You are here
दहेज के खिलाफ आगे आएं नौजवान Delhi India 

दहेज के खिलाफ आगे आएं नौजवान

किसी भी कमाऊ बहू से अनायास मांग कर पैसे लेना उचित नहीं

रेखा राय/चेन्नई
Rekhaदहेज को लेकर अब कुछ युवक भी जागरूक हो रहे हैं। राय तपनजी का दहेज पर एक पोस्ट पढ़कर याद आई कि मेरी एक सहेली की बेटी की शादी पक्की होने के बाद लड़के और लडकी में आपस मे बातचीत भी होने लगी। फिर शादी की तारीख लेनदेन पक्की करने के लिए लड़के वाले लड़की वालों के पास आये और दहेज की मोटी रकम की बात करने लगे।
तब लड़की ने लड़के को फोन पर बताया कि शायद हम दोनों की शादी नहीं हो पाएगी क्योंकि आपके घर वाले जितनी रकम मांग रहे, उतनी देने में मेरे पिताजी असमर्थ है। फिर लड़के ने जवाब दिया- ऐसा नही होगा, ये लेनदेन मेरी शादी में आड़े नही आएगा। मैं तुम्ही से शादी करूँगा। मैं अभी पिता जी को समझाता हूँ। तुरंत पिताजी के नंबर पर फोन आया और दहेज की बात वहीं रुक गयी और दोनों पक्ष ने मिलजुल कर धूमधाम से शादी की ।और बिना किसी प्रकार के गिले शिकवे के पूरा परिवार खुश और संतुष्ट है।
दूसरी बात, जहाँ तक सवाल है कि कमाऊ बहू के पैसे पर नजर रखने की- तो इसके लिए हम ये कहेंगे कि जो बहुएँ अपने पैरों पर खड़ी हैं और अपनी मेहनत और लगन से पैसे कमा रही हैं।
उनके ऊपर ही यह निर्णय छोड़ देना चाहिए कि वो परिवार का या सास और ससुर की मदद किस प्रकार करें। किसी भी कमाऊ बहू से अनायास मांग कर पैसे लेना उचित नही। और न ही लालच में पड़ कर बहू के पैसे पर अपना अधिकार समझें।
Comments on post of Rekha Rai :
Deorath Kumar बहुत सटीक और सही बात
 
Roy Tapan Bharati नौजवान आगे आएगा तभी दहेज मिटेगा। इससे योग्य बेटे और बेटी के विवाह का रास्ता भी खुलेगा।
 
Rekha Rai आने वाली पीढ़ी के बच्चे समझदार है।यदि ये साथ दें तो समाज इस कुरीति से कुछ हद तक बच सकता है।
 
Sharma Nirmala बहुत मुहीम जोड़ पकड़ रहा है देखिये कितने लोग साथ देते है ग्रुप का प्रत्येक मेंबर इस पर नजर रखे यानि पहल करे तो शायद कुछ हल निकल आये । हमारी संख्या दस हजार से ऊपर है सभी एक जूट हो जाये और उखाड़ फेके इसे ।समाज में एक मिसाल कायम हो सकता है।किसी सदस्य को बुरा लगे माफ़ी चाहूंगी।
 
Priyanka Roy दहेज़ विरोधी मुहीम पर आपकी सलाह बिलकुल सही है। इस मुहीम में हम सबसे ज्यादा अपेक्षा युवाओं से ही रख सकते हैं। आख़िरकार शादी जैसे पवित रिश्ते का निर्वहन उन्हें ही करना है। अब इसमें सभी अपने हिस्से की ईमानदारी बरतें। और समझदारी भरे फैसलों पर कुछ बातों को छोड़ दें। बाद में यही फैसले हर मुश्किल की तह तक जाकर उनकी जड़ों को मजबूत करेंगे और जिससे एक सही राह दिखेगा।
 
Anjana Sharma आज अगर हम चूक गए तो ये परम्परागत नियम कभी बंद नहीं होगा हमे इसका आगे बढ़कर सामना करना है नव्युवक वर्ग का समर्थन सबसे पहले जरुरी है।
 
Diwakar Rai I guess New educated genration is more sensible in both the issues. They understand the issue completly. Some times due to emotional front they might be quit but they do not like both …
 
Sarita Sharma नवयुवकों के साथ उनकी माताओं को भी दहेज नहीं लेने की मुहिम में आगे आना होगा, क्योंकि लड़कें सबसे ज्यादा अपनी माता के करीब होते हैं और मां की बात उनके लिए पत्थर की लकीर के समान है।
 
Roy Tapan Bharati सरिता, आपने सही पकड़ा। माताओं को उदार होना होगा और जब वे इसके विरोध में आगे आएंगी तब दहेज का दानव मरेगा।
 
Rekha Rai उदाहरण के लिए बताना चाहूंगी कि मेरे प्रिय एडमिन दिवाकर जी तीन भाई है ।इनके जुड़वा भाई प्रभाकर जी की शादी मेरी आशा दीदी की बेटी श्वेता भट्ट से हुई है।जो कि अमेरिका में जॉब में हैं।
श्वेता को मिलाकर इस परिवार की तीनों बहुवे अच्छा खासा कमा रही है। पर श्वेता को मिलाकर इस परिवार की तीनों बहुवे अच्छा खासा कमा रही है। पर तीनों के पति और सास ससुर इतने सुलझे हुए इंसान है कि इस टाइप की शिकायत कभी तीनो बहुओं द्वारा नही आयी।
ये परिवार भी अपने आपमे एक प्रेरणास्रोत परिवार रहा है।
।।जहाँ सुमति तहँ सम्पति नाना।।
 
Rakesh Sharma बेटा जिगर का टुकरा है इसकी बोली ना लगावो, बहु घर की लक्ष्मी है इसे दहेज ना मांगो.
 
Dayanand Tiwari दहेज एक सामाजिक अपराध है।
 
Roy Shubhasini लोग इतने लोभी हो गये हैं कि बिका हुआ सामान अर्थात बेटा, घर मे ही रख लेते हैं एक तो चोरी ऊपर से सिनाजोरी
 
Pramod Bramhbhatt क्षमा करें ऊपर का प्रकरण भी एक तरह की लवमैरिज ही है। इसमें लड़का लड़की का पहले मन मिल गया फिर माता पिता से विद्रोह हो गया। मेरा इतना कहना है कि हमें युवक युवतियों से अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि वे अपने पिता और अभिभावक से विद्रोह करेंगे। बदलना तो जरूरत के हिसाब से माता-पिता को ही पड़ेगा। कोई भी लड़का स्वयं का विवाह समाज में खुद के प्रतिनिधित्व पर नहीं कर सकता है। अगर खुद के लिए लड़की चाहेगा तो उसे निर्लज्ज और ओछा माना जाएगा। कि उसका कोई नहीं है जरूर उसमें खोट है। यही लड़के की मजबूरी अभिभावकों की मनमानी को शह देती है। अगर समाज में लड़के की मांग पर समाज उसे लड़की देने राजी हो तो इस समस्या से निजात मिल सकती है। वैसे अब सोशल मीडिया भी स्वजातीय लड़के लड़कियों को पास लाने में मदद करेगी।
 
Rekha Rai सिर्फ आपके पहली लाइन का जबाब देंगे कि शादी तय होने के बाद यदि लड़का लड़की बात करें तो इसे आप लव मैरिज का नाम न दें।ये शादी माँ बाप द्वारा ही तय की गई।और मैने ये भी लिखा है कि पूरा परिवार सन्तुष्ट और खुश है।तो इसमें विद्रोह की बात बीच मे कही नही आयी।किसी अच्छे प्रयास को आप विद्रोह का नाम न दें सर जी।।
 
Pramod Bramhbhatt चलिए ठीक है मैं लव मैरिज नहीं मानता पर कोई संस्कारी बच्चा अपने पिता से कैसे विद्रोह करे,कैसे अपनी बात मनवाए कि पापा मेरी शादी में दहेज मत लो नहीं तो मैं शादी नहीं करूगा । वो पिता जिसकी ऊंगली पकड़ कर उसने चलना सीखा और जिसकी छत्रछांह में वो बड़ा हुआ।
 
Seema Sharma जहॉ चाह वहॉ राह प्रयास यदि सही दिशा मे है तो सफलता निशचित है
 
Poonam Jyoti दहेज देनेवाले हममेसे ही है .दहेज देनेवाले पीछे हटेगे तो दहेज लेनेवाले कौ मजबुरन अगर वेटा की शादी करनी है तो मांग को छोड़ने के लिए बाधय होना पड़ेगा.
 
Rekha Rai इतना तो सबको पता है कि दहेज क्या है।इतनी बड़ी कुरीति से इंसान अपरिचित हो।ये हो नही सकता।
 
Suryakant Monu हमारे देश मे 90%लोग दहेज बिरोधी है लेने के लिए नही देने के नाम पर । और ओ दहेज के बिरुद्ध जंग छेड़े हुए है
 
Pramod Bramhbhatt बाजार में जब आपका माल कोई खरीदेगा ही नहीं तो बेचोगे क्या मित्र ये तो बताओ मैं कई बुढ़ाते वर देख चुका हूं पिछले छह सात साल से लड़की खोज रहे हैं । अभी तक कोई लड़की नहीं मिली क्या जन्नत की हूर की तलाश है या कुछ और ही माजरा है।
 
Prarthana Sharma “””हम सुधरेगें…..जग सुधरेगा “” की नीति इस संदर्भ मे बहुत ही कारगर साबित होगी।मेरा मत है कि , अपने घर के हर बच्चे , चाहे वो लड़का हो या लड़की शैक्षिक योग्यता पर व संस्कारवान बनाने हेतु माता – पिता का ध्यान हो…वो दिन दूर नही है कि समाज से ऐसी कुरीतियो का शमन हो जाएगा।
 
Rekha Rai सर जी, पाल पोसकर बड़ा करने का क्या मतलब कि मुँहमाँगा दहेज मांगा जाए बेटे के लिए?जो संस्कारी पिता होगा वो दहेज की बात करेगा ही नही।बहुत सी ऐसी लड़कियां भी देखी गयी है जो दहेज वाले घर मे न जाने से इनकार करके शादी तोड़ देती है।तो क्या वो असंस्कारी हो गयीं।
नही,बल्कि ऐसी बच्चियां बहादुर होती है।जो अपने माँ बाप को बलि पर चढ़ने से बचाती है।इसी प्रकार यदि जो बेटा माँ बाप को दहेज लेने से रोकेगा। समझिए उसने एक अन्याय को रोका है। असंस्कारी नही कहलायेगा। मेरा तो मानना ऐसे ही लड़को की जरूरत है अब अपने इस समाज को।
 
Sharma Nirmala बिलकुल सही है ।यहाँ बेटे के पढाई कीमत लड़की वालो से चाहिए । ऐसा भला क्यों ।इसलिय योग्य बनाये थे।
 
Geeta Bhatt एक से बढ़कर एक शानदार कमेंट ।जागरूकता पैदा हो गई है
अगर पोस्ट ध्यान से पढा जाय तो जिरह जैसी कोई बात नही है ।ये सब उदाहरण सच्ची और गुजरी हुई होती है ।

Related posts

Leave a Comment