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छोटी पूंजी वाले कारोबार में इनोवेशन का सहारा लें Chattisgarh India 

छोटी पूंजी वाले कारोबार में इनोवेशन का सहारा लें

मैंने पहले की कहा था कि इस वर्ष हम विकास की बात करेंगे। समाज के आरक्षण समर्थक साइट पर बेरोजगार स्वजातियों को रोजगार दिलाने का प्रयास शुरू हुआ है। यह शुभ है इसके और प्रयास होने चाहिए। लेकिन केवल नौकरी खोजना ही रोजगार का एकमात्र विकल्प नहीं है ऐसे युवा जो अल्प शिक्षित हैं या जो व्यवसाय के क्षेत्र में अपना हुनर आजमाना चाहते हैं। उनकी मानसिक तैयारी के लिए मैं अपनी बुद्धि तथा विवेक के अनुसार कुछ लिखने का प्रयास कर रहा हूं। इसी कड़ी में प्रस्तुत है यह लेख माला …..

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क्या है नवाचार (इनोवेशन)

प्रमोद ब्रह्मभट्ट / रायपुर

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प्रमोद ब्रह्मभट्ट , रायपुर

व्यापार में नवाचार सफलता की कुंजी माना जाता है। नवाचार या इनोवेशन याने व्यवसाय में कुछ ऐसा नया जो हट कर हो और ग्राहकों को आकर्षित करे। वास्तव में व्यापार में जब तक आप कोई नया रोजगार नहीं तलाशेंगे आप व्यापार में सफल कैसे होंगे। ऐसा नहीं है कि सभी इनोवेशन की राह चुनते हैं जो लोक पारंपरिक व्यापार में जा कर सफलता अर्जित करना चाहते हैं वे पैसे के बल पर उस व्यवसाय में सफलता पाते हैं।

वणिक भाषा में कहा जाता है दूसरे कमा रहे हैं तो हम भी कमा लेंगे। एक-दो साल व्यापार में टिकने की ताकत है हमारे पास और दो-तीन साल में तो सभी व्यापार का तीन-पांच पता चल जाता है। (यह चाल सेठों की होती है वे अपने पुत्रों के लिए ऐसे ही व्यापारिक क्षेत्र चुनते हैं।)
लेकिन जो लोक छोटी पूंजी से तथा बिना व्यापारिक पृष्ठभूमि से व्यापार में आते हैं उन्हें इनोवेशन या नवाचार का सहारा लेना चाहिए। नवाचार के तीन तरीके होते हैं। पहला व्यापार करने का कोई नया तरीका ढूंढना। दूसरा कहीं हो रहे व्यापार की अपने क्षेत्र में कापी करना और तीसरा जो चल रहा है उसमें कुछ नया कर व्यापार को नया रूप देना। इनोवेशन का पहला विकल्प सबसे कठिन है यहा ज्यादातर नई तकनीकी विकास के साथ शुरू होता है। इसके सफल होने की गारंटी भी ज्यादा नहीं होती है लेकिन समय परिस्थितियों के अनुसार कुछ ग्रुप इसमें निवेश करते हैं और भविष्य में इसके सुखद परिणाम आते हैं।

इसीलिए कहा जाता है कि व्यापार में हमेशा तकनीकी रूप से अपडेट होते रहना चाहिए कौन सा आइडिया आपकी जिंदगी बदल दे नहीं कहा जा सकता। ज्यादातर लोग दूसरे और तीसरे विकल्प को ही चुन पाते हैं। हम यहां पर छोटे ऐसे व्यापारिक धंधों की चर्चा करेंगे। जो कम पूंजी से शुरू हो सकते हैं और सफलता पूर्वक चल रहे हैं।
चित्र में दिख रहा खोंचे वाला साधारण नहीं है इन्होंने एक पुरानी राजदूत मोटर सायकिल को चलित दुकान में बदला लिया इसका खर्च महज ग्यारह हजार आया और आज वे 10 किलोमीटर की परिधि में जहां चाहे वहां दुकान लगाते हैं और सही समय पर घर भी पहुंच जाते हैं। इनका नाम संतोष पटेल है ये राखी गांव के निवासी हैं और नया रायपुर में आकर खोंचा लगाते हैं। इनकी शिक्षा मात्र आठवीं पास है। इन्होंने खोंचे वालों के यहां काम कर हुनर सीखा और आज खोंचा लगाते हैं।
(मैं अपनी बातों के समर्थन में बहुत सी कहानियां सुनाऊंगा और समझाने की कोशिश करूंगा क्योंकि हमारी कम्युनिटी व्यापारिक कम्युनिटी नहीं है ब्राह्मण से बनिया बनना एक कठिन प्रक्रिया है लेकिन यह भी सही है कि हम सभी को उनके अनुरूप नौकरी नहीं दिला सकते हैं। इसलिए व्यापार भी एक वैकल्पिक रोजगार के साधनों के रूप में देखा जाना चाहिए।)

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