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राजकुमार शुक्ल भी जातिवाद के शिकार हो गये थे… Bihar India 

राजकुमार शुक्ल भी जातिवाद के शिकार हो गये थे…

राजकुमार शुक्ल की याद में रांची के कांग्रेस नेता अजय राय ने 7 साल पहले भी यादगार कार्यक्रम किया था
Written by Roy Tapan Bharati/New delhi

-25-30 साल पहले आपमें से 99 फीसदी राजकुमार शुक्ल को नहीं जानते थे और न ही बडे स्तर पर कोई कार्यक्रम कर भारत की आजादी में उनके योगदान को याद करता था। पाठ्य पुस्तकों में भी इसका जिक्र अलग से नहीं था। यानी वे जातिवाद के शिकार हो गये थे। करीब 30-32 साल पहले मेरे पिता स्वर्गीय राय प्रभाकर प्रसाद जी ने मनोहर कहानियाँ पत्रिका में राजकुमार शुक्ल पर एक लेख पढ़ा। तब वे रांची के एक्जक्यूटिव मजिस्ट्रेट थे। यहीं से राजकुमार शुक्ल की एक नई कहानी आरंभ हुई। उन्होंने राजकुमार शुक्ल पर लंबा शोध इसलिए नहीं किया कि वे ब्रह्मभट्ट थे बल्कि नील आंदोलन के लिए महात्मा गांधी को चंपारण ले जाकर देश के इतिहास को एक अनोखा मोड़ दिया। उस रिसर्च के बाद पिताजी ने 30 साल पहले राजकुमार शुक्ल पर एक रोचक किताब लिखी और अपने पैसे से किताब छपवाई। कुछ वर्षो बाद सरकारी संस्थान नेशनल बुक ट्रस्ट को यह किताब पसंद आ गई और अब हर साल NBT इसे प्रकाशित कर रहा है। इसी किताब को आधार बनाकर डाक विभाग ने शुक्लजी पर डाक टिकट निकाला। वैसे पुस्तकों में छिटपुट नील आंदोलन के साथ कहीं-कहीं शुक्लजी का नाम मिल जाता था। पर अलग से राजकुमारजी पर कोई पाठ्क्रम कभी नहीं देखा गया।

पर आज से सात साल पहले मार्च 2011 में रांची के कांग्रेस नेता अजय राय ने राजकुमार शुक्ल की याद में पहला भव्य सेमिनार बुलाया। रांची के एसडीसी सभागार में केंद्रीय मंत्री रहे सुबोध कांत समेत अनगिनत लोग आये। अजय रायजी ने उसी साल अगस्त में देवघर में राजकुमार शुक्ल पर एक कार्यक्रम रखा। फिर 2012 में दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में शुक्लजी पर भव्य कार्यक्रम अजय ने किया जिसमें मेरे अलावा अमरनाथ अमर और अजय शर्मा भी आमंत्रित थे। अजय शर्मा शुक्लजी के नाती हैं। इसके बाद तो अजय राय निरंतर शुक्लजी की याद में हर साल कार्यक्रमों की अलख जगाते रहे। अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने शुक्लजी की 90वीं पुण्यतिथि पर रांची के विधानसभा के एक सभागार में परिसंवाद कराया जिसकी तारीफ चौतरफ़ा हो रही है। पर अजय राय ने कभी इसका राजनीतिक लाभ नहीं उठाया।
दो-तीन साल पहले राजेश भट्ट जी ने राजकुमार शुक्ल पर एक ट्रस्ट बनाकर बड़ा अच्छा काम किया जिसके मातहत हर साल शुक्लजी पर अच्छे कार्यक्रम कर रहे हैं। इनके अलावा भी अब बहुत सारे स्वजन अलग अलग जगहों पर अलख जगा रहे हैं।
एक अच्छी बात रही कि इस साल पटना और बेतिया में भी उनकी याद में कार्यक्रम हुआ। जाहिर है राय प्रभाकर जी का शोध और अजयजी का राजनीतिक प्रयास शुक्लजी के कृतित्व को अमर रखने में मददगार साबित होगा।

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शास्त्री विजय बल्लभ: कक्षा 12 की इन सी ई आर टी की अंग्रेजी की पुस्तक में पांचवां पाठ है इंडिगो जो की लुई फिशर की पुस्तक का एक अंश है उसमें राजकुमार शुक्ल जी का उल्लेख है।
Roy Tapan BharatiYou and 12 others manage the membership, moderators, settings and posts for Brahmbhattworld. पूरे लेख में दो-तीन लाइन शुक्लजी के लिए…
Dilipkumar Pankaj यह प्रयास अवश्य रंग लाएगा। पंडित शुक्ल ने जिन परिस्थितियों में किसानों की रक्षा एवं देश की अर्थव्यवस्था के लिए क्रूर अंग्रेजों से लोहा लिया वह अपने आप में एक बेमिशाल कार्य है। बहरहाल शुक्ल जी को जिस प्रकार आज हाथों-हाथ लिया जा रहा है वह भविष्य के लिए शुभ संकेत है। काश चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष मनाने वाली हमारी सरकारें किसानों का कुछ हित कर पातीं।
Neeraj Bhatt साँच को आंच नहीं , प्रामाणिकता के साथ इस सच्चाई जो अपने रखी है ,सात साल पहले अजय राय ने राजकुमार शुक्ल जी कार्क्रम की नीब रखी थी ,आज कार्यक्रम की होड से मची है ,काबिलेतारीफ है ,इसमे और जोश औऱ उत्साह के साथ राजकुमार शुकल जी के यादों को अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने मे कोई कोर कसर न रह जाय ।धन्यवाद
Munna Bhatt राजकुमार शूकल जी के बारे मे 30 सालो से कायॅकरम करते आ रहे है शिकारपुर निवासी रविनदर शमाॅ जो जाति के गांव- गाँव जाकर लोगों को बताते थे !आज कुछ अपना दूकान चला रहे है वाह वाही का
Roy Tapan Bharati: इस जानकारी के लिये धन्यवाद…पर अजय राय जी ने नेशनल लेवल पर काम किया…रविनदर शमाॅ जी भी बेतिया में अच्छा काम कर रहे हैं जिसकी जानकरी भी है हमे…पर कब से यह नहीं पता
Neeraj Bhatt मुन्ना जी अच्छी जानकारी आपने भी दी है ,पर आपकी नीचे लिखे बातो से हम सहमत नही है ,दुकानदारी सब्द का इस्तेमाल करने से आपकी मानसिकता का पता चलता है कि आप इस मंच पर सस्ती लोकप्रियता अर्जित करना चाहते है । अगर आपका कोई इस तरह का योगदान हो तो बताये ताकि उसकी भी सराहना समाज कर सके ।
Amod Kumar Sharma अग्रेजों के जमाने में खेत मजदूरों के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाना और हक की लङाई करना बहुत ही कठिन था।विषम परिस्थितियों में भी डटे रहे।गांधी जी को भी साथ देने के लिए आना पङा।स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा एवंम असाधारण व्यक्तित्व के धनी श्रद्धेय राजकुमार शुक्ल जी को शत शत नमन।
Ram Sundar Dasaundhi जो भी राज कुमार शुक्ल के कृतित्व को प्रसारित कर रहें हैं, उनको साधुवाद। बिहार सरकार ने राज कुमार शुक्ल को भारत रत्न की शिफारिश की है। हर कोई को अपने संपर्कों के माध्यम से सांसदों की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखवाने का प्रयास करना चाहिए।
हरिओम प्रासाद राय भट्ट: अजय जी बहुत ही अच्छे आदमी है, अच्छे कार्य में हमेशा तत्पर रहते हैं, हमे भी किसी न किसी समय सहयोग तो किया ही है जिससे हम हमेशा अभारी रहेंगे, राजकुमार शुक्ल जी प्रोग्राम में बढ़कर, भाग लेने और सफल बनाने के लिए उन्हें और उनके Team को बहुत बहुत बधाई
LaxmiNarayan R Sharma 1997 मे मे रे मित्र रायप्रभाकर जी कानपुर मेरे आवास पर पधारे थे और शुक्ल जी पर लिखित पुस्तक भेंट कीथी इसके पूर्व मुझे भी कोई जानकारी नहीं थी।।मैं उनका आभारी हूँ।
Gaya Prasad Roy अजय राय जी ने समाज में एक जुटता के लिए जो सराहनीय कार्य करने की बीड़ा उठाये है ओ सही में काबिले तारीफ है।।।।इनके अंदर सबो को लेकर चलने की ललक दिख रही है,ऐसे में हम सारे अपने भट्ट समाज के लोग इनकी मनोबल को मजबूती प्रदान करनी चाहिए।।।।।ऐसे प्रबुद्ध ओर सक्रिय लोगो का होना किसी भी समाज के लिए सौभाग्य की बात है।।।
Rajesh Kumar Bhatta पं० राजकुमार शुक्ल पर आयोजित समारोहों का क्रमबद्ध विस्तृत जानकारी देने को लेकर आदरणीय अग्रज राय तपन जी को मेरा यथोचित अभिवादन । हर्ष की बात है कि इन पर पूर्व भी आयोजन सहित चहुँमुखी प्रयास हुए हैं । लेकिन अतीत की चर्चा कर हम क्या हासिल कर पायेंगे । बेहतर होता कि हम अब आगे की रणनिति पर चर्चा करते ।मैं बहुत हीं विनम्रता पूर्वक कहना चाहूँगा कि अब हम आगे और क्या कर सकते हैं और कैसे इन्हें भारत रत्न के करीब लायें, इस पर विचार करने की आवश्यकता है । किसी अन्य संगठन से किसी भी रुप में स्मृति संस्थान का कोई स्पर्धा नहीं है । सबका स्वतंत्र अस्तित्व है । सब उस विभूति के प्रति समर्पित भावना से कार्य कर रहे हैं। समाज में जागरण इधर एक वर्ष में जो आई है यह भी काबिले तारीफ है । और अधिक जागृति की आवश्यकता है । समाज को ऐसे संदर्भो पर एकजुट होकर इन्हें स्थापित करने का सामूहिक प्रयास की जरुरत है , न कि तुलनात्मक अध्ययन ।
Tripurari Roy बिल्कुल सही । हमें तुलनात्मक अध्ययन से बचना चाहिए और आगे की रणनीति में एक सुर से आगे बढ़ना चाहिए ।
Dilipkumar Pankaj इस पोस्ट का अभिप्राय चाहे जो हो। किन्तु यह विवरणात्मक एवं समीक्षात्मक से ज्यादा तुलनात्मक लगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि कलांतर में भी बहुत लोगों ने अपनी लेखनी और समारोहों से पंडित जी के विराट व्यक्तित्व की अलख जगाई है। किंतु, यह बताने में जरा भी हिचक नहीं होनी चाहिए कि यह नवउभार हाल के वर्षों में ही आया है। सोशल मीडिया की ताकत ने इसे एक नया व व्यापक कलेवर दिया है। खैर , हमें इन बातों पर समय जाया करने की बजाए, उस व्यापक मुहिम में अपना सक्रिय सहयोग देना चाहिए जिसे पंडित राजकुमार शुक्ल स्मृति संस्थान ने आदरणीय शुक्ल जी को भारतरत्न दिलाने के निमित चला रखी है। हर प्रयास का वन्दन, हर भाई का अभिनंदन।
Niteshwar Prasad Rai शुक्ल जी के याद ताजा करने के लिए भरथुआवासी 1975 में मुजफ्फरपुर मे एक कमिटी हाल में
उनका पुण्यतिथि मनाया था मैं भी उसमें हिस्सा लिया था

 

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