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हरियाणा में 80% ब्रह्मभट्ट महिलाएं रसोई तक सिमटीं पर मेरे परिवार ने मुझे लेक्चरर बनने दिया।। Haryana India 

हरियाणा में 80% ब्रह्मभट्ट महिलाएं रसोई तक सिमटीं पर मेरे परिवार ने मुझे लेक्चरर बनने दिया।।

written by Bhavna Bhatt Sharma/कुरुक्षेत्र

एक अरसे बाद मैं फेसबुक पर लिख रही हूं, क्योंकि मैं हरियाणा से हूँ तो जाहिर सी बात है कि शुरुआत इस राज्य की बात से ही करना चाहिए। हरियाणावी खान-पान और संस्कृति की अपनी अलग ही पहचान है। यहां दूध-दही के खानपान का भी रिवाज है। शायद इसी वजह से हरियाणावी लोग अधिक चुस्त दुरुस्त रहते हैं।
पर मैं आज आपको हरियाणा की संस्कृति के बारे में बताने के बजाय इस राज्य में हमारी जाति की औरतों की क्या स्थिति है उस पर अपने विचार व्यक्त करने जा रही हूं। अन्य वर्गों की तरह हरियाणा की उन्नति में भी महिलाओं का विशेष योगदान है। समाज के हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। महिलाएं हर कदम पर पुरुषों का साथ देते हुए हरियाणा के चहुंमुखी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। परन्तु यह बात हमारी ब्रह्मभट्ट जाति पर लागू नहीं होती, आज भी हरियाणा मैं लगभग 80% फीसदी महिलाओं की जिदंगी रसोई घर में ही सिमटी हुई हैं। बदलाव तो आया है इस बात में कोई दो राय नहीं है लेकिन ये बदलाव जिस स्तर पर होना चाहिए था वो संतोषजनक नहीं है।
देश हो या राज्य दोनों के विकास में महिला साक्षरता का बहुत बड़ा योगदान होता है इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि पिछले कुछ दशकों से ज्‍यों-ज्‍यों महिला साक्षरता में वृद्धि होती आई है, हमारा देश भी विकास के पक्ष पर अग्रसर हुआ है।

इसने न केवल मानव संसाधन के अवसर में वृद्धि हुई है, बल्‍कि घर के आँगन से ऑफिस के कैरीडोर के कामकाज और वातावरण में भी बदलाव आया हैं हरियाणा हो या कोई भी राज्य लड़कियों के सामने सिर्फ एक ही लक्ष्य रखा जाता हैं कि अच्छे से घर का काम सीख लो, अच्छे से पढ़ाई पूरी कर लो तभी तो अच्छा लड़का मिलेगा…चलो शादी के बहाने से ही सही कम से कम लड़कियाँ पढाई को कुछ तो तवज्जो दे रहीं।

लेकिन हरियाणा में जो बात मुझे अजीब लगी वो ये कि 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई private करना…या बहुत हुआ तो BA तक ठीक है उसके आगे तो कालेज जाने वाली लड़कियों की सँख्या केवल 5 फीसदी तक ही रहती है। पर मेरे परिवार ने मुझे उच्च शिक्षा में भरपूर सहयोग किया।
अब उन परिवारों की बात करें जहाँ लड़कियों को न केवल पढ़ाई की अपितु सौ फिसदी आजादी मिली अपने सपनों को पूरा करने की। अब बात चली है तो आगे भी बढ़ेगी जिसमें र्सवप्रथम मैं अपने भट्ट परिवार का जिक्र करना चाहूंगी। हमारें परिवार की जडें एक कस्बे घरोंडा मे हैं। और मुझे गरव हैं कि मैं अपने परिवार की पहली बेटी थी जो पढ़ाई पूरी करने के लिए घर से बाहर अलग शहर में रही…

12वीं के बाद सिर्फ अपनी शादी से 3 महीने पहले घर पर वापस आई, 8 साल तक पढ़ाई पूरी करी नौकरी करती रही अपनी हर ख्वाहिश पूरी की… और मेरे पापा ने हमेशा ही मेरा साथ दिया। लोगों के ताने सुनें कि इतना पढ़ाएगा तो लड़का नहीं मिलेगा, बड़ी उम्र में दिक्कत होती है, बेटी की कमाई खा रहा है और जाने क्या कुछ नहीं कहा पर मुझ तक इन बातों को नहीं आने दिया…और इस का नतीजा यह कि अपने खानदान की पहली सबसे अधिक पढ़ी-लिखी लड़की बनी और आज Govt. lecturer हूँ। और आज हमारे मायके के परिवार की 3 बेटियां बाहर पढ़ रही हैं। Aashi Bhatt वनस्थली में जबकि Ravee Bhatt , Pearl Kaushik दोनों दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ रही हैं।

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