सुरुजदेव लेई अरघिया खुश होइहैं छठ मइया…
गोपालगंज, फर्रुखाबाद, पठानकोट, पटना, धनबाद समेत तमाम शहरों के छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी
छठी मइया दे द ललनवां करबै पूजनवा..
आस्था और भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ सोमवार की सुबह संपन्न
आस्था और भगवान सूर्य की उपासना के महापर्व डाला छठ पर रविवार को शाम जन सैलाब उमड़ पड़ा। क्या आम और क्या खास, सभी एक रंग में रंगे नजर आए।
नंगे पांव सिर पर फूल व फल से भरी डलिया
लेकर जब लोग घाटों पर पहुंचे तो मां के जयकारे गूंज उठे।
जल में खड़े होकर सबने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और छठ मइया का पूजन कर पुत्रों के दीर्घायु की कामना की। इस बीच ‘केलवा के पात पर उगले सूरज देव झांके झुकी करेलु छठ बरतीया हो..’ गीत गूंज उठा।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर भगवान आदित्य को अर्घ्य देने के लिए महिलाओं के साथ पुरुष भी पानी में उतरे।
महिलाओं ने कोसी भरने और स्नान के बाद वेदी पूजन किया और फिर छठ मइया की पूजा-अर्चना की। उन्हें फल, सब्जी और गन्ने आदि का भोग लगाया।
इस शुभ आवसर पर अखंड ज्योति की पूजा भी की गई। इसके बाद शुरू हुआ गीतों के माध्यम से मां की स्तुति का दौर जो देर रात तक चलता रहा।
इस दौरान वातावरण में ‘छठी मइया दे द ललनवां करबै पूजनवा..’ , ‘अदिति लिहो मोर अरघिया..’ व ‘कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लटकत जाय..’ व ‘सुरुजदेव लेई अरघिया खुश होइहैं छठ मइया..’ गीत गूंजते रहे।
पटना, धनबाद, फरुर्खाबाद, पठानकोट समेत तमाम शहरों के छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। महिलाओं ने कमर तक पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। सुहागिनों ने एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद भी दिया। बैंडबाजे की धुन पर महिलाएं और बच्चे नृत्य करते रहे। श्रद्धालुओं में पर्व को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखा।