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मेरे बड़का भैया ” स्व. सुदर्शन प्रसाद भट्ट” Bihar India Uncategorized 

मेरे बड़का भैया ” स्व. सुदर्शन प्रसाद भट्ट”

Dr AK Bhatt/Dy. Director Of Education, Delhi Govt.

सविनय नमस्कार। आज मुझे अपने बड़का भैया ( सुपुत्र पं. भैरवनाथ भट्ट एवं पौत्र पं. शंकर दयाल भट्ट / ग्राम गऊडाढ , जिला भोजपुर , बिहार / मूलगांव तिलौली , लार रोड जिला देवरिया ) की बरबस याद आ रही है। बड़का भैया यानी स्वर्गीय सुदर्शन प्रसाद भट्ट। हम छह भाई तथा तीन बहनों में सबसे बड़े।

बड़का भैया जिस सांचे में ढले थे वैसा आज कोई दिखता नहीं मुझे। लंबी कद काठी। प्रशस्त ललाट। तेजोदीप्त आंखें। गर्व के साथ चलने का राजसी अंदाज। गलत को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त ना करना। राह चलते के लिए भी सहयोग के लिए तत्पर। किसी लाचार, गरीब और बेबस के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर। मेरा परिवार आगे बढ़े, सुखी रहे- इसके लिए हर संभव कोशिश। मेरा वृहद परिवार संयुक्त रहे / सुखी रहें /सम्मानित रहे …इसके लिए हर संभव प्रयास ।

गजब का अतिथि सत्कार। नातेदारी/ रिश्तेदारी निभाने के लिए हमेशा आतुर। सारे भाई-बहन पढ़ लिख लें.. आगे बढ़े..सुखी रहें-इसके लिए जी जान से समर्पित। गांव-जवार का कोई व्यक्ति मिल जाए तो उसे हर हालत में घर ले आना, उसकी सेवा सुश्रुषा में सपरिवार समर्पित रहना। परिवार की मर्यादा तथा बड़े छोटे के लिहाज को स्थापित रखने की भरपूर कोशिश। और ना जाने क्या-क्या??? आदरणीय बड़का भैया के बारे में जो भी कहा जाए थोड़ा है….

बड़का भैया ने आरा ( बिहार) के प्रतिष्ठित जैन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। हिंदी और अंग्रेजी पर उनका असाधारण अधिकार था । तत्कालीन समय में जब कोई बारात जाती थी तो गांव जवार के अंग्रेजी बोलने/ समझने वाले युवाओं को लोग मिन्नत करके अपने साथ ले जाते थे। भैया लंबे-तगड़े थे/खूबसूरत थे/ वो अपने नाम के अनुरूप ही अत्यंत सुंदर थे। ननिहाल (देव, जिला- औरंगाबाद ) में प्यार से सभी लोगों ने गोपाल कहते थे‌। जब वो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते थे तो बड़े बड़ों के सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती थी।

उनका जोरदार व्यक्तित्व बरबस ही हर किसी को अपनी तरफ आकृष्ट करता था। उनका सामाजिक दायरा बहुत बड़ा था। अपने अध्ययन काल से ही वो अत्यंत सामाजिक तथा प्रखर थे। श्रम में उनकी गहरी निष्ठा थी। अपने खाली समय का सदुपयोग करना वो भली भांति जानते थे। कृषि कार्य करना /करवाना /घर की जिम्मेदारी संभालना/ परिवार की जरूरतें पूरी करना /अपने छोटे भाई बहनों की हर जरूरत पूरी करना….और इसके लिए हर कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना ..उन्हें भली प्रकार आता था।

मेरे बाबूजी (प्रातःस्मरणीय स्व. पं. भैरवनाथ भट्ट ) उन पर गर्व करते थे /अखंड विश्वास करते थे। मेरे बृहद परिवार तथा समाज में उनका व्यक्तित्व बहुत ही आदरणीय था। उनका रौब और प्रभाव इतना था कि उनके सामने ठीक से खड़े होने की हिम्मत किसी में भी नहीं थी। भैया ने जो कह दिया वह अंतिम था। सामान्य स्थितियों में उन्हें क्रोध नहीं आता था लेकिन यदि वो क्रोधित हो गए तो फिर सब की शामत आ जाती थी (वैसे उनका क्रोध ऊपर ऊपर का ही होता था। अंदर से वो अत्यंत सरल ,सहयोगी और मृदुल थे ) वो सबके दिलों पर राज करते थे।

अध्ययन पूरा करने के बाद भैया डालमिया कंपनी (पिपराडीह -रोहतास ) में वरिष्ठ अधिकारी रहे । बाद में उनका सेलेक्शन भारतीय रेल में हुआ । कोलकाता, दानापुर और बाद में बक्सर (बिहार) में उनकी पोस्टिंग रही…जहां लंबे समय तक वो कार्यरत रहे। चूकि बक्सर मेरे गांव गउडाढ तथा छावनी– जहां हमारी अधिकांश खेती है तुरई डिहरा ( वर्तमान में बिहार सरकार के डीजीपी- पुलिस आदरणीय श्री गुप्तेश्वर पांडे मेरे निकट के गांव गडुवाबांध के हैं)..

अपने घर-परिवार समाज , खेती-बाड़ी और अन्य पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्होंने न तो प्रमोशन लिया न ट्रांसफर। भैया के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उनकी छाया बनकर हमेशा तत्पर। मेरी आदरणीया बड़की भौजी श्रीमती सावित्री देवी (सुपुत्री स्व. रामसकल शर्मा, ग्राम नोनहर, बिहार) का अप्रतिम योगदान हम सारे भाई बहन तथा परिवार के ह्रदय में रहता है। स्मृति शेष भैया की तीनों सुपुत्रियां– श्रीमती अनीता शर्मा ,श्रीमती सुनीता शर्मा तथा श्रीमती सीमा शर्मा अच्छे /समृद्ध घरों में ब्याही हैं। खूब सुखी हैं। भैया के सुपुत्र श्री राधेश्याम भट्ट बिहार सरकार , शिक्षा विभाग में प्राचार्य पद पर हैं। नाती -नतिनी/ पोते -पोतियां तथा भरा पूरा परिवार समाज के लिए आदर्श है..

सेवानिवृत्ति के कुछ वर्षों के बाद ही आदरणीय बड़का भैया असमय ही हम सभी को छोड़कर 28 अप्रैल 2006 को स्वर्ग सिधार गए। भैया के अद्भुत व्यक्तित्व और महान कृतित्व को स्मरण कर आज भी सबकी आंखें नम हो जाती हैं । मेरे बडका भैया कई बार कहते थे ..’ मेरी इच्छा है कि परिवार में क्लास वन गजटेड ऑफिसर बने…..’ भैया के आशीर्वाद से आज मेरे सहित परिवार में कई क्लास वन है /गजटेड हैं /…कई क्षेत्रों में बड़े पदों पर हैं /….किंतु भैया नहीं है…

हमारे सच्चे हितैषी/ प्रेरणा स्रोत/गलतियों पर डांटने वाले/ कान पकड़ने वाले /…और हमारी उन्नति देखकर सर्वाधिक प्रसन्न होने वाले…. बड़का भैया…. मैं अत्यंत विनम्रता के साथ निवेदन करना चाहता हूं कि भैया के पुण्य प्रताप तथा उनके महान आदर्शों को केंद्र में रखकर ही आज हम 06 भाई ( बहुत बड़ा परिवार ) संयुक्त है। हम सभी दुख -सुख में सबके साथ हैं। हमारे परिवार की सबसे बड़ी — मेरी बड़की भौजी…श्रीमती सावित्री देवी का आदेश/ और/ सुझाव हम सबके लिए शिरोधार्य है। बड़का भैया की पुण्य स्मृति को कोटि-कोटि नमन । यद्यपि वो भगवान के श्रीधाम में सुखद विश्राम में हैं किंतु उनका आशीष हम सभी प्रतिपल अनुभव करते हैं।

(लेखक डा अखिलेश भट्ट गाजियाबाद के राजेन्द्रनगर में बसे हैं )

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