You are here
कोरोना संकट में ब्रह्मभट्ट परिवारों की भी ज़िंदगी यूं बदल गई Delhi India 

कोरोना संकट में ब्रह्मभट्ट परिवारों की भी ज़िंदगी यूं बदल गई

कोरोना संकट से आपकी जिंदगी में कितना बदलाव आया? योगा से लगाव बढ़ा? आपने खाना बनाना सीखा, घर बैठे बिजनेस करने लगे?

Abha Rai

Abha Rai: घर से बाहर निकलने और प्रिय जनों से मिलने की बंदिश,शहर से बाहर का भी रास्ता बन्द है,पर सुकून है कि सभी एक साथ हैं, खाना बनाना अच्छा लगता रहा है ,अब भी बना लेते हैं ,योग जीवन का अहम हिस्सा एक दशक से पहले का ही है. नई बात ये है कि सब घर में हैं (खास कर मेरी पौत्री और पौत्र) लेकिन बड़ी समझदारी और दरियादिली बढ़ गई है। टीवी पर ऐसा कार्यक्रम देखते हैं जो सब साथ मिल के देखें।

Abhay Kumar: नियमित व्यायाम करने लगा।।

अजय शर्मा बाबा

Ajay Sharma Baba: मेरी उपलब्धि तो बहुत जबरदस्त रही यदि लाकडाउन नहीं होता तो शायद मैं बीबीडबल्यु से कभी नहीं जूड़ पाता। मुझे ठीक से याद है मेरी पहली पोस्ट थी झोला पर्चा लेकर आओ सामान ले जाओ पैसे जब मर्जी हो दे देना। मैंने सोचा दस-बारह लोग ध्यान देंगे लेकिन अप्रत्याशित रूप से लगभग चार सौ लोगों ने लाइक्स किया बाद में अनामिका जी ने मेरा परिचय बीबीडबल्यु के साथ ही सारे सदस्यों से कराया मैं इस समूह का एडमिन भी बना। शायद कोरोना नहीं होता तो यह सब बिल्कुल नहीं होता क्योंकी समय का अभाव रहता। एक चीज और भी बहुत अच्छी हुई मैंने बहुत सारे भूले बिसरे विषयों पर अपने विद्व्त साथियों से फोन पर सार्थक चर्चा भी की । फिलहाल तो बिमारी को लेकर हम सभी चिंतित हैं लेकिन मेरे विचार से बहुत सारे सकारात्मक बदलावों के लिए पुरी दुनिया को एक कार्यक्रम बना कर हर साल एक निश्चित अवधि के लिए लाकडाउन करना चाहिए।

Arvind Kumar Sharma: मेरे दिन की शुरूआत योग से ही होती है योग गुरु होने के नाते लोगों को योग के प्रति जागरूक किया और कोरोना रोधी उपाय के रूप में योग का प्रयोग भी कराया।शायद योग की ही माया है कि कोरोना काल में भी लाईन की स्पेशल ड्यूटी करके भी अभी तक सुरक्षित हैं ।आगे ईश्वर की मर्जी जैसे रखें।

Amrita Sharma: परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला।योग में रुचि बढ़ी।स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है ये ज्ञात हुआ।सबसे बड़ी सिख किसी चीज़ को अपना न समझे आज जो भी है वो हो सकता है अगले क्षण न हो तो किसी चीज़ का घमंड ना करे।

Bhupendra Brahmbhatt: सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया जी नमन करता हूं वंदन करता हूं अभिनंदन करता हूं कोरोनावायरस ने हमको बहुत कुछ सिखाया और बहुत कुछ सीखने मिला बहुत कुछ देखा और हमने धीरज से हमारा काम लिया यह महामारी कई लोगों की जिंदगी और कई ऐसी अनगिनत व्यक्तियों को खा गया इसके लिए इसको हल्के में लेने की जरूरत नहीं है ध्यान रखिए अपना अपनों का और अपने परिवार का और सभी का धन्यवाद.

डा Harendra Sharma:

डा Harendra Sharma: और लोगो के साथ भले समय का सदुपयोग करने के लिए बहुत सारे विकल्प ढूंढने पड़े हो, पर हम चिकित्सकों के लिए बहुत भारी पड़ा, हमलोगों के लिए बड़ा ही मुश्किल भरा रहा यह कोरोना काल।अभी और भी कितने दिनों तक इस दौर से गुजरना पड़ेगा।जब तक वैक्सीन नही आती तब तक तो कुछ भी कहना मुश्किल है।

Kumar Kundan: इस कोरोना संकट ने रूटीन वर्कऑउट की आदत लगा दी। कुछ स्वादिष्ट व्यंजन और केक की वेराइटी भी सीखी। कुछ आयुर्वेदिक पेय पदार्थों को भी तैयार करना सीखा।इस कोरोना संकट ने रूटीन वर्कऑउट की आदत लगा दी। कुछ स्वादिष्ट व्यंजन और केक की वेराइटी भी सीखी।कुछ आयुर्वेदिक पेय पदार्थों को भी तैयार करना सीखा।

Nalini Sharma: मुझे सर जी आनलाईन कवि सम्मेलन मजा मिला |बहुत अच्छा लगता है मजा भी आती है जो मंच पर जाती थी,समय बहुत जाता किन्तु घर बैठे घर का काम करते हुए ,ये सब करना अच्छा लगता है |हर दुसरे तीसरे दिन आनलाईन सम्मेलन होता है कूछ लोग आमंत्रित करते है। किसी मे स्वयं ही,किसी मे जुड़ी हू हर सप्ताह होता है|इसका श्रेय मै सबसे ज्यादा आपको औरअपने इस ग्रूप BBW को दूगी |मुझे एक राष्ट्रीय संस्था ने गुजरात इकाई का अध्यक्ष भी बनाया|मेरे बहुत मना करने के बाद भी|मेरे पास समय नही ये सब करने को फिर भी जो समय मिलता है तो देख लेती हू। मै आपका आशीर्वाद चाहूंगीमै अपने परिवार जैसे ग्रूप मे भी समय नही दे पा रही मुझे अफसोस भी है इस बात का| मेरे जीवन का पहला ग्रूप है| मै शूरू से हूं| हमेशा मेरा परिवार रहेगा ये।

Nirmal Bhatt: अपने धर्म की गहराई समझने का समय मिला।

Om Prakash Sharma: कोरोना ने बिल्कुल निकम्मा बना दिया है , पहले पार्क में जाकर भ्रमण और ब्यायाम कर लेता था,वह भी छूट गया, हां थोड़ा बहुत घर पर ही प्राणायाम वगैरह कर लेता हूं पर बाहर जो मजा था वो बात अब नहीं रही। जहां तक खाना बनाना सीखने की बात है,जब जवानी में नहीं सीखा तो बुढ़ापे में क्या सीखूंगा , हां कभी कभी सुबह चाय जरूर बनाने लगा हूं , कुल मिलाकर जिन्दगी में निकम्मा पन ज्यादा आ गया है। बिजनेस के बारे में सिर्फ इतना कहना चाहूंगा” करते नहीं कुछ तो काम करना क्या आये, जीते जी जान से गुजरना क्या आये,रो रो के मौत मांगने वाले को ,जीना नहीं आ सका तो मरना क्या आये “आपसे भी अपना अनुभव साझा करने की अपेक्षा है।
Panna Shrimali: एक सबसे बड़ी सीख ये मिली की आपके पास कितना भी धन दौलत क्यों न हो यदि आपके पास अच्छा स्वास्थ्य नहीं है तो फिर ये धन दौलत कोई मायने नहीं रखती । इसलिए इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में पैसा कमाने के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी कमाना बेहद जरूरी है।

Pramila Sharma: सबसे बड़ी सीख मिली कि जीवन का आनंद सादगी और सरलता में है

Panna Shrimali

Panna Shrimali: एक सबसे बड़ी सीख ये मिली की आपके पास कितना भी धन दौलत क्यों न हो यदि आपके पास अच्छा स्वास्थ्य नहीं है तो फिर ये धन दौलत कोई मायने नहीं रखती । इसलिए इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में पैसा कमाने के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी कमाना बेहद जरूरी है।

Parmanand Choudhary: लगभग पचास वर्षों से मुंगेर मे रह रहे हैं लेकिन अपने पैतृक गांव जमदाहा (बाँका) मे दो सप्ताह से ज्यादा रहने का मोका नहीं मिला था। कौरौना के कृपा से तीन महीने तक गांव में भाई भतीजों के साथ रहने का मोका मिला और बहुत आनंद पूर्वक समय बीता। गांव के स्वच्छ वातावरण में सुबह का टहलना और बाबा रामदेव जी का योग काफी लाभदायक सिद्ध हुआ।

Pramila Sharma: सबसे बड़ी सीख मिली कि जीवन का आनंद सादगी और सरलता में है।

Pramod Bramhbhatt

Pramod Bramhbhatt: हम तो वैसे ही लाकडाउन में थे पिछले एक महीने से बाहर घूमना शुरू किए थे। लेकिन करोना के बढ़ते केसोंं के कारण मित्रों ने व घर के लोगों ने घर में ही बंद कर दिया है। अब घर में ही घूमता हूं। वैसे इस करोना काल ने सभी का 2020 को जीरो ईयर घोषित कर दिया है। अब इसके बाद अगर सब कुछ ठीक रहा तो फिर बाजार में आउंगा।

Pushp Kumar Maharaj

Pushp Kumar Maharaj: क्या लिखें इस काल के बारे में लिखूं तो अन्य काल का संतुलन बिगड सकता है, इस करोना काल में मैंने दो बड़े कार्य बहुत सुझबुझ ब बारीकी से किया है पहला घर बाहर की सफाई सुरक्षा (कीट पतंगों मकड़ी छिपकली दूर करने में) में पत्नी का हाथ बंटाना और दूसरा पाक कला में योगदान देना…… …रात को सोते ही या सुबह उठते ही आपस में विचार विमर्श करना कि आज सुबह का नाश्ता, दोपहर और रात के खाने का क्या मेन्यू होगा …..ज्यादा समय यूट्यूब के नये नये रेसीपी को देखने में गया और कई बार सिर्फ़ देखकर ही संतोष करना पड़ा पर जब भी उसे देखकर बनाने का प्रयास किया तो धोखा ही खाया…..इस काल में ज्यादातर समय दिन ढलते ही घर का पुरा वातावरण संगीत मय हो जाता हैमैं खुद तो गायकी नहीं करता पर जाने माने कलाकारों की बड़ी कृपा रही है कि उनकी गायकी व नृत्य कला का भरपूर आनन्द उठाया..अब तो कई गानों के लिरिक्स मुझे याद हो गये है…उम्र के इस पड़ाव में मेरे जीवन को ब्लैक एंड व्हाइट से ईस्टमैनकलर बनाने के लिए तहे दिल से उनका शुक्रिया…..इसमें कोई दो राय नहीं कि योग हमें ईश्वर से जोड़ता है और इसका मुख्य उद्देश्य हमारी जीवन शैली को बदलना है सबसे बड़ी उपलब्धि हमारी यही रही कि मैं योग से जुड़ गया और इसका श्रेय तपन भारती भैया व संध्या भाभी जी को जाता है कि उन्होंने हमें इसके लिए बाध्य किया…आज मैं कैसा महसूस कर रहा हूं यह थोड़े दिन बाद बताउंगा……

Pramod Rana: जीवन की स्वच्छंदता समाप्त कर दी।घरों में रहने की आदत प्रबल हुई।

Shashi Roy: अनुभव बहुत ही उतार चढ़ाव से भरा है। बहुत संक्षेप में कहूँ तो बहुत कम वक़्त में वक़्त ने समाज, परिवार, दोस्त, हित नाते, समूह , संगठन.. ना जाने कितने ऐसे जुड़े नजदीकी अनुभव ने सबकुछ स्पस्ट और आईने की तरह साफ ज्ञान से भर दिया है की परिस्तिथि ही मित्र और मंगल दोनों को जन्म देती है।अर्थात, कुछ कर्वे अनुभवों ने योग की तरह वियोग से रहित जीवन जीने की अनुपम कला का शिलान्यास कर एक नये चक्र से घेर दिया है जो सिर्फ इतना सिख दे रही है कि विपिदा हो या कोई अन्य संकट, जबतक खुद को तपाने की शक्ति निहित है शरीर में तबतक कभी हार नहीं मानना चाहिये और साथ ही कभी किसी भी संकट में अपेक्षा शब्द को समाज से जोड़ कर कभी जीवन को नहीं जोड़े रहना चाहिये। बहुत बुरा लगता है और खोखले रिश्ते जो सामाजिक रूप से आपसे जुड़े हों उनके निहित जीवन जीना महज मिथ्या है।इस काल खंड में कोई ऐसी स्तिथि नहीं रही जो अनुभव ना किया हो बस ईश्वर और खून के कुछ रिश्ते हैं जिनकी भूमिका ने अबतक थामे रखा है। पर करवा सच के साथ अनुभव जो मिल रहा है उससे यही स्वीकार किया है हमने की तथा कथित अपनत्व की भूमिका बांधे रिश्तों से अलग खुद को खुद से जीने की शक्ति को कायम रख चलना ही खुद में एक समाज है।अंततः बड़े अनुभवों के साथ सभी को नमन संग कोई त्रुटि हुई हो तो छमा करेंगे। इस कोरोना कालखंड ने बहुत कुछ नया सिखा ही डाला है.

Sanjay Prakash Singh: इस करोना महामारी मे जिंदगी से रूबरू कराया और कठिन परिस्थितियों से लड़ने का हौसला बढ़ाया , चकाचौंध रोजमर्रा की जिंदगी से सादगी से जीवन के पथ पर चलते हुए दूसरे को सहायता करते हुए आगे बढ़ने के लिए सबसे बड़ा उपदेश दिया।Shubham Abhas: सर इस कोरोना संकट ने मुझे अपने इस स्वजनों के समाज में एक छोटे मोटे रचनाकार के रूप में स्थापित कर दिया और इसके अलावा नए नए लोगों से साक्षात्कार भी हुआ।

Santosh Sharma: कई सारी पुस्तकें पढ़ने का मौका मिल गया जिन्हें पढ़ने की ख्वाहिश जाने कब से थी।मेरे जान पहचान के कई लोगों ने अपनी नौकरी गवाईं और उनमें से कई दुगने उत्साह से या तो नौकरी ढूंढी या व्यापारी बन गए ।

श्रीकांत राय/पटना

Srikant Ray: सबसे पहले तो यह कि कोरोना काल मुझे योग गुरू बना दिया। 14,15 हमारे शिष्य बन गए और रोज हमारे साथ योग करने लगे।दूसरा कि कोरोना काल ने एक सौ कवितायें पूरी करा दी।तीसरा यह कि फोन पर और ऑन लाईन काम करने लगे।चौथी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि काम के चक्कर में दिन भर बाहर में व्यस्त रहते थे वो समयनाती पोती पोता के साथ खेलने में व्यतीत होने लगा और बचपन की भरपूर आनन्दानुभूति होने लगी।

Ravi Sharma:

Ravi Sharma: सब कुछ बदल दिया इस लोकडाउन ने। सारी दिनचर्या ही नई कर दी।जिंदगी ही दूसरी लगती है। न जगने की जल्दी ,न सोने की। हां सबसे अहम ये हुआ कि खाना आराम से खाते हैं।किसी चीज की हड़बड़ाहट नहीं।अब रही काम धंधे की बात तो सब ठप हो गया।होली के समय से आज तक । आगे क्या होगा इसकी अभी बिहार में कल्पना करना मुश्किल है। फिर भी हिम्मत से काम लेना ही बुद्धिमता है। कुल मिला कर शरीर शिथिल हो गया ।आगे बिज़नेस का क्या स्वरूप होगा ये तय करना पड़ेगा।
Roy Tapan Bharati: ओमप्रकाश शर्मा जी का आदेश है कि मैं भी अनुभव साझा करूं। कोरोना संकट में मेरी पत्नी और पुत्र का बिजनेस बंद हो गया, मेरा टीवी चैनल पर जाना बंद हो गया, एक-दो किराया आना भी बंद हो गया, पर हम सब नर्वस होने के बजाय हम सब डरे हुए रिश्तेदारों और दोस्तों का हौसला बढ़ाते रहे, योगा, इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर देते रहें। ब्रहृ्भट्टवर्ल्ड में भी व्यस्त रहे। अपने समाज के तीन लोगों की आर्थिक मदद की पर प्रचार भी नहीं किया। इसलिए लाभार्थी और शहर का नाम नहीं बताऊंगा। इस कालखंड में मैंने लेख भी बहुत लिखें। इस दौरान मेरी पत्नी संध्या कोरोना की चपेट में आईं। हमने बहुत धैर्य रखा। देशी इलाज के साथ एलोपैथी डाक्टर की सलाह भी मांगी। अब तो संध्या जी कोरोना रोगियों का उपचार में मार्गदर्शन और हौसला-अफजाई भी करती रहती हैं। हम कोरोना को लेकर सतर्क हैं पर डरे हुए नहीं हैं। आंशिक रूप से पत्नी और पुत्र का बिजनेस भी आरंभ हो गया है और हम दूसरों को नया बिजनेस भी करने की सलाह दें रहे हैं।

Related posts

Leave a Comment