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ममिया ससुर के यौन-शोषण से बचने के लिए वह मुसलमान बन गई India Maharashtra 

ममिया ससुर के यौन-शोषण से बचने के लिए वह मुसलमान बन गई

बिधवाएं सोचती थीं, इससे तो अच्छा होता पति के बदले वही मर जाती. वृंदावन और काशी (बनारस) की विधवाओं को घर वालों ने एक बार जो वहाँ लेकर जाकर छोड़ दिया फिर पलटकर देखा तक नहीं कि वह जिंदा हैं या मर गयीं.

असीमा भट्ट/मुंबई (सभी फोटो लेखिका असीमा भट्ट की, वह मुंबई में वॉलीवुड और नाटकों की अभिनेत्री हैं)
Asima Bhatt1बात उन दिनों की है जब विधवा औरतें सती होने से तो बच जाती थी लेकिन समाज और रिश्तेदारों द्वारा उनका अन्य तरीकों से शोषण किया जाता था. बिधवाएं सोचती थीं, इससे तो अच्छा होता पति के बदले वही मर जाती. वृंदावन और काशी (बनारस) की विधवाओं को घर वालों ने एक बार जो वहाँ लेकर जाकर छोड़ दिया फिर पलटकर देखा तक नहीं कि वह जिंदा हैं या मर गयीं.
ऐसी ही दो औरतों के बारे में आज यहां लिख रही हूँ.
एक थीं …. नाम जाने दीजिये. शादी के बाद वैसे भी औरतों का नाम कहाँ होता है? वह या तो पति के नाम से जानी जाती हैं या जिस गाँव से व्याहकर आती हैं उस गाँव के नाम पर उस गाँव वाली कहकर बुलायी जाती थी. जैसे ‘डोमचांच वाली’ गौना कराकर ससुराल आये साल भर ही हुए थे कि एक दिन पति को खून की उलटी हुई और वह अचानक चल बसे. लोगों ने अलग ललग अटकलें लगाना शुरू कर दिया कि दुल्हिन डायन है. पति को खा गयी. कोई कहता किसी ने टोना टोटका कर दिया था. हो तो यह भी सकता है कि पति को टीबी हो और किसी ने ध्यान नहीं दिया. उनदिनों टीबी आम बीमारी थी और उसका इलाज़ संभव नहीं था. ससुराल में जो दुर्गति उसकी होनी थी सो हुई. उसके बाल काट दिए गए. जबकि माँ बताती हैं कि वह देखने में बहुत सुंदर थी. झक गोरी और नैन नक्श भी तीखे, वहीदा रहमान जैसी लगती थी.
एक दिन अचानक उसकी सास जो खुद भी विधवा थी उसे लेकर अपने भाई के पास आ गयी कि हम अकेली बूढी विधवा किस किस की नजर से बचायेंगे? एक तो जवान है ऊपर से मुझौसी सुंदर भी है. ग़रीब की मेहरू तो ऐसे ही पूरे गाँव की मेहरारू (पत्नी) होती है. ई हड़संख्यनी तो विधवा है. किस किस से बचावेंगे ?
भाई-भाभी के घर अपने घर की इज्ज़त अमानत के तौर पर छोड़ गयी.
Asima Bhatt2कुछ ही दिनों में रातों को उसके रोने-गिडगिडाने की आवाज़ घर में गूंजने लगी – ‘आप मेरे ममिया ससुर हैं. ऐसा अधर्म क्यों करते हैं ? हम तो आभागीन विधवा हैं ही. आप क्यों अपना ब्राह्मण धर्म भ्रष्ट करते हैं. हमको छोड़ दीजिये… जाने दीजिये….. आपके पैर पड़ते हैं …’
वह रिश्ते की दुहाती देती रही लेकिन बच नहीं पायी. ममिया ससुर अमीर थे. घर में रायफल रखते थे. घर में किसी की हिम्मत जो उनके खिलाफ चू करे.’
पता चला कि वह एक दिन भाग गयी.
किसी को पता नहीं कहाँ गयी.
लगभग दस साल बीतने पर उसे माँ ने एक मन्दिर में देख पहचान लिया. उसे पुकारती कि वह सर पर पल्ला रख मुंह छुपाते हुए भागने की कोशिश करने लगी. माँ ने पीछे से आंचल पकड़ा और कहा – मैंने पहचान लिया है आपको. भागोगे तो हल्ला करके लोगों को बता दूँगी कि आप घर से भागी हुई हो….’
वह माँ के पैरों पर गिर पड़ी. माँ उनसे रिश्ते में छोटी थीं इसलिए उन्हें अपने पैरों से उठाते हुए बोली – आप कुछ भी हैं मुझसे बड़ी हैं. मेरे पाँव मत पड़िए.’
वह रोते रोते बोली – ‘हमारा धर्म भ्रष्ट हो गया. दुल्हिन’ हम अब हिन्दू नहीं रहे.’
काहे
हमरे साथ जो हुआ सब जानती हो ?
लेकिन हमको बर्दाश्त नहीं हो रहा था. हम बहुत रोये उनके पैर पड़के कि हमरा इज्ज़त बर्बाद न करें, हमको जाने दें….हम तो बर्तन मांज के एक किनारे पड़े रहते. भूखे रह लेते लेकिन रिश्ता के ससुर के साथ ऐसा पाप ….
लेकिन आप भागी कैसे ? इतना खोजा गया. पुलिस में भी लिखवाया गया. कहीं पता नहीं चला. सब समझे कहीं मर गयी होगी लेकिन आज दस बाद अचानक …..
ग़रीब की मदद ग़रीब ही करता है दुलहिन. ऊ जो बूढ़ा नौकर थे, जहाँ होंवे भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. वह एक दिन रात में दरवाज़ा खोलकर हमको भगा दिये कि ‘ई नरक से निकल जाओ.’
भाग तो आये लेकिन आधी रात को कुछ समझ में नहीं आया कि कहाँ जाएँ ? सास के पास जायेंगे तो वह तो अपने भाई की बात पर भरोसा करेगी हम पर थोड़े ? और फिर से कहीं यहीं पटक गयी तो? भागते भागते भोर होने लगी तो कहीं कोई पहचान न ले डर के मार एक के घर में घुस गए. अब हम मुसलमान हैं दुलहिन. नमाज़-कुरान सब पढ़ते हैं.
कैसे ?
जिसके घर में घुसे उसकी घरवाली तीन बच्चा को छोड़कर मर गयी थी. हम उसके घर गए तो उसको सब बताये कि कैसे भागे हैं. हमको बचा लो. वे बोले – ‘एक शर्त पर तुम हमारे बच्चों की माँ बन जाओ.’
मन काँप गया कि कैसे धर्म भ्रष्ट कर लें लेकिन तीनों बच्चा के मुंह देखे तो लगा ससुर के साथ इज्ज़त गंवाने से अच्छा है इ अनाथ बुतरू के माँ बनके जीये. सच बताते है दुल्हिन. बहुत अच्छा आदमी है. बहुत इज्ज़त से रखा. बच्चा लोग हमी को माँ कहता है. बुर्का पहन के दस साल से इसी शहर में घूम रहे हैं इसलिए किसी ने नहीं पहचाना. वह तो आज शिवरात्रि है इसलिए…. उस आदमी ने किसी चीज़ के लिए रोक टोक नहीं किया. न नमाज़ पढने के लिए कहा न पूजा पाठ करने से रोका इसलिए आज मंदिर आने का मन हो गया.
भगवान भोले बाबा की कसम खाओ दुल्हिन तुम यह बात किसी को नहीं बताओगी… हम जहाँ हैं इज्ज़त से रहने दो.

दूसरी सच्ची कहानी

वह गंगा किनारे के गांव की थी. गोरी सुंदर. घने, लम्बे काले केश. लोग कहते साक्षात् दुर्गा का रूप है. कहते हैं उससे सुंदर दुल्हन कभी इस गांव में नहीं आयी थी. शादी के कुछ साल बाद ही उसका पति काम करने कलकत्ता गया. फिर वापस लौट कर नहीं आया. कुछ पता नहीं चला कि मर गए या …..
गांव में तरह तरह की बातें होने लगी. घर में सिर्फ विधवा सास थी. उसका अपना कुछ नहीं चलता था. चचेरे ससुर घर के मालिक थे.
कुछ दिनों बाद उसके साथ मार पीट करने लगे. वे चाहते थे कि वह अपने मायके चली जाए. लेकिन वह कहती रही – ‘हमको जहाँ मेरे पति लेकर आये थे. हम वहीं रहेंगे. अब यही हमारा घर है. चाहे जो हो जाए हम उनका इंतज़ार करेंगे. कभी ऊ लौटेंगे.’
एक दिन पूरे गाँव में बहुत गहमा गहमी थी. सब घर से हाथ में लाठी लेकर निकल रहे थे. चिल्ला रहे थे कि ‘डायन, रंडी, छिनाल ने पूरे गाँव की नाक कटवा दी. आज उसको खत्म कर देंगे…’
पूरे पंचायत में सबके सामने उससे यही पूछा जा रहा था -“उसके पेट में किसका पाप है?”
वह रो रो कर बार बार यही बोलती रही – ‘चचिया ससुर का …’
चचिया ससुर कह रहे थे – ‘इस बुढ़ापे में यही लांझन लगना बाकी था. जिस भतीजे को हम अपने बड़े भाई के जाने के बाद गोद में खिलाकर पाल-पोस कर बड़ा किये. उसकी दुल्हिन के साथ कैसे हम यह पाप करेंगे?’
वह बार बार कह रही थी – ‘हम सच बोलते हैं. जब भी हम कहते थे कि हमको छोड़ दीजिए तो यह कहते थे कि तुमको और तुमरी सास को जमीन में हिस्सा नहीं देंगे. दोनों को जान से मार देंगे. डायन बताकर माथा मुड़वाकर गांव से निकाल देंगे. ..’
पूरे गाँव वालों के साथ साथ उसकी सास ने भी उसपर भरोसा नहीं किया.
गाँव वाले कह रहे थे डायन है छिनाल.. पति खा गई या क्या किया कि वह लौट कर गाँव नहीं आया. इसको जलाकर मार देते हैं.
पंचायत ने कहा – ‘ऐसा नहीं कर सकते पुलिस केस हो जायेगा.’
गांव वालों ने कहा – सच बता दो तो छोड़ देंगे.
वह बोली – ‘सच ही बोल रही हूँ. जिसका बच्चा है उसी का नाम लूंगी न किसी का पाप किसी और के माथे पर कैसे मढ दें?’
गाँव बाले गुस्से से आग बबूला हो गए. सबने उसे मारा. क्या बड़े, क्या छोटे? कोई भी पुण्यकारी महान काम से कैसे दूर रहता?
एक तो पेट में छह महीने का बच्चा ऊपर से सबने उसके पेट पर लातों से इतना मारा कि वह वहीं ढेर हो गयी.
सामने काली माता का मंदिर था और एक निर्दोष औरत की बली पड़ी थी. खून से लथपथ उसका अधनंगा शारीर पूरे गाँव के सामने और भगवान के सामने पड़ा था ….

(इनमें से अब कोई भी जिंदा नहीं हैं इसलिए लिखा. समाज में यही अन्नाय देख कर बड़ी हुई कि औरतें कितनी भी सच्ची हो सुनी पुरुषों की जाती है)

Comments on facebook:

Ranjan Kumar: Oh . Atyant dukhad.
 
Raman Kumar: Roy Par Dharm badalna samasya ka Samadhan nahi…
Madhurendra Kumar: कहां की हैं वो… हमारा समाज कहां था… ऊनकी इस अवस्था और स्थिती के लिये हम जिम्मेदार हैं… हमारी बेटियों का आत्मा कष्ट हमारी मर्दानगी और हमारी क्षमता पर कलंक है… हमारी अन्तरात्मा ऊनसे क्षमा मांगती है
Roy Tapan Bharati: Madhurendra Kumar ji, वह अपनी सास से डर गई और उसे मजबूरी में मुसलमान का घर ठिकाना बनाना पड़ा
Deorath Kumar: दिल दहल उठा
Brijbhushan Prasad: सोसन करने वाले अभी भी बज नहीं आते।
Seema Sharma: घटिया आमानविय कर्म
Amit Sharma: निन्दंनिय कर्म
Amod Kumar Sharma: समाज से बहिस्क्रत होने पर ऐसा होता है। बिहार झारखंड मेंऐसे कुछ स्वजातिय गांव हैं जो किसी पूरखों के गल्ती के कारण आज भी बहिस्कार का दंश झेल रहे है।हालाकिं आर्थिक प्रगति होने के कारण अब मुख्य धारा में आ रहे हैं।बोकारो शहर के बगल में एक मुस्लिम गांव है जहा सभी कोई आज भी नाम के बाद राय टाईटल लगाते हैं।
 Roy Tapan Bharati: आमोदजी, आपने इस सच्ची कहानी के मर्म को एकदम सही समझा. असीमा भट्ट के मुताबिक नवादा शहर के आधे हिस्से में हिन्दू और आधे में मुसलमान रहते हैं…ममिया ससुर के चंगुल से भागी यह महिला रात में मुसलमान आबादी वाले हिस्से में भटक गई और सास के पास फिर जाना न पड़े तो मुसलमान की बीवी बनना मंजूर कर लिया
Guddu Sharma: Very sad
Kailash C Sharma: कहानी या घटना इस प्रकार द्रशाई गई है और वह भी ऐसे , कि ब्रह्मभट्ट वर्लड दुआरा प्रायोजित कि गई हो । ईससे ब्रह्मभट्ट समाज ही बदनाम होगा ।एक महिला रातों रात घर से भागी और अनजान मुस्लिम के घर में घुस गई, धर्म बदल लिया । एक मुस्लिम फिल्मी सत्री कहानी लिखती है , मुस्लिम का महिमा मंडन करती है । विश्वशनिता संदेहाजनक है । FB पर डालने से पहले क्या Admin ने सत्यता की जांच की ।
Anupama Rai: पुरुष प्रधान समाज में हमेशा से यही रहा है एक तो औरत ऊपर से विधवा जैसे किसी शिकारी को शिकार मिल गया हो हर बात के लिए औरतों को हमेशा गुनहगार माना जाता है। विधवा के बारे में यह सब पढ़ कर मन विचलित हो जाता है।
 Asima Bhatt: आप सही कह रहे है लेकिन तब में बच्ची थी. मैं तो यह भी नहीं समझ पायी थी कि विधवा होना क्या होता है और उन औरतों के साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है.
Roy Tapan Bharati: असीमा हमारे समाज की हैं और वह मूलत: नवादा की हैं…उन्होंने बताया, यह सच्ची घटना है और यह छापने का निर्णय असीमा का नहीं बल्कि मेरा फैसला है
 Rajiv Pandey: बहुत बुरा हुआ उस महिला के साथ
Roy Tapan Bharati: Kc sharma ji आप सीनियर व्यक्ति हैं। आप जानते हैं कि यह केवल ब्रह्मभट्ट समुदाय का मंच है इसलिए समाज के मंच पर.ऐसी चर्चा से मत डरिए। जरा सोचिए, उस अबला के साथ जो घटित हुआ उसके लिए आखिरकार दोषी कौन है? हमारा मकसद उस महिला की महिमा का बखान करना नहीं है। अगर वह सरेंडर करती तो ममिया ससुर की रखैल हो.जाती है।
Ssangeeta Tiwari: ममिया श्वसुर ने निंदनीय कृत्य किया,,,लेकिन क्या इस्लाम इससे अछूता है जहां अपनी ही बहन बेटी के साथ रोज दुष्कर्म होते है, उस औरत के लिए अन्य भी कई रास्ते थे,,लेकिन उसने इस्लाम ही क्यो चुना,,,हिन्दुओ में भी कई विधुर होंगे जिसको जीवनसाथी की तलाश होगी ,उनके साथ भी जीवन बीता सकती थी।
Radhey Shyam Rai Shyamrohtasi: Right, सही कहा आपने
Srikant Ray अत्यंत निंदनीय और जघन्य कार्य।
Kapil Bhatt इस प्रकार का समाचार कहा से लाते है आप कभी कोई लडकी अन्तरजातीय विवाह करती है उसका पति उसे छोड़ देता है आप कहते है ब्रह्मभटट जाति के बेटी को उसका पति छोड़ दिये मशाल जुलूस निकालिये क्यो निकाले कभी इस्लाम कबुल कि औरत कैसी सहानुभूति इतनी बड़ी समाज मे कोई रिश्तेदार नही था उनका
Roy Tapan Bharati कहानी का मर्म समझिए। वह बेबस थी। उसकी सास ने ममिया ससुर के नरक में ढकेल दिया था। उसंने ससुर का रखैल बनने के बजाय किसी विधुर का पति बनना मंजूर किया। उसका मायका कमजोर था और उसकी मदद कोई नहीं कर रहा था।
आपको बता दूं कि उस दहेज पीड़ित लड़की के लिए दिल्ली में जुलूस नहीं निकालना पड़ा। वह अपना केस खुद लड़ रही है, उसने समाज से कोई मदद नहीं म़ांगी। उस लडकी की शादी उसके मां बाप ने ब्राह्मण परिवार में अरेंज्ड शादी की थी कि समाज में दहेज लाल वाले परिवारों से वह हार गये थे।
 
 Sanjeev Ray, Patna: ओह्ह!!! इतना मर्मस्पर्शी की रोना आ रहा है, या समझिए कि रो दिया। दिखा तो नही सकता, मगर विश्वास भी नही होता कि ऐसा हो सकता है, क्या?
दोनो कहानी ने झकझोड़ के रख दिया। काश, वो जो भी था….उसको सड़क पे घसीट-घसीट कर मैं मर सकता।😢😢
Pawan Ray उस से मिलती जुलती कहानी दहेज पिड़ित बहुत है महाशय एक दो का मदत कर दिजीये तो उन आत्माओं को शान्ति मील जायेगी
Sanjeev Rai, Mumbai: apane charitr ko uttam koti ka saabit karane k liye aksar badachalan auraten kisi k charitra ko ganda sabit kar he deti hai.ghar ki maryaada ko langhne k baad swayam ka charitra uttam bataane ki yeh ek naatakiy vidha hai.jisane aapke samaaj ko thukaraya ho usako aap apane samaaj ka kahate rahane k liye majaboor kyu hai?
 Pawan Ray इतिहास इस तरह की घटनाओं से भरा पड़ा है , रखनी शब्द मैंने बहुत सी बातें सुना हु
 Bhisham Tiwary: Ye ek aisi sachai hai jo her jagah kisi n.a. kisi roop me hai . Itni bebak tarike se is manch per isko rakhne ke liye dhanyabad
Prabhakar Sharma: कहानी या घटना ज़िस भी समुदाय का हो बेहद निन्दनिये हैं . लेकिन बहुत वर्षो पहले की घटना को आज के वदलते परिवेश में जिक्र करने से समुदाय के सम्मान में ह्रास ही होगा. अब पुरूष माहिला काफि सजग हैं . इस तरह् की घटना की ज़ानकारी समय समय पर अन्य माध्यम से भी मिलते हैं . महिलाओ को सदा सचेत रहने की ज़रूरत हैं . साथ साथ पुरूष में भी माहिला के लिये नैतिकता पूर्ण सहयोग की भावना होनी चाहिये .
 Diwakar Sharma, Lko: इतनी बेहूदा पोस्ट जिसकी भाषा में इतनी अभ्रदता है,जो तथ्यहीन है और भ्रामक है भट्ट समाज को बदनाम करने की कोशिश मात्र है राय तपन भारती और उनकी प्रबंधन समिति पर भी शंका हो रही है कही इस Website से धन लाभ का खेल तो नही खेला जा रहा है ।
Sanjay Rana This should not have been posted,pls remove it immediately
Akhileshwar Sharma: Very bad step.it is just like coward act.Muslims are not good,where are very. I didn’t know how far it is true.

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