दहेज के खिलाफ जारी लड़ाई का अंजाम क्या?
मां ने सवाल किया कि दहेज न मिलने पर भी वर पक्ष कैसे शादी कर सकेगा? सोने-चांदी के जेवरात लड़के वाले कहां से खरीद सकेंगे? बारात का बस और टैक्सी किराया कहाँ से आएगा। मां जिस समाज में रहती हैं उससे अधिक जानकारी उन्हें नहींं है। वह दूसरे समाज से न मिलतीं और न ही दूसरे समाज से से बात करती हैं।
Written by Roy Tapan Bharati
मेरी मां कल अपने छोटे बेटे यानी मेरे भाई के साथ हमारे पास आईं। उनके आने से घर में रौनक आ गई है। वह बिहार से ढेर सारा समाचार लेकर आई हैं। वह अभी कई दिनों तक समाज-परिवार की कहानियां मुझे सुनाती रहेंगी। उनकी बातें हम ध्यान से सुन रहे हैं।
वह न फेसबुक की मेंबर हैं और न ही फोन काँल करना जानती हैं। पर उनकी बातचीत से पता लगा कि वह दहेज के खिलाफ मेरी फेसबुकिया अभियान से पूरी तरह वाकिफ हैं। मां कहती हैं कि दहेज लेकर शादी करनेवाले परिवार तुम्हारे लिखने से खफा हैं। तुम उनके खिलाफ इतना मत लिखो? क्या तुम उनको समझा पाओगे?
मां ने सवाल किया कि दहेज न मिलने पर भी वर पक्ष कैसे शादी कर सकेगा? सोने-चांदी के जेवरात लड़के वाले कहां से खरीद सकेंगे? बारात का बस और टैक्सी किराया कहाँ से आएगा। मां जिस समाज में रहती हैं उससे अधिक जानकारी उन्हें नहींं है। वह दूसरे समाज से न मिलतीं और न ही दूसरे समाज से से बात करती हैं।
मैंनै मां से कहा दहेज या तिलक न लेने पर कन्या पक्ष वर पक्ष को यह नहींं कह सकता है कि इतने वजन के जेवरात शादी में दो। अगर पैसा नहीं है तो वर पक्ष रिसेप्शन न करे। वर पक्ष 50-70 तक ही बारात ले जाए। अगर वर और वधू पक्ष का मौजूदा ठिकाना 200 किमी से अधिक है तो कन्या पक्ष वर पक्ष के शहर में जाकर शादी करे। वर पक्ष के शहर में शादी होने पर दोनों पक्ष विवाह का खर्च आधा आधा बांट लें। रिश्तेदारों में अनावश्यक कपड़े बांटने की भी जरूरत नहीं है।
इन तर्कों के साथ बात करने पर मां ने कहा, यह सुझाव तो बहुत अच्छा है। इ बात फेसबुक मेंबर ने उनको नहीं बताई। मां ने कहा, घर-घर और गांव-गांव समझाओ तो लोग दहेज का लालच छोड़ पाएंगे। मां ने कहा कि दहेज के खिलाफ तुमने जो लड़ाई छेड़ी है एक दिन जीतोगे। पर मां ने कहा, इस लड़ाई में धीरज रखो।