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राजा की शादी राजा से ही होती है Chattisgarh India 

राजा की शादी राजा से ही होती है

0 जाति का सबसे बड़ा आधार आर्थिक स्थिति कोई शुद्ध गरीब ब्राह्मण की लड़की कोई आईएएस अधिकारी अपने बेटे के लिए लेगा? आईएएस अधिकारी अपना संबंध आईएएस अधिकारी या उद्योगपति के यहां ही करेगा। अगर आप ध्यान से देखें तो राजवंशों ने भी अपनी शादियां राजवंशों में की हैं फिर चाहे आदिवासी राजाओं में क्यों न हो या मराठी और...
गंगा किनारे बसे देवमलपुर में सारी सुख-सुविधाएं Bihar India 

गंगा किनारे बसे देवमलपुर में सारी सुख-सुविधाएं

देवमलपुर (इंग्लिशपुर) गांव अब वीरान दिखता है। बहुत कम घरों में लोग दिखते हैं। अब तो पूरा गांव लगभग पलायन कर गया है। कुछ रोजगार के लिए कुछ उच्च और क्वालिटी वाली शिक्षा के कारण। गांव की मुख्य आमदनी नौकरी और कृषि-पशुपालन है। राजकिशोर/नई दिल्ली मेरा गांव देवमलपुर (इंग्लिशपुर,भोजपुर, आरा ,बिहार) है जो उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमा पर स्थित है। हमारे...
स्वादिष्ट गुड़ भी बनता है मेरे भट्टकुर गांव में Bihar India 

स्वादिष्ट गुड़ भी बनता है मेरे भट्टकुर गांव में

भट्टकुर गांव में कृषि व्यवस्था काफी सम्पन्न है। लगभग सभी फसलें, मसाले व सब्जियां उगाई जाती हैं। पर, मुख्यतः दलहन की उपज काफी समृद्ध है। यहाँ स्वादिष्ट गुड़ भी बनाया जाता है। प्रिंयका राय/ पटना परिन्दों की चहचहाहट…. चौपालों की बैठकें.. लहलहाती फसलें….मिट्टी की सौंधी खुशबू….ये सब दृश्य किसी भी गांव की आम पहचान हैं। अगर ये नजारे आपको आकर्षित...
अतिथि को देवता मानते हैं दुधमठिया गांव के लोग Bihar India 

अतिथि को देवता मानते हैं दुधमठिया गांव के लोग

बनारस के: मेरे पूर्वज कहते हैं कि हम बनारस के मूल निवासी हैं जहाँ से रघुनाथ बाबा जो बहुत बड़े कवि थे बेतिया राजा के दरबार में आये। उनकी कविता पर खुश होकर राजा ने उन्हें लगभग 651 बीघा जमीन दान में दे दिया। बाबा ने मठिया उर्फ़ भटवालिया गाँव को चुना और यहाँ रहने लगे। बाद में आवश्यकतानुसार हजाम धोबी अहीर सभी जाति...
बोकनारी गांव, जहां नौकरी वाले सबसे अधिक: संजीव Bihar India 

बोकनारी गांव, जहां नौकरी वाले सबसे अधिक: संजीव

हमारे गांव की कृषि वर्षा पर निर्भर है। गांव के लोगों में ज्यादा लोग नौकरी पेशा से जुड़े हुए हैं, जिस वजह से कृषि पे कम ध्यान देते है। पर, अगर कृषि होती है तो बहुत अच्छा होती है। लेखक: संजीव राय, पटना कहा जाता है कि हमारा देश भारत गांवों का देश है। मेरा गांव भी अपने देश के...
जिन्होंने जीवन पर्यन्त इंसानी रिश्ते को महत्व दिया Bihar India Jharkhand 

जिन्होंने जीवन पर्यन्त इंसानी रिश्ते को महत्व दिया

पिता स्व. शशिभूषण राय, पूर्व डीएसपी, बिहार: ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने जीवन पर्यन्त इंसानी रिश्ते को ही महत्व दिया। ऐसा व्यक्तित्व जिनको पिता, भाई, मामा, फूफा आदि जैसे पारिवारिक रिश्ता मात्र में बांधकर नही रखा जा सका। नवीन कुमार राय/जमशेदपुर आज वर्तमान विदेशी परंपरा के अनुसार फादर्स दिवस (16 June) है। वैसे माता-पिता के लिए एक विशेष दिवस हो, यह उचित...
प्रकृति की गोद में बसा मेरा यादवपुर हमेशा अपनी ओर खींचता है: आमोद India Jharkhand 

प्रकृति की गोद में बसा मेरा यादवपुर हमेशा अपनी ओर खींचता है: आमोद

धनबाद  शहर से सटा होने के कारण यादवपुर, गांव न होकर एक कस्बा जैसा प्रतीत होता है, जहाँ शहर का प्रभाव साफ झलकता है। यह प्रकृति की गोद में भी बसा हुआ है। इसके चारों तरफ जंगल और पहाड़ हैं। गांव के चारों तरफ प्राकृतिक नदियाँ हैं जो पूरी तरह से बारिश पर निर्भर करती हैं। लेखक: आमोद कुमार शर्मा/बोकारो स्टील...
आखिरकार सभी अपना उपनाम भट्ट क्यों रखें? Delhi India 

आखिरकार सभी अपना उपनाम भट्ट क्यों रखें?

कुछ लोग सरनेम बदल रहे हैं, कुछ नहीं कर रहे हैं…यह उनका अधिकार है कि वह कौन सा उपनाम रखें? हमें सामाजिक कुरीतियां ख्तम करने पर अधिक जोर देना चाहिए उसी से हम तरक्की भी कर सकेंगे न कि सरनेम से… राय तपन भारती/ New Delhi यह व्यवहारिक तौर पर संभव ही नहीं कि सभी लोग भट्ट सरनेम अपना लें,...
मौजूदा राजनीति में ब्राह्मण-भूमिहार कहां हैं ? Bihar India 

मौजूदा राजनीति में ब्राह्मण-भूमिहार कहां हैं ?

पूरे देश में महज 5 से 6 फीसदी ब्राह्मण-भूमिहार की आबादी राजनीति को नाथने का काम करती दिखती थी। लम्बे समय तक ऐसा होता दिखा। यह एक गलत परम्परा थी। किसी का वोट, राज किसी का। आखिर कब तक ऐसा चलता ? समय के चक्र में सब जमींदोज हो गए। अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली ब्राह्मणवाद पराभव की ओर है। जैसी...
जब नालंदा में दुनिया का पहला विश्वविद्यालय देखा Bihar India Jharkhand 

जब नालंदा में दुनिया का पहला विश्वविद्यालय देखा

प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय की गौरवशाली भूमि पर कदम रखते ही अत्यंत आनंद की अनुभूति हुई। प्रवेश द्वार से ही पर्यावरण की हरियाली चारों ओर इस विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों में भी जान डाल रही थी। अत्यंत सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में लाल ईंट पथरों से बना हुआ नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन दुनिया का संभवत: पहला विश्वविद्यालय था, जहां न सिर्फ देश...
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