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दिल्ली BBW मंथन: युवा-सत्र एक सार्थक प्रयास: अ‍रविंद Uncategorized 

दिल्ली BBW मंथन: युवा-सत्र एक सार्थक प्रयास: अ‍रविंद

पूरे सत्र के दौरान मंच संचालन तथा anchoring उत्कृष्ठ था। त्विषा का युवाओं की उत्सुक और जिज्ञासापूर्ण प्रश्नो को बहुत बेहतरीन और सहज तरीके से panelist के सामने रखना तथा उनके जवाबो का एक professional anchor की तरह उन तक पहुचाना,जरूरत पड़ने पर बीच मे उन्हें interrupt करना अत्यंत ही रोचक और प्रभावशाली था।
लेखक: अ‍रविंद कुमार, Executive Engineer, UPPCL, लखनऊ
फोटो: लेखक अरविंद कुमार और युवा एंकर त्विषा राय…

वैसे तो मंथन के हर सत्र का अपना एक अलग महत्व था। परन्तु मेरे दृष्टिकोण से युवा-सत्र मंथन की सबसे lmpressive और सफलतम सत्र रहा। panel में शमिल प्रत्येक सद स्यों का मार्गदशन और सहज उदगार उनकी अपनी कार्यानुभव तथा ब्यक्तित्व के अनुरूप थी जो उनकी सहज और स्वाभाविक आभिब्यक्ति थी।सभी पैनलिस्ट अपनी अनुभव के साथ न्यायसंगत दिखे। युवाओं के लिए यह सत्र निःसंदेह लाभप्रद रही होगी। परंतु मुझे जो इस पूरे सत्र में सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो था युवा सत्र का मंच संचालन।

पूरे सत्र के दौरान मंच संचालन तथा anchoring उत्कृष्ठ था। त्विषा का युवाओं की उत्सुक और जिज्ञासापूर्ण प्रश्नो को बहुत बेहतरीन और सहज तरीके से panelist के सामने रखना तथा उनके जवाबो का एक professional anchor की तरह उन तक पहुचाना,जरूरत पड़ने पर बीच मे उन्हें interrupt करना अत्यंत ही रोचक और प्रभावशाली था।आपका यह अदभूत प्रतिभा और क्षमता प्रशंशनीय है। मैं यहाँ स्पष्ट कर दू की मैने कई पत्रकार बन्धुओ को टीवी या अन्य जगहों पर debate के दौरान घबराहट में शब्दों का गलत चयन या शोर करते देखा है हालांकि ऐसी परिस्थितियों में उनका confidence level उन्हें मुसीबत से निकाल लेता है।
मैं खुद यहाँ प्रत्येक दिन विभिन समाचार पत्रों के पत्रकारों को अपनी बात अपने अनुसार ही थ्रो करने में सफल रहता हूं।हालांकि मेरी बाते ज्यादा तकनीकी होती है।अतः उनके पास ज्यादा विकल्प नही होता।कृपया आप अन्यथा नही लेंगे। परंतु यहाँ ट्विषा ने जिस सहजता और natural flow के साथ लोगों कि बातो को पैनलिस्ट के सामने रखा वो काबिले-तारीफ था।इसमे उनकी साथी एंकर भी बखूभी साथ देती दिखी। परिणामस्वरूप panelist भी काफ़ी गंभीर दिखे और उनका मार्गदर्शन सत्र की सार्थकता को सिद्ध कर दिया।
पैनलिस्ट में मनोज शर्मा जी और राजेंद्र ब्रह्मभट्ट सर् युवाओं से सहज ढंग से connect होते दिखे। उनका सरल और मृदुभाषी स्वभाव आकर्षक था। हालकि संभव है मैं यह थोडा biased दिखूं क्योकि कभी मेरा भी civil सर्विसेज aspiration था परंतु परिस्थिति कुछ ऐसी बनी की मैं कभी भी इस exam में appear भी नही हो सका। मैं इस बारे में panelist धर्मेन्द्र जी द्वारा कहे गए बातो से सहमत हूं।अगर ईमानदारी से कहु तो मेरे लिए युवा-सत्र की anchoring तथा मंच संचालन इस मंथन की USP थीं।मैं अमूमन पहली दफा चीजो को गंभीरता से नही लेता। अगर impressive लगा तो फिर उसे minutely observe भी करता हु।पूरे anchoring के दौरान शब्दो का चयन और उसकी अभिव्यक्ति उत्कृष्ट थी।अत्यंत ब्यस्तता के बावजूद तपन सर् और दीपक भट्ट जी के अनुरोध पर इस मंथन में पहली बार शामिल हुआ। अपनो से मिलने का सुख शब्दो में अभिब्यक्त नही कर सकता।
निःसंदेह मंथन एक बहुत बड़ी शुरुआत है जिसके सकारात्मक परिणाम दिखना शुरू हुआ है तथा धरातल पर भी परिलक्षित हो रहा है। इसके दूरगामी और उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिलेगा।हर आयोजनों का कुछ shortcomings होता है।स्वाभाविक है इसमें भी था।परंतु हमे समालोचना के साथ इसके बहुतायत में अच्छे results पर focus करना चाहिए।यह ब्रह्भट्टवर्ल्ड के संस्थापक की सोच का ही परिणाम है आज यह ग्रुप ब्रह्मभट्ट समाज को worldwide connect कर रही है। इस सोच और इसके उद्देश्यों को और ब्यापक करने की जरूरत है।जो करेगा उसी से ही गलतियां भी होगी।हम ग़लतियो से ही सीखते है।
दिल्ली मंथन की स्थानीय आयोजको का स्वजातियों के लिए प्रेम और energy level appealing था।इसके लिए सभी बधाई के पात्र है।excellent टीम वर्क। आशा है मंथन धीरे धीरे अपने उद्देश्यों में सफल होंगी।संक्षेप में हम कह सकते है मंथन एक सफल आयोजन था,जो अपनी कई सार्थक उद्देश्यों में सफल रहा। इसके लिये इसके founder तथा उनकी टीम बधाई के पात्र हैतथा इसमें भाग लेकर इसे सफल बनाने हेतु सभी स्वजन भी उतने ही बधाई के पात्र है।

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