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आनंद-भोज” में गरीबों के साथ असीम आनंद की अनुभूति Bihar India 

आनंद-भोज” में गरीबों के साथ असीम आनंद की अनुभूति

आइये, हम सब संकल्प लें कि अनाज की बर्बादी नही होने देंगें और उसी अनुपात में अनाज-साग-सब्जी अपने देश के गरीबों को समर्पित करेंगें

लेखक: Bhatt Navin Kr Roy, पुलिस इंसपेक्टर, जमशेदपुर, झारखंड.

 

एक अनूठा प्रयास,“आनंद-भोज”, जिसके लिए जितनी भी सराहना हमारे मित्र पारस नाथ मिश्रा जी और उनकी संस्था सुभाष युवा मंच के सभी कर्मठ सदस्यों की की जाय, कम ही होगी। मैं वर्ष 2014 से प्रतिवर्ष पितृ पक्ष की समापन तिथि के रोज कुछ ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा और भोजन कराने का पुण्य कार्य अपने पूर्वजों की स्मृति में करा रहा था।

इस वर्ष भी यही योजना थी। पर इसी बीच पारस जी द्वारा,”आनंद भोज” का पहल किये जाने की सूचना मिली। मैं सोंचने लगा कि क्या हफ्ते में एक दिन और वो भी एक शाम कुछ गरीबों को भोजन करा देने से गरीबों की भूख मिट जाएगी? बिल्कुल ही नही। पर यदि समाज के सामर्थ्यशाली सज्जन इस दिशा में अपने-अपने कदम आगे बढ़ाएं तो वर्ष के प्रतिदिन यह कार्यक्रम संभव हो सकता है। चाहे वो पारस जी की संस्था के माध्यम से हो या फिर किसी और संस्था के बैनर या फिर बिना बैनर के संपन्न हो। उद्देश्य गरीबों को भोजन कराना है, तो फिर बैनर या कोई नाम उतना महत्वपूर्ण नहीं रह जाता। इसी सोच ने मुझे यह सोंचने पर मजबूर कर दिया कि क्या ब्राह्मण-भोज के बजाए गरीबों को भोजन कराना ज्यादा उचित नहीं होगा और मैंने तुरत अपना निर्णय लिया और दिनांक 09-10-2918 पितृ पक्ष के अमावस्या तिथि को घोषित,”आनंद-भोज” की जिम्मेदारी खुद उठाने का निर्णय किया।

आशानुरुप पारस जी की स्वीकृति मिली और उक्त तिथि को यह पूण्य अवसर मुझे मिला। सच पूछिये तो उन गरीबों को खिचड़ी खिलाने और उनके साथ खुद भी खिचड़ी खाते हुए समय बिताने में असीम आनंद की अनुभूति हुई। प्रायः देखा जाता है कि हम में से अधिकाँश परिवार के घर से प्रतिदिन लगभग 200-250 ग्राम अनाज,सब्जी आदि खाद्य पदार्थ जूठन से बचे हुए अवशेष के रूप में कचड़ा बन जाया करता है।

ऐसे अनाज को बर्बाद होने के बजाए यदि हम प्रतिदिन मात्र 100 ग्राम अनाज-सब्जी ही अपने घरों में गरीबों के नाम पर जमा करें और कुछ संग्रह हो जाने पर कुछ लोग अपने अंशदान को मिलाकर या फिर बचत किये गए अनाज को पारस मिश्रा जी जैसे समाजसेवी की संस्था को दान कर दें तो निश्चित मानिए सालों भर हजारों गरीबों को निःशुल्क भोजन कराया जा सकता है। ऐसा करने से हमारा कुछ भी नुकसान नही हो सकता, पर हमारे इस मामूली पर महत्वपूर्ण योगदान से हजारों भूखों की भूख जरूर मिट सकती है। और यकीन मानिए जब उन गरीबों के चेहरे पर भोजन उपरान्त तृप्ति का एहसास दिखेगा तो उनसे ज्यादा ख़ुशी और संतुष्टि आपको मिलेगी।
तो आइये हम सब संकल्प लें कि अनाज की बर्बादी नही होने देंगें और उसी अनुपात में अनाज-साग-सब्जी अपने देश के गरीबों को समर्पित करेंगें।धन्यवाद।

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