You are here
BBW: एक बड़े कैनवास पर समाज को देखने का अनुभव India Uttar Pradesh 

BBW: एक बड़े कैनवास पर समाज को देखने का अनुभव

नजदीकी रिश्तेदारों के अलावा इर्द गिर्द 10-20 परिवार को जान लेना ही काफी नहीं। ब्रह्मभट्टवर्ल्ड  के जरिए बड़े कैनवास पर समाज को देखना एक सुखद अनुभव है। उनमें कुछ लोगों से संपर्क की अच्छी शुरुआत हुई।

महेंद्र भट्ट/ इलाहाबाद
ब्रह्मभट्ट वर्ल्ड से जुड़ने के बाद समाज का फैलाव महसूस हुआ। नजदीकी रिश्तेदारों के अलावा अपने इर्द गिर्द दस बीस परिवार को जान लेना ही काफी नहीं। एक बड़े कैनवास पर समाज को देखना एक सुखद अनुभव है। उनमें कुछ लोगों से संपर्क की अच्छी शुरुआत हुई।
 
इसी कड़ी में 1 जून (शुक्रवार) को मैं अपनी पत्नी गीता जी के साथ आदरणीय भाई बच्चा तिवारी जी के घर पहुंचे। आपसे पहली मुलाकात रांची मंथन के दर्म्यान हुई थी। उस समय साथ में उनके छोटे पुत्र सतीश जी भी आए थे। सतीश जी पंजाब नेशनल बैंक की सर्कल ब्रांच में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। संप्रति वे इलाहाबाद में ही कार्यरत हैं।
 
पूर्व सूचना देकर हम लोग घर पहुंचे। वहां बच्चा भैया की बहू अंकिता जी (श्री अजीत भट्ट और उर्मिला जी की बेटी) ने आत्मीयता से हम लोगों का स्वागत किया। घर में बच्चा भैया, भाभी जी श्रीमती सरस्वती जी, बहू अंकिता के साथ दो बच्चे पोती अक्षता (4 वर्ष) और पोता साकेत (2 वर्ष) सभी थे। सतीश जी अपने आॅफिस में थे।
 
फिर चल निकला पारिवारिक बातों का दौर। अपनी नौकरी (टाटा जमशेदपुर) अपने बच्चों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बड़े बेटे संजय जी जमशेदपुर में ही हैं और टाटा के एच आर विभाग में लाॅ कंसल्टेंट हैं। बच्चा भैया की बड़ी बहू मेरी सरहज की छोटी बहन है। हमारे परिवार के विषय में भी आपने दिलचस्पी दिखाई। मजेदार बात यह है कि भैया फेसबुक पर बहुत सक्रिय रहते हैं और हम लोगों की गतिविधियों पर विशेष ध्यान रखते हैं।
 
इससे पहले 31 मई को भाई साहब सतीश जी के साथ मेरे शोरूम पर मिलने आए थे। उस समय दो बात प्रमुखता से उठी। एक इलाहाबाद स्थित हमारा ब्रह्मभट्ट संगठन की नगण्य उपस्थिति। सतीश जी ने पूछा कि यहाँ सामाजिक रूप से कौन ज्यादा सक्रिय है। मेरे दिमाग में फौरन श्री जितेंद्र शर्मा (नैनी इलाहाबाद) का नाम आया। हम दोनों ने तय किया कि उनसे मुलाकात की जाएगी।
 
दूसरी बात बच्चा भैया ने अर्धकुंभ आने की इच्छा जताई थी। उसके लिए हम लोगों ने इंतजाम सोचा। हालाँकि सतीश जी खुद सक्षम हैं, लेकिन हम दोनों ने अपना संकल्प व्यक्त किया।
 
एक जून को जब हम आपके घर पहुंचे भाई साहब और भाभी का सादगी भरा और बेतकल्लुफ स्नेह मिला। पूरे समय दोनों बच्चे हम लोगों से घुल मिल कर धमाचौकड़ी मचाते रहे। इससे पहले कि हम लोग जाने की अनुमति लेते बहू अंकिता ने स्नेह के साथ खाने का आग्रह किया। फिर खाने के बाद हम लोगों ने दुबारा मिलने की उम्मीद के साथ विदा लिया।

Related posts

Leave a Comment