |

एक स्वजन ने बड़े ही सूर्यवंशी अंदाज में ईमानदारीपूर्वक कहा कि मैंने आज तक अपने समाज के किसी व्यक्ति को मदद नहीं की, जबतक मैं किसी की मदद न कर लूँ, मैं अपना परिचय नहीं दूंगा | लेकिन ये कह कर वे अपना परिचय इस तरह दिए कि लोग उन्हें खोज-खोज कर परिचय पूछते दिखे | मेरी पत्नी पूजा पांडे जो कि अपनी निजी संस्थान ‘द प्लस एजुकेशन, सहरसा’ की डायरेक्टर हैं, ने भी काफी लोगों से मिलीं क्योंकि उनके लिए वहाँ कई ऐसे स्वजन थे जिनसे उन्हें फेसबुक के अतिरिक्त फोन पर भी बातें हुआ करती थी | वास्तव में ये कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि फेसबुक से मिलने के बाद जब हम सामने मिले तो कोई अपरिचित नहीं लग रहे थे | इसके बाद लोगों को एक दुसरे से मिलने-जुलने को कहा गया |

आधे घंटे में लोगों को अपने-अपने स्थान बदल कर अन्य नए लोगों से मिलने की बात की गई | लोगों में एक-दुसरे से मिलने की, उन्हें जानने की इच्छा प्रबल हो गई | काफी खुशनुमा माहौल था | मंच से उद्घोषणा हुई कि सभी कोई अपनी-अपनी पत्नी, साली, पति, देवर आदि अपने रिश्तेदारों को छोड़ कर अन्य नए लोगों से मिलें | पीछे बैठे कुछ लोगों ने दबी जुबान में चुटकी भी ली कि यदि हम अपनी बीबी को छोड़ कर दूसरी की बीबी से परिचय करेंगे तो घर में श्रीमती जी से दो-दो हाथ करने पर सकते हैं और गृहयुद्ध की संभावना बन सकती है | बहरहाल, इस सत्र में लोगों खासकर महिलायें काफी उत्साहपूर्वक नए-नए लोगों से मिलीं | सबसे अच्छा स्वामी रामशंकर से मिलना भी लगा जिन्होंने बड़े ही भक्ति भाव से अपने स्वजनों से मिले | उनके मिलनसार स्वभाव सभी के दिलों में एक अमिट स्थान बना गया |
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अब समय आ गया कार्यक्रम की मुख्य विषय-वास्तु की जिसमे ब्रह्मभट्टवर्ल्ड के स्थापना काल से लेकर अब तक के सफ़र की चर्चा की गई | ब्रह्मभट्टवर्ल्ड के संस्थापक राय तपन भारती ने इस पर विस्तार से चर्चा की | उन्होंने अपने सफ़र के अडिग साथियों – एडमिन ग्रुप के सदस्यों की भी भूरी-भूरी प्रशंसा की | उन्होंने कहा कि ये सफ़र अकेला चलना संभव नही था जब तक कि अन्य साथी जैसे- ज्ञानज्योति जी, अजित नयन, अजित अकेला, अर्चना राय, प्रियंका राय, देवब्रत राय, धर्मेन्द्र कुमार, हरिओम राय, एल. पी. राय, महावीर भट्ट, मनन गौस्वामी, मित्रवासु शर्मा, रंजन कुमार, राजीव रंजन शर्मा, उषा शर्मा इत्यादि नहीं होते | तपन जी ने सबों का तहे दिल से आभार व्यक्त किया | 

मंथन की विषय-वस्तु पर भी जम कर चर्चा की गई | लोगों ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों ख़ास कर आर्थिक रूप से कमजोर मेघावी छात्रों को मदद की पेशकश की | काफी लोगों के हाथ इस ओर बढे | दहेजप्रथा की भी पुरजोर निंदा की गई | लोगों ने दहेज़ न लेने, न देने की बात कही | बहुत सारे स्नेहीजनों ने अपने बेटों की शादी दहेज़रहित करने की भी घोषणा की | अजित नयन ने तो बेरोजगार युबक-युवती के लिए नौकरी की भी पेशकश की | उन्होंने खुले मंच से प्रतिभावान बेरोजगार युवक को कम्पनियों में अच्छी नौकरी देने की बात कही |

अंतिम सत्र महिलाओं का था | महिलाओं ने बड़े ही स्वछंदतापूर्वक अपने विचारों को रखा | उनकी मुख्य ध्यानाकर्षण महिलाओं की स्वछंदता, महिलाओं की उत्पीडन, दहेजप्रथा, कामकाजी महिलाओं की समस्या आदि रही | महिला वक्ताओं में प्रमुख रूप से अंजना शर्मा, अमिता शर्मा, अर्चना राय भट्ट, भारती रंजन, पूनम ज्योति, प्रार्थना शर्मा , पुष्पा महराज, प्रियंका राय, सरिता शर्मा, सुमन राय, उषा शर्मा, उर्मिला भट्ट , विनीता शर्मा आदि शामिल थीं | सबों ने सभ्यतापूर्वक अपनी बातें को सभा कक्ष में रखा | उनकी ओजश्वी भाषनशैली ने श्रोताओं को कई बार तालियाँ बजाने को मजबूर करती रही | उनकी बातों में दम था ओर इरादे चट्टानों जैसी मजबूत दिखी | दरभंगा से आई श्रीमती भारती रंजन ने अपनी बातों को बड़े ही दृढ़तापूर्वक और पक्षपातरहित रखा |

हम अक्सर देखते हैं कि महिलाओं में एक भावना होती है कि वे अपने पिछड़ेपन के लिए पुरुषों को दोष देतीं हैं, किन्तु एक और सत्य ये भी है कि महिलाओं के शोषण के लिए पुरुषों से ज्यादा महिलायें ही दोषी होती हैं | इस बातों को उन्होंने ( भारती रंजन जी ) काफी दृढ़ता से रखा | वे बोलीं कि आज जब महिलाओं की शादियाँ होती है तब ससुराल में उसे स्वसुर, देवर या पति से उतनी असुविधा नहीं होती जितनी की सास या ननद से | उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि महिलायें खुद ही महिलाओं का शोषण करती हैं या दुसरे शब्दों में हम यूँ कहें कि महिलाओं के पिछड़ेपन में महिलायें भी कम दोषी नहीं होती | वे बड़े ही प्रतिरोधक शब्दों का इस्तेमाल करतीं हुई बोलीं कि हम अगर बाज़ार जाते है और हमें देखकर कोई हँसता है, या मजाक उड़ाता है, हम पर फब्तियां कसता है तो हम घर आ कर ये नहीं कहेंगे कि आज मेरे साथ क्या हुआ, मैं घर आ कर नहीं रोउंगी की मुझे आज ये सुनने को मिला, बल्कि उसका मुकाबला डट कर करुँगी | उनकी इस बातों ने पूरे सभा कक्ष को झाकझोर दिया | धन्य है उनकी सोच को ……|
एक महिला तो माइक पकड़ते ही शुरू हो गई जैसे आज उन्हें मौक़ा मिल गया है पुरुषों से पूरा हिसाब लेने का | उन्होंने ने पुरुषों की खूब खिंचाई की | उन्होंने अपनी बदहाली के लिए पुरुषों को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया | एक अन्य महिला ने ये कहा की उनकी माँ ने अपनी छः पुत्रियों को इस काबिल बनाया कि आज सभी आत्मनिर्भर हैं | मैं यहाँ उस माँ के जज्बे को एक बार तहे दिल से सलाम करूंगा लेकिन मैं ये भी जानना चाहूंगा की किन परिस्थियों में उन्हें छह बच्चे को जन्म देना पडा | निस्संदेह ये एक ‘पुत्र’ की चाह जरूर रही होगी | और ये चाह किसने पैदा की होगी ? या तो वे खुद अथवा उनकी सास | अब आप देख सकते है की दोनों ही स्थितियों में कर्ता महिला ही है | क्योंकि वे सोचतीं या बोलतीं होंगी की पुत्र ‘कुल’ का ‘चिराग’ होता है, उससे वंशावलियां चलती है | “अरे माता …. वंश तो बेटियों से ही चलती है | बेटे तो एक घर का वंश बढाता है मगर बेटियाँ दो – दो वंशों को आगे बढ़ा देती है” – इस बातों को कौन कहेगा ?
महिलायें अपने को पहचानो, अपनी शक्ति को जानो, आप खुद ही अपने को दर्जा दिला सकते हो | आप कदम बढाओ तो सही, मंजिल को पाओ तो सही |
अंत में हमलोग बिस्किट के साथ चाय की चुस्कियों में संगीत की दुनियाँ की ओर चल पड़े | अपने स्वजनों को स्टेज पर अठखेलियाँ लेते हुए गाते देखकर मन प्रफुल्लित हो गया | अजित कुमार अकेला जी के निर्देशन में चले इस कार्यक्रम का आगाज अपने स्वजाति और आद्यात्मिक गुरु स्वामी रामशंकर ने भजन से किया | अन्य गायकों में रांची से सत्यम राय, जमशेदपुर से नवीन कुमार राय, नवादा के संतोष कुमार, मधेपुरा के पुरैनी से निर्मल कुमार राय, पटना से पन्ना श्रीमाली, मुजफ्फरपुर से सरिता शर्मा, श्रेया राय आदि ने अपने गायन से समा बांध दिया | मैं भी एक गीत गाने का प्रयास किया “पल-पल दिल के पास तुम रहती हो…..”, जिसे उपस्थित लोगों ने काफी सराहा | नवादा से आये संतोष कुमार ने जब “चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा न कहना ……….”, गाए तो लोगों के आँखों में अनायास ही आंसू छूट गया | उपस्थित स्वजन काफी भावविभोर हो गए और फिर से मिलने के स्थान और दिन तय करने लगे | मंथन की सफलता का अंदाज भी इस बात से लगाया जा सकता है की लोगों में अगले मंथन के स्थानों को तय करने की होड़ लग गई | विभिन्न राज्यों से लोगों ने प्रस्ताव देने शुरू कर दिए | कई लोगों ने तो अपने खर्च पर पूरे मंथन को करवाने की बात कही | अभी पूर्णतः तो नहीं कहा जा सकता है किन्तु अगली मंथन बंगलौर में होने की बात तय हुई है, बस तारीख तय होना बांकी रह गया है |
मंथन में कई छोटे-बड़े बच्चे भी आये थे | उनकी योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपने माता-पिता को पूरे सत्र में कभी भी तंग नहीं किया | मेरे दोनों बच्चे समीक्षा भट्ट और सक्षम भट्ट ने भी हमें कभी शिकायत का मौका नहीं दिया | बच्चों को भी ये अहसास था की वे एक ऐतिहासिक सम्मलेन में आये हैं |
सबसे अंत में मंथन के यादों को कैमरे में ग्रुप फोटोग्राफी के द्वारा संजोया गया | ग्रुप एडमिन, आयोजकों के अलावे अन्य स्वजनों ने भी फोटोग्राफी में काफी दिलचस्पी ली | पूरे कार्यक्रम को दो विद्वान अग्रिप्लास्ट इंडिया बंगलौर की डायरेक्टर श्रीमती रंजना राय और मुंबई से आये इन्कमटेक्स अधिकारी देवरथ कुमार ने अपनी उद्घोषणा से बांधे रखा | महिला सत्र के कार्यक्रम की उद्घोषणा वरिष्ठ शिक्षिका विनीता शर्मा ने की जो समाज को काफी कुछ प्रेरणा दे गई | उसी तरह पूरे कार्यक्रम को फेसबुक पर लाइव टेलीकास्ट करने के लिए हमें गौश्वामी बंधू – मनन गौश्वामी और अभिषेक गौश्वामी को कोटि –कोटि धन्यवाद देना होगा क्योकि पूरे दिन खड़े होकर उन्होंने कैमरे के साथ खेलते हुए देश – विदेश में बसे स्वजनों को ‘मंथन पटना’ का जीवंत दर्शन करवा रहे थे | इस कार्य के लिए उन्हें ढेर साड़ी बधाईयाँ दी गई | लोगों ने फेसबुक कमेन्ट में लिखा भी कि वे मंथन में नहीं आ कर भी अपने को मंथन में सशरीर उपस्थित महसूस कर रहे हैं | मैं फिर से एक बार गौश्वामी बंधू का दिल से शुक्रगुजार हूँ |
कुल मिला कर मंथन का आयोजन एतिहासिक रूप से काफी सफल रहा | स्वजाति के सम्मेलन में अक्सर कहा-सुनी हो जाया करती है और कार्यक्रम असफल सा हो जाता है किन्तु उसी असफलता से अनुभव लेकर एक सफल आयोजन करने के लिए ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ग्रुप के सदस्यों और आयोजकों का हार्दिक अभिनन्दन है | इसकी जितनी प्रशंसा की जाय वो कम होगी | अंत में जय ब्रह्मभट्ट…. जय ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ग्रुप |
:- त्रिपुरारी राय, ग्रा.+पो. – नवहट्टा, जिला- सहरसा, बिहार | मो.- 8877318781

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