जब इंसान पेण्डुलम बन जाता है
कृपया बतायें यहाँ मेरा निर्णय क्या होना चाहिए था? प्रकृति द्वारा प्रदत्त सुख या दुःख व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग है जिसके आनंद और ताप को नियंत्रित करने में इंसानी विवेक की भूमिका जीवन को सरल बना देती है! लेकिन कभी कभी वक्त इन दोनों से अलग मानवीय जीवन को असमन्जसता के एक ऐसे मुहाने पर खड़ा कर देता...