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मंथन एक सोच जिसने सामाजिक सहयोग की भावनाओं को जन्म दिया: बसंत राय Delhi India 

मंथन एक सोच जिसने सामाजिक सहयोग की भावनाओं को जन्म दिया: बसंत राय

मेराअनुभव: मंथन चला, बहुत अच्छा चला और लगा कि इतने बड़े आयोजन के लिए पहले से रिहर्सल किया गया हो। 

साल के पहले वीकेंड पर J&K-हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी, दिल्ली-NCR में बारिश

शनिवार को अधिकतम तापमान 23 डिग्री रहा, जो सामान्य से 3 डिग्री अधिक था. हालांकि, न्यूनतम तापमान अभी भी 4 डिग्री पर है,

/Dy. Chief Engineer at Indian Railways, वाराणसी

बहुत दिनों से मेरी भागीदारी किसी भी समागम मे नहीं हो पाया था। मंथन अपने समाज का एक अंतिम आयोजन था जो अभी होना शेष था।
मन मे स्वजनों से मिलने की ललक, कुछ मन की बात कहने, कुछ लोगों की बाते सुनने का एक सुअवसर सामने था। तमाम कार्यालयी झंझावात के बावजूद समय निकाल ही लिया मंथन मे जाने के लिए। खैर अन्ततोगत्वा मंथन मे समयानुसार ठीक 8.00 बजे सुबह होटल लेमन ट्री पहुंच गए।
होटल के अंदर दाखिल होते ही मुझे महसूस हुआ कि किसी कार्पोरेट जगत के महत्वपूर्ण और सूव्यवस्थित मीटिंग मे आया हूँ, लेकिन उसमे एक अलग समाँ दिख रही थी। कुछ लोगों की आवाजें आई, मुझे मेरे नाम से पुकारा गया। मैने देखा तो चेहरे मेरे लिए अपरिचित जरूर थे, लेकिन अपनापन जाना पहचाना था। बहुत अजीब अनुभूति हुई। यहां पर सोशल मिडिया का स्पष्ट लाभ मिलता हुआ दिख रहा था। लोग अपरिचित लेकिन लोगों  का अपनापन परिचित
धीरे धीरे और लोगों से भी मिलना जुलना हुआ। फिर व्यवस्था के अनुसार सभी को अपने अपने स्टाल से अपना आई कार्ड, लंच कूपन, मीटिंग किट इत्यादि प्राप्त करना था, मैने भी लिया । किसी को भी कही कोई असुविधा नहीं हुई । नाश्ते के लिए आह्वान किया जा रहा था।
यहां स्पष्ट करना चाहूंगा कि इतनी कड़ाके की ठंढ मे भी कार्यक्रम के लिए क्रियान्वयन बिल्कुल ठीक समय से शुरू हो चुका था। प्रोग्राम के समयानुसार मंथन की कार्यवाही लगभग आधे घंटे विलम्ब से इसलिए शुरू हुई कि लोगों से बार बार अनुरोध करने के बावजूद लोग एक दूसरे से इतनी प्रसन्नता से बात चीत करने मे मशगूल रहे कि नाश्ते इत्यादि मे थोड़ा उनके द्वारा अधिक समय लिया गया। यद्यपि आयोजक तटस्थ थे। इस व्यवस्था के लिए आयोजन समिति का आभार।
हाल मे मंथन की शुरुआत सरस्वती वंदना, दीप प्रज्ज्वलन से हुई। थोड़ी देर मे परिचय सत्र शुरू हुआ। पूरे कार्यक्रम का लीफलेट सबको प्राप्त था। इसलिए सभी को अगले कार्यक्रम की जानकारी उपलब्ध थी। कार्यक्रम चला, बहुत अच्छा चला और लगा कि इतने बड़े आयोजन के लिए पहले से रिहर्सल किया गया हो।
सभी पहलुओं पर विस्तृत ध्यान देने पर इस प्रकार इसे उपसंहारित किया जा सकता है :  मंथन एक ऐसी सोच का कार्यक्रम जो अपनों का अपनों से मिलने का एक सुव्यवस्थित  माहौलवैचारिक मेल-मिलाप  और सामाजिक सहयोग की  भावनाओं को जन्म देता है और सार्थकता के साथ स्वसमाज को एक नया मुकाम दे सकता है।
सभी स्वजनों का आभार, आयोजन समिति का कोटिशः आभार, सादर

फेसबुक ग्रुप में अब तक के कमेंट इस रिपोर्ट पर:

Rakesh Sharma बेजोड़ आकलन ,बेहतरीन अनुभूति का परिचायक है।आपने मंथन को बहुत अच्छे ढंग से परिभाषित किया भैया।हार्दिक शुभकामनाएं।बहुत बहुत धन्यवाद।
 
Deorath Kumar निष्पक्ष और जबरदस्त आकलन
 
Rajeev Sharma बहुत ही बेजोड़ आकलन आपके द्वारा, मंथन के एक एक कार्यक्रम को जिस ढंग से परिभाषित किया है, वाक़ई काबिले तारीफ है। इसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
 
Awadhesh Roy बहुत सुंदर आकलन के साथ-साथ निष्पक्ष विश्लेषण भी | कबीले तारीफ है आपकी पोस्ट |
 
Prabhakar Sharma “मंथन” के उदेश्य को बहुत ही बेहतरीन तरीके से आपने परिभाषित किया है। आपसे मेरी मुलाकात एवं परिचय मंथन की ही देन है। धन्यवाद।
Roy Tapan Bharati बसंतजी। गोपालगंज के अनुज राकेश शर्मा, जो ग्रुप एडमिन हैं, को धन्यवाद कि उनकी वजह से आपके जैसे नेक स्वजन मंथन से जुड़े। यह आपकी मंथन में शुरुआत है। आगे यह मंथन और अच्छा लगेगा। संपूर्ण परिवार के साथ आइए और आनंद आएगा। मंथन स्वजनों में प्रेम की ऊर्जा का संचार करता है, एक दूसरे को शुभकामनाएं देता है, मिलकर जुड़ते हैं यह आपको एहसास हुआ होगा। Ra
Ranjana Roy स्पष्ट और सुंदर आंकलन
Priyanka Roy बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, मन्थन पर आपकी लेखनी बहुत बेहतरीन है।

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