मेरे दादा रामबृक्ष महाराजजी हिंदी-मगही भाषा के कवि थे
मेरे दादाजी न केवल अच्छे कवि, आशु-कवि थे बल्कि काफ़ी अच्छे चित्रकार भी थे उनकी कविताओं की कई किताबें भी प्रकाशित हुई…मगही माधुरी, मगही काव्य-संग्रह, (दीप-ज्योति), जो मेरे पापा Arun Sajjan जी ने दादाजी को उनकी पहली पुण्यतिथि पर समर्पित किया था…आज भी बहुत सारी उनकी रचनाओं की पांडुलिपि प्रकाशित होने के लिए रखी हुई हैं। अर्चना राय/गाजियाबाद आज दिनांक...