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बच्चों के लिए एसेट नहीं, सिरदर्द बनती हैं प्रॉपर्टी Delhi India 

बच्चों के लिए एसेट नहीं, सिरदर्द बनती हैं प्रॉपर्टी

ऐसा निवेश करें जिन्हें मैनेज करना आसान हो। डिपॉजिट, शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड्स को नॉमिनी बनाना आसान

डिपॉजिट, इक्विटी शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड्स जैसी फाइनेंशियल एसे‌ट्स लेकर नॉमिनी बनाने में फायदा

बच्चों के नाम प्रॉपर्टी में इनवेस्टमेंट इसलिए करना चाहते हैं कि उससे मिलने वाला रिटर्न मतलब प्रॉपर्टी की कीमत और उससे किराए के तौर पर मिलने वाली रकम में समय के साथ बढ़ोतरी होगी। दरअसल, इस अचल संपत्ति को हैंडल करना आपके बच्चों के बड़े होने पर उतना ही मुश्किल होगा जितना अभी आपको हो रहा है। भले ही आपको खुशी होती होगी कि उस प्रॉपर्टी पर आपके बच्चे का नाम है।

studioapartments30 साल पहले आप कहां थे? जरा सोचिए कि बच्चा बड़ा होने के बाद किसी दूसरे शहर या देश में सेटल हो गया तो क्या वह अपनी प्रॉपर्टी की देखरेख कर सकता है? हां, अगर आपका बच्चा बड़ा होकर उसी मकान में रहता है जिसे आपने उसके नाम पर खरीदा है तो अलग बात है। लेकिन आप खुद को देखिए कि 30 साल पहले आप कहां थे और आज कहां हैं ? यह भी देखिए कि वहां तब किसी फैसिलिटी को लग्जरी और किसको जरूरत माना जाता था? मतलब पहले वन बेडरूम किचन से निकलकर 2 बीएचके में आना लग्जरी लगता होगा, अब वह जरूरत हो गई है। जबकि जॉगिंग ट्रैक और स्विमिंग पूल वाला थ्री बीएचके लग्जरी है, लेकिन यह अगले 30 साल में जरूरत से कमतर लगने लगेगा।
चलिए ठीक है कि प्रॉपर्टी के दाम में वक्त के साथ बढ़ोतरी होगी, लेकिन उसको सही हालत में रखने और मालिकाना हक के साथ आनेवाली जिम्मेदारियां भी तो बढ़ेंगी। आपके बच्चे को उसका सोसाइटी चार्ज और प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराने के लिए ऐसे लोगों से मिलना होगा, जिसे आपने लाइफ में कभीकभार देखा होगा। अगर बच्चा अपने नाम पर आपकी तरफ से खरीदे मकान में नहीं रहता है तो उसको किराए पर चढ़ाने में नाक में दम हो जाएगा। हर 11 महीने पर रेंट लीज पर दस्तखत करना होगा और ब्रोकर को 33 महीने की डील के लिए मनाना होगा। और पूरा कमीशन एक बार में देना होगा। मकान के रेनोवेशन, रिपेयर, मेंटेनेंस, पेंटिंग और मॉडर्नाइजेशन का काम भी सिरदर्द होता है। इसमें फायदा तभी होता है जब बच्चा उस मकान में रहता हो।
उसको मिलियनेयर बना रहे? अगर आपको लगता है कि उनके नाम प्रॉपर्टी खरीद कर आप अभी से उसको मिलियनेयर बना रहे हैं तो कि क्या वह उस मिलियन का इस्तेमाल पसंदीदा और सामान तरीके से कर सकता है? जरूरत पड़ने पर फंड जुटाने के लिए एक पोर्शन मतलब एक रूम किचन बाथरूम तो बेचा नहीं जा सकता। अगर प्रॉपर्टी को बेचने की नौबत आए तो और भी उलझनवाली स्थिति बन जाती है। क्योंकि बाद में वह यह सोचकर परेशान होते रह सकते हैं कि मकान नहीं बेचा होता तो अच्छा रिटर्न मिलता। अगर वह प्रॉपर्टी आपने बच्चे के लिए अपने नाम पर खरीदी है तो बच्चे को वह अपने नाम कराने के लिए कितनी बार कोर्ट जाना होगा, कितनी फीस देनी होगी, रजिस्ट्रेशन में वक्त लगेगा, स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी।
जिन्हें मैनेज करना आसान हो: इससे बेहतर तो यही होगा कि आप बच्चों के नाम ऐसी चीज करें, जिन्हें मैनेज करना आसान हो। डिपॉजिट, इक्विटी शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड्स जैसी फाइनेंशियल एसे‌ट्स लेकर बच्चे को नॉमिनी बनाने में फायदा है। बच्चा बालिग होने के बाद आसानी से दुनिया में कहीं से भी उसको ऑपरेट कर सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे बेचकर बैंक एकाउंट में रकम हासिल कर सकता है। 

इकोनॉमिक टाइम्स से साभार

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