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मेहनतकश स्वजनों से गुलजार है बिहार का यह मकेर गांव Bihar India 

मेहनतकश स्वजनों से गुलजार है बिहार का यह मकेर गांव

अरविंद कुमार/एक्जक्यूटिव इंजीनियर, UPCCL,  लखनऊ

“यूं तो हमने लाख, हँसी देखे हैं,
तुम सा नहीं देखा।।”

लेखक: अरविंद शर्मा, एक्जक्यूटिव इंजीनियर at UPCL/लखनऊ

बात जब गांवों की होती है, वो भी आपकी जन्मभूमि की तो आपका अति उत्साहित होना स्वाभाविक है। आपकी अनगिनत यादें जो जुड़ीं होती हैं। उस पर यदि आप मुख्यालय से सम्बद्ध होते हैं तो लिखने-पढ़ने का भी ज्यादा अवसर उपलब्ध हो जाता है।

जी हाँ, आज मैं मैं बात कर रहा हू, अपने पैतृक गांव मकेर की। मकेर, नारायणी (गण्डक) नदी के किनारे बसा प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण मेरा गांव। बिहार में छपरा ज़िला मुख्यालय से 30 कि मी और राज्य की राजधानी पटना से 60 कि मी की दूरी पर छपरा-मुज़फ़्फ़रपुर राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या NH-102 पर स्थित विशुद्ध स्वजतियो का गांव मकेर। वर्षों से बुनियादी सुविधाओं का अ‍भाव। परंतु अब सारी सुविधाओ से परिपूर्ण। नजारा बदला हुआ।

करीब 90 घरों का स्वजातीय लोगो का गांव, अपनी मेहनतकश लोगों से गुलजार है। गांव से प्रबुद्धजन इंजीनियर ,वैज्ञानिक जियोलॉजिस्ट, बैंकर ,निरीक्षक, लेक्चरर, शिक्षक परंतु डाक्टर (अभी तक नहीं) तथा अन्य भारत तथा बिहार सरकार के संस्थानों में कार्यरत हैं। कई लोग सेना में भी अपनी सेवाएं दे रहे है।

गांव से महज 06 कि मी की दूरी पर वैशाली के रूप में विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मौजूद है। वैशाली भगवान बुद्ध तथा महावीर की कर्मस्थली रही है तथा लिच्छिवियों की प्रथम गणराज्य के रुप मे भी इसकी ख्याति रही है। वर्त्तमान में बौद्ध सर्किट के रूप में बोधगया तथा अन्य स्थलों से जुडी हुई है। यहाँ पर भगवान बुद्ध का विशाल मंदिर जापानी सरकार की मदद से निर्मित है तथा पर्यटन कि दृष्टि से अन्य कई महत्वपूर्ण परियोजनाए निर्माणाधीन है। गांव से महज आधे किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्वी छोर पर निर्माणाधीन छपरा-दिघवारा-मकेर -मुज़फ़्फ़रपुर रेल लाइन पर रेलवे स्टेशन प्रस्तावित है जिसके लिए ज़मीन अधिग्रहण का कार्य पूरा हो गया है।इसके निर्माण के बाद यह गांव छपरा-मुज़फ़्फ़रपुर-पटना से सीधी रेल सेवा से जुड़ जाएगी।

गांव के ठीक बीचों-बीच भगवान शंकर महादेव का विशाल मन्दिर विराजमान है जहां हमेशा कीतर्न-भजन से संपूर्ण गांव में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। हर साल सावन सोमवारी को यहां महामृत्युंज जाप तथा अष्टयाम आदि का आयोजन होता है जिसमें समस्त ग्रामवासी हर्षोल्लास से भाग लेते हैं। गांव में एक विशाल सरोवर भी मौजूद है जहाँ गाँव की मइयाजी भी विराजमान हैं।हालाँकि अब पानी का लेवल बारिश के मौसम में ही उपलब्ध है।

छठ पूजा में यहाँ की दृश्य अद्भूत रहता है। गांव के दक्षिणी छोर पर विशाल क्रीड़ा स्थल जहाँ वर्षो से अनेक ग्रामीण खेल -कूद प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन हो रहा है। गांव छपरा मुज़फ़्फ़रपुर राष्ट्रीय राज मार्ग से पक्की सडक़ से जुड़ा होने के कारण आवागमन का सुगम साधन उपलब्ध। बिजली अब 18 से 20 घण्टे। रात्रि ट्रिपिंग मुक्त। परिणामस्वरूप रोजगार /ब्यवसाय के छोटे अवसर भी उपलब्ध। विगत कुछ सालों में नीतीश कुमार की सरकार ने लगभग सभी गांव में बुनियादी सुविधा तेज़ी से उपलब्ध कराया है जिसके लिए वे बधाई के पात्र है। गाँव की उर्वर भूमि कृषि के लिए अत्यंत ही उपयुक्त है। अतः गांव का मुख्य पेशा खेेेती ही है। गाँव के पास अब गुणवत्ता पूर्ण निजी स्कूल भी संचालित है।

गांव से लगभग 02 कि मी की दूरी पर उत्क्रमित राजेन्द्र विद्या मंदिर उच्च विद्यालय शिक्षा के मंदिर के रूप में विद्यमान। आवागमन के लिए दरवाज़े तक स्कूल बस/ऑटो रिक्सा भी मौजूद। विगत कुछ वर्षो में लगभग अब हर गांव की यही स्थिति बन रही है। जरूरत है अब सिर्फ सोच और वातावरण बदलने, उसे और ऊर्जावान तथा परिपक्व बनाने की, ताकि खुले आसमां में फैले अपने सपनों को हकीकत में बदला जाय। बच्चे कामयाबी की बुंलदियों को छू सकें। गांव से जुडे रहने के लिये मेरे प्रेरणाश्रोत रहे मेरे पापा श्री सीताराम शर्मा, मां के साथ सेवानिर्वती के पश्चात समय मिलने पर, गाँव में ही समय बिताना पसन्द करते हैं। इनका कहना है कि बेटा परिवर्तन और विकास समय का चक्र है पर अपने लोगो और अपने मूल से हमेशा जुड़े रहना चाहिए।
धन्यवाद bhrammbhatt world group तथा इसके संस्थापक को जिसके माध्यम से विगत कुछ दिनों में अनेक स्वजातीय गांवो के बारे जानकारी उपलब्ध हुई।

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