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अगर यही सुविधा ब्रह्मभट्ट में मिले तो लेने में क्या बुराई ? Chattisgarh India 

अगर यही सुविधा ब्रह्मभट्ट में मिले तो लेने में क्या बुराई ?

अगर बिहार,झारखंड और हिमाचल की तरह अन्य राज्यों में भी भाट का संविधानिक पाठ भट्ट, ब्रह्मभट्ट, राजभाट, राव आदि हो जाता है तो किसी को भी इस आरक्षण को स्वीकारने में कोई तकलीफ नहीं होगी। मेरे जैसे ऐसे कई लोग हैं जिनके पास स्वयं को भाट सिद्ध करने का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है लेकिन अगर यही सुविधा ब्रह्मभट्ट में मिले तो लेने में क्या बुराई है।

प्रमोद ब्रह्मभट्ट/रायपुर

Pramod Bramhbhatt
Pramod Bramhbhatt

भट्ट समाज ब्राह्मण था है और रहेगा। इसके लिए किसी के सर्टीफिकेट की जरूरत न कभी थी और न रहेगी। अब जबकि पता चल चुका है कि बारोट समाज भी स्वयं को ब्राह्मण ही मानता है। उनकी मान्यता के अनुसार गुजरात का ब्रह्मभट्ट और बारोट समाज मैथुनी समाज से पहले का समाज है इसलिए ब्राह्मण से ऊपर है। लोग क्या मानते हैं ये महत्वपूर्ण नहीं होता। आपके विश्वास क्या हैं यह महत्वपूर्ण है। समाज की प्रतिष्ठा आती-जाती रहती है। जब जो समाज सत्ता के करीब होता है प्रतिष्ठित हो जाता है और सत्ता से दूर होकर कितना भी कुलीन समाज हो ब्राह्मण से बाम्हन और बम्हना हो जाता है। वैसे ही भट्ट से भाट हो जाता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

लोग सामने नहीं कहते इसका अर्थ यह भी नहीं कि पीठ पीछे नहीं कहते होंगे। सुनाई भी पड़ता है लेकिन हम ध्यान नहीं देते । ध्यान भी क्यों दें जब पीठ पीछे भगवान राम को नहीं छोड़ा गया तो हम तो न तो राजा हैं और न ही भगवान। लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता प्राप्ति के साथ भाट भी भट्ट ही होगा क्योंकि तब लोगों को आपसे काम निकालने के लिए आपके अहम को संतुष्ट करना होगा तब आपका शुद्ध रूप उन्हें स्वीकारना पड़ेगा।
हमारी एक जातीय साइट में इस बात को लेकर आग्रह चल रहा है कि सभी स्वीकार कर लें कि हम भाट हैं और भाटों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ लेना शुरू कर दें। यह भी सही है कि हमारा भाट कहे जाने वाले समुदाय से रोटी-बेटी का संबंध हो चुका है। याने कि हम उनके इतने कटु आलोचक तो नहीं हो सकते। अब रही बात कि हम क्या स्वयं को भाट होना स्वीकार लें और आरक्षण का लाभ लें।
मुझे लगता है इसकी आवश्यकता नहीं है अगर बिहार,झारखंड और हिमाचल की तरह अन्य राज्यों में भी भाट का संविधानिक पाठ भट्ट, ब्रह्मभट्ट, राजभाट, राव आदि हो जाता है तो किसी को भी इस आरक्षण को स्वीकारने में कोई तकलीफ नहीं होगी। मेरे जैसे ऐसे कई लोग हैं जिनके पास स्वयं को भाट सिद्ध करने का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है लेकिन अगर यही सुविधा ब्रह्मभट्ट में मिले तो लेने में क्या बुराई है। मैंने जीतेन्द्र शर्मा भट्ट से आग्रह किया है कि हिमाचल में भाट का संविधानिक पाठ के केस (की जिसमें हमारे समाज को सफलता मिली है) की कापी उपलब्ध कराई जाए ताकि हम छत्तीसगढ़ में भी इस सुविधा को प्राप्त करने के लिए कदम बढ़ा सकें।
किसे अच्छा लगता है भाई प्राइवेट नौकरी में घिसना हर कोई चाहेगा कि वो शासक बने नौकर नहीं । सत्ता प्राप्ति चाहे जैसे हो होनी चाहिए। पद प्राप्त करने के बाद कोई नहीं पूछता आपने कैसे पद प्राप्त किया। जरा ध्यान से देखिए यहां हर आदमी अपनी क्षमता के अनुसार सुविधा बटोर रहा है तो हम क्यों नहीं। सारे पूर्वाग्रह छोड़कर मेरा समाज चिंतन करे….

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