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माता-पिता की गलती से भी नहीं मिलती अच्छी बहू Delhi India 

माता-पिता की गलती से भी नहीं मिलती अच्छी बहू

कई बार माता-पिता की बेवकूफी भरी हरकतों के कारण भी बेटे को नहीं मिल पाती संस्कारी और अच्छी बहू

राय तपन भारती/नई दिल्ली
Tapan & Sandhyaअधिकतर बच्चे ईमानदार और निश्छल होते हैं। ब्रह्मभट्ट समाज के बहुत घरों में उनके पुत्र होशियार होने के साथ ही अच्छी नौकरियां भी कर रहे हैं। पर अगर उनके माता-पिता बेवकूफी भरी हरकतें कर बैठते हैं तो लड़की वाले शादी के प्रस्ताव से पीछे हट जाते हैं। मैंने कई बार पाया कि लड़के वालों ने यह तो पहचान कर ली कि उनके घर अच्छी बहू आने को तैयार है। पर विवाह की बातचीत को किस अंजाम तक पहुंचा जाए इसकी समझ अधिकतर परिवारों को नहीं होती। अंत में समझदार लड़की वाला पीछे हट जाता है। मतलब साफ है कि वे अच्छी संस्कारी बहू से वंचित हो गए।

Bihar में एक समझदार अभिभावक को मैं जानता हूं। उनके घर एक बहू उनके मनमाफिक नहीं मिली। यानी पर्सनेल्टी से लेकर पढ़ाई में कमजोर। उन्होंने इस गलती को छोटे बेटे में सुधारा और नतीजा रहा कि वे छोटी बहू में जीत गए। उन्हें सुंदर, सुशील और समझदार बहू मिल गई। ऐसा इसलिए हुआ कि वे दहेज पर नहीं अड़े।

मेेरी ससुराल के एक रिश्तेदार अपने एमबीए बेटे के लिए 12 लाख से कम दहेज लेने को तैयार नहीं थे। बेटा 31 साल का हो गया फिर भी शादी नहीं हो पा रही थी। उसका वेतन 75 हजार महीना फिर भी कोई तैयार नहीं। जब मगध के एक शिक्षक ने मेरे मार्फत उनसे बात की। तो मैंने सुझाव दिया कि लड़के के शहर में ही शादी हो। पूरी शादी पर 9 लाख खर्च हुआ जिसमें एक तिहाई यानी 3 लाख लड़की वाले ने दिया। शादी के बाद रिश्तेदार ने मरने के पहले अनेक बार कहा, तपनजी की बात मान ली और थोड़ा खर्च किया तो बहू अच्छी आ गई।

पर कुछ लोग जिद पर अड़े हैं कि सारा खर्च लड़की वाला ही करे। छह महीने पहले दो परिवारों ने लड़का और लड़की को पसंद कर लिया। दोनों यानी वर-वधू पढ़ाई में होशियार। पर पिता ने बेवकूफी कर दी कि शादी के संपूर्ण खर्च का भार बेटी वाले पर डाल दिया। यानी बिना एक पाई खर्च किए बहू लाना चाहते थे। ऊपर से तु्र्रा यह कि लड़का वाला शादी कटने पर भी कहता रहा कि हम दहेज कहां मांग रहे थे।

अगर आपके घर भी शादी योग्य बेटा है तो संभलकर बेटी वालों से बात करें। उसे बेवकूफ न समझें। जब उसने मोटी रकम खर्च कर बेटी को मैनेजर, अफसर या इंजीनियर या साइंटिस्ट बनाया है तो वह कैसे दहेज की मोटी रकम देगा। इसका एकमात्र सरल तरीका है कि शादी, जेवरात और अन्य खर्च दोनों पक्ष मिलकर वहन करें तभी आपको हायर एजुकेशन वाली बहू मिल पाएगी।

Comments on this Article: 

Pratik Roy बात में दम है ।। अभी यही समय आ गया है ।
 
Mahendra Pratap Bhatt वैसे तो आपका आशय जो मैं समझ रहा हूँ आप सहमत नहीं दिखते। मैंने practically ऐसे होते देखा है। अगर आप इसे कहानी माने तो भी यह अनुकरणीय है।
 
गौतम शरमा : ऐसा लगता है कि सरकार भी समझ रही है की दहेज लेना चाहिए ।
 
Geeta Bhatt एक एक शब्द मे ज्ञात कराया है।सच है जो माता-पिता बेटी को बनाए, वो दहेज भला क्यो बनाए ।बेटी खुद तिजोरी है ।
 
Deorath Kumar बेचारे लड़के अपने माता पिता के अहम् के चक्कर में बुढ़ा रहे हैं। काश बदलते समय की धार पहचान सकते।
 
Birendra Tiwari आप के इस हकिकत से अगर लडके वाले सबक ले तो अच्छा होगा अन्यथा यह केवल एक कहानी ही बन कर रह जाये गा अौर इस तरह की हरकत समाज में लोग करते ही रहे गे।
 
Ram Sharma बहुत ही उपयोगी और सुलझी हुई सलाह है
 
Ajit Bhatt कडुआ सत्य है। लोग अभी भी अमल करने लगे तो स्थिति सुधर सकती हैं।
 
Dilipkumar Pankaj Inspiring . must be practiced
 
Ashutosh Sharma सही कहा अपने सर
 
Pramod Bramhbhatt जो बहू पैसा लेकर आएगी साथ में अहंकार भी लाएगी। उसका ताप सह पाइएगा। दहेज वाली बहू आपको बीमारी में बुढ़ापे में पानी देगी। सेवा करेगी। फिर काहे को दहेज की मांग।
 
Anjana Sharma बहुत सही जो अमल कर वर बधु दोनों पक्ष को सहूलियत मिलेगी।
 
Chandra Bhushan Mishra आपकी बात गंभीरता से सोचने एवं समझने वाले लोग भली भांति समझ सकते हैं और उस पर अमल भी कर सकते हैं
 
Mukund Bhatt माता पिता से ज्यादा दोष उन बच्चो का है जो ये माँ बाप को नहीं कह पाते कि मुझे अच्छी लड़की चाहिये तिलक दहेज नहीं. अगर तिलक दहेज सही में कुरीती है और हमारे अविकसित समाज के लिये अभीषाप है तो अब संकल्प लेने का समय आ गया है इस ग्रुप के सभी 10000 सदस्यो के द्वारा कि हम सब आपना य़ा पराय़ा एक शादी बीना दहेज के करूगां य़ा कराऊगां, ये शर्त हो इस ग्रुप में रहने के लिये य़ा जुरने के लिये, ज़ाति अधारित ग्रुप एव उसके सदस्य का ये फर्ज होता है कि आप ज़ाति के उथान के लिये क्या करते है य़ा करना चाहते है,
 
Rakesh Sharma बिल्कुल सही लिखा है आपने .अधिकांश कुवारे लडके को एक सुन्दर शिक्षा वाली सुशील कन्या की चाहत होती है परन्तु परिवारीक चाहत मे संस्कारों के चलते कुछ बोल नहीं पाते. कुछ अधकचरे ज्ञान रखनेवाले युवक हैं जो दहेज की अपेक्षा करते हैं नहीं तो अधिकांश को दुल्हन ही दहेज में अच्छा लगताहै.मैनें तो महसुस किया है जो अधिक दहेज का चाहत किये हैं उनको पछतावा के आलावा और कुछ नहीं मिला .दहेज में वी हुई रकम तो वर्वाद हो जाती है बच जाती है बहु.भाग्य से कहीं अच्छी मिली तो ठिक है नहीं तो जिन्दगी भर पछताना है.इससे अच्छा है अपने जान पहचान के रिस्तेदारी में सुन्दर परिवार देखकर खुशी खुशी शादी करना.
 
Sharma Nirmala बहुत सुन्दर लेख ।अच्छा लगा की दोनों मिलकर खर्च वहन करे । लेकिन कोई माने तब तो लडके वाले तो अपने आप को बहुत ऊंचा समझते है ।लड़की के पिता को ऐसे समझते है मानो कोई अछूत आ गया है।बाप मजबूर होकर अपनी पगड़ी रख देते है।फिर भी सुनने को तैयार नहीं आखिर क्यों?
 
Diwakar Rai Next genration is most importent rather money …. select Sanskari bahu 😊
 
Urmila Bhatt हर अभिभावक जागरूक हो गए हैं। बिना भेदभाव के बेटे और बेटियों को अच्छी परवरिश के साथ ही साथ अच्छी शिक्षा भी दे रहे हैं।
इस कारण अब समाज की योग्य बेटियाँ अपनी योग्यतानुसार नौकरी भी कर रही हैं। लड़के वाले भी जॉब वाली लड़कियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
 
Brijbhushan Prasad सही बात हम सब नसिहत तो खुब दिते है पर कभी एसे ज़ाती सामाज के घर के सादी का वहीसकार किया है किसी गरीब परंतु योगय लर की की सादी bina दाहेज कर वाया अगर हॅ तो ऊँ माहापुरुश का समाज के लोगों से परी च्य कराना चाहिय कामेसे कम darsan तो करे समाज.
 
Rina Roy Nice post

 

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