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स्वादिष्ट गुड़ भी बनता है मेरे भट्टकुर गांव में Bihar India 

स्वादिष्ट गुड़ भी बनता है मेरे भट्टकुर गांव में

भट्टकुर गांव में कृषि व्यवस्था काफी सम्पन्न है। लगभग सभी फसलें, मसाले व सब्जियां उगाई जाती हैं। पर, मुख्यतः दलहन की उपज काफी समृद्ध है। यहाँ स्वादिष्ट गुड़ भी बनाया जाता है।

प्रिंयका राय/ पटना
Priyanka Royपरिन्दों की चहचहाहट…. चौपालों की बैठकें.. लहलहाती फसलें….मिट्टी की सौंधी खुशबू….ये सब दृश्य किसी भी गांव की आम पहचान हैं। अगर ये नजारे आपको आकर्षित करते हैं तो आपने भी मन के किसी हिस्से में ग्रामीण परिवेश के प्रति अपने लगाव को जीवित रखा है।

“मेरा गाँव-मेरा देश: भट्टकुर

पहले कुछ लोग जब अपने गांव का ज़िक्र करते तो उसे मेरा गांव की जगह ‘मेरा देश’ के विशेषण से अलंकृत करते थे।
देव की ऐतिहासिक व् गौरवशाली भूमि पर बसा मेरा पैतृक गांव ‘भट्टकुर’ बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के अंतर्गत स्थित है। यह विख्यात देव सूर्य मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दुरी पर दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। ब्लॉक- देव, थाना-देव, और पोस्ट- एरोरा। यह दो टोलों में विभक्त है। एक टोले में अपने समाज के लोग और दूसरे में पाल (गरेड़ई) समुदाय विद्यमान हैं। इस गाँव में ब्रह्मभट्ट समाज की आबादी लगभग 50 परिवारों की है और सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं। यहां के लोगों का गोत्र भारद्वाज गोत्र है।
मेरे गांव की मुख्य भाषा मगही है। मगही भाषा का नाम मगधी प्राकृत से बना जो कि मौर्य साम्राज्य की आधिकारिक भाषा थी और भगवान बुद्ध भी इसे बोलते थे।
हमने आम बोलचाल में ग्रामीण भाषा का प्रयोग तो नही किया पर मैं भी अच्छी मगही बोल सकती हूँ।
संयोग से यह मेरे मायके और ससुराल (बोकनारी कलाँ, जहानाबाद) दोनों जगह बोली जाने वाली भाषा है।
गाँव का मुख्य आय स्त्रोत कृषि और पशुपालन है। जो नौकरी पेशा हैं वह तन से दूर जरूर हैं पर मन से पूरी तरह यहां से जुड़े हैं।
Bhatkur-2गांव में कृषि व्यवस्था काफी सम्पन्न है। लगभग सभी फसलें, मसाले व सब्जियां उगाई जाती हैं। पर, मुख्यतः यहां दलहन की उपज काफी समृद्ध है। यहाँ स्वादिष्ट गुड़ भी बनाया जाता है।
मेरे गाँव में सिंचाई प्रबंध के लिये टूबवैल और कुओं की व्यवस्था है पर अब जल्द ही नहर भी जुड़ने वाला है। गांव में सतनदिया नदी जो पश्चिम से बहती हुई दीवान बीघा में जाकर मिलती है। यहां का पेयजल बहुत शीतल, स्वादिष्ट व् शुद्ध है।
गांव में प्राइमरी स्कूल भी है। गांव से लगभग 1 कि.मी. पर केताकि बाजार है जहां जरुरत की लगभग सभी सामग्री लोगों को मुहैया हैं।
गांव में पक्की सड़कें व् अच्छी बिजली की व्यवस्था इसके विकसित होने का प्रमाण हैं। गाड़ियां बिलकुल हमारे घर के दरवाजे तक आती हैं।
मेरे गांव में भी सदियों से चली आ रही कई परंपराएँ आज भी विद्‌यमान हैं । यहाँ के लोगों में अपनापन और सामाजिक घनिष्ठता पाई जाती है।
सूर्य मंदिर सूर्योपासना के लिए सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से विश्व प्रसिद्ध त्रेतायुगीन इस मंदिर परिसर में प्रति वर्ष चैत्र और कार्तिक माह में महापर्व छठ व्रत करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पश्चिमाभिमुख देव सूर्य मंदिर मान्यताओं के अनुसार, इसका निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं अपने हाथों से किया।
शादी की पहले और बाद भी मेरा गाँव कई बार जाना हुआ है। और हर बार अपनी मिटटी की खुसबू और इसके संस्कारों को जानने समझने का मौका मिला है।
बचपन में हम जब भी गाँव जाते तो सभी भाई बहनो के साथ पूरा गाँव घूमते। नई दुल्हनों को देखने जाना और परम्पराओं से अवगत होना हमारी कोतुहुलता को बढ़ाता था।
रात में छत पर हम सभी चारपाई पर लेटे तारों की जगमगाहट में खो जाता।
शादी के पहले साल ही श्रावण मास में होने वाले कुलदेवता(माँ भगवती) व् ग्रामीण देवता(तपहर बाबा) के पूजन संस्कारों को भी करीब से देखा और जाना। हमारे कुल व् ग्रामीण देवता की कृपा इस गाँव पर सदैव बनी रही है।
पश्चिम दिशा से कलकल करती हुई सतनादिया, चारों और खेतों की हरियाली गाँव की शोभा बढ़ा रही है। पर्वतमाला और विविध वनस्पतियाँ इसके प्राकर्तिक सौंदर्य में चार चाँद लगा देती है।
शायद गुजरते, फिसलते पलों को ज्यादा से ज्यादा समेट लेने, रोक लेने की ख्वाहिश आज भी कई लोगों की होगी।
क्यूंकि, मेरा गाँव मेरा देश हर किसी की पहचान है। इस पहचान को बरकरार रख अपने विरासत का सम्मान करना चाहिये।
comments on facebook: 
Roy Tapan Bharati: मगध के भट्टकुर गांव का सुंदर वर्णन। मन करता है कि इस गांव में एक बार घूमने चलें।
 
Priyanka Roy: इस गांव को देखने आप जरूर आएं। 
 
Sharma Nirmala: इतना अच्छा और सटीक वर्णन लग रहा है उस गांव में खड़े है।
 
Amod Kumar Sharma: गांव का जीवंत वर्णन।
 
Sanjeev Ray: सुंदर विस्तृत जानकारी।
 
Chandra Bhushan Mishra: आपने जो लिखा लगभग वह हर गावं की पहचान है कहीं थोड़ा अधिक कहीं थोड़ा कम लेख अति सुन्दर एवं भाषा सुस्पस्ट है
 
Alok Sharma: बहुत खूब! आदरणीया प्रियंका जी पढ़कर अभिभूत हूँ!एक बार गांव में मेथी की पकौड़ी और कम चीनी कड़ी पत्ती के चाय की एक पार्टी हो तथा हम सबको आने का अवसर मिले तो निश्चित रूप से यह लोकप्रिय प्रान्त विहार कि ऐतिहासिक यात्रा होगी! हार्दिक बधाई आपको आपके गांव की!
 
Priyanka Roy: वाह, ये हुई न बात!! आप सादर आमन्त्रित हैं। सहृदय धन्यवाद आपका।
 
Sarita Sharma: भठकुर गांव का नाम पहली बार सुनी हूं।सुंदर वर्णन।
Amita Sharma बहुत ही अच्छा वर्णन।
 
Deepak Sharma: बहुत ही सुन्दर वर्णन
 
Mukesh Rai बहुत ही सुन्दर वर्णन !
 
Srikant Ray गांव का सजीव चित्रण।
 
शंकर मुनि राय "गड़बड़"/राजनंदगांव
शंकर मुनि राय “गड़बड़”/राजनंदगांव

Shanker Muni Rai: देव गया हूं, भटकुर के सारे में सुना हूं। आप ने अच्छी जानकारी दी। लोग लिखने शरमा रहे हैं। कोई जरूरी नहीं कि सब गांव विकसित ही हो। इधर 15-20 साल में हमारे गांव बहुत विकसित हुए हैं। पर अविकसित गांव के भी विकसित संस्कार रहे हैं। सच लिखना भी सीखना है।

 
Urmila Bhatt: अपने गाँव का सटीक वर्णन।
 
Saroj Bhatt: मेरी ससुराल है भट्टकुर । हरवंश राय जी मेरे ससुर है । यह वाकई एक सूंदर गाँव है अपनी जाति का ।मेरा तो खूब जी लगता है भटकुर में
 
Priyanka Roy: नमस्ते, हरवंश बाबा से तो मैं कई बार मिल चुकी हूँ। अच्छा लगा आपको जानकर, आपका धन्यवाद।
 
Damoder Bhatt: वैसे भी ससुराल में जी लगता ही है।
 
Shanker Muni Rai: ससुराल की बड़ाई नहीं चलेगी यहां।
 
Saroj Bhatt: अच्छा लगा तो कह दिया ।अब अच्छे को तो अच्छा कहना पड़ेगा न
Ajay Bhatt Ajay Kumar अति सुंदर है ।
 
Rakesh Sharma बहुत सुन्दर वर्णन.आपका गांव देखने को दिल करता है.
 
Saroj Kumar Sharma: भट्टकुर गाँव का नाम पहली वार सुना और जाना !वहाँ का मनोरम दृश्य ,गाँव का कृषि व्यवस्था ,सभी फसलों के विषय मे जान कर अच्छा लगा !
 
Mantu Kr Brahmbhatt: बहुत विचित्र तरीके से आप अपने गॉव का वर्णन किया।बहुत अच्छा लगा मौका मिला तो मैं आपके गॉव जरूर जाऊँगा।
 
Deorath Kumar: आपने अपने गाँव से हमें परिचित कराया, आपका धन्यवाद। अपनी मिटटी से लगाव आपकी लेखनी में साफ़ दिखता है। बहुत सुन्दर
 
Prarthana Sharma: बहुत खूब प्रियंका जी, आपका गाँव घूमकर बहुत अच्छा लगा।बहुत अहम जानकारी से परिपूर्ण लेखनी।
 
Ray Rahul Kumar: आज के दौर में अपनी मिट्टी और पूर्वजों को याद रखना एक कठिन चनोउती है. बच्चों को साल भर में गावँ एक बार अवश्य ले जाएं… कालांतर में संस्कारों को समृद्ध करने में यह संजीवनी का काम करेगा.
 
Arundhati SharmaArundhati Sharma: भट्टकुर गाँव की सघन आबादी तो नही है पर यहां के लोगों का व्यवहार उनका आत्मीय भाव बहुत सरल, विशाल व् गहरा है। चुकी यह मेरा ससुराल है इसलिये मेरे जीवन के कई दिलचस्प लम्हें इससे जुड़े हैं। सबसे बड़ी खासियत यहाँ के लोग बहु-बेटियों की बहुत कदर करते हैं। भट्टकुर गांव का बहुत सुन्दर वर्णन तुमने किया।
 
Abhishek Bhatt: भट्टकुर जाने का सौभाग्य मुझे भी मिला है।और वहाँ कुछ दिनों तक ठहरा भी हुँ।पहाड़ो की गोद में बसा यह गांव मुझे बेहद पसन्द है।यहाँ के लोग बहुत ही मिलनसार है।
 
Rajesh Sharma बहुत शुन्दार लौाक्क है आप का हमरो
फूफा सासुर का घर है वाहा
 
DrPrem Narayan Bhatt धन्यवाद प्रियंका जी हम सबका परिचय अपने समृद्ध गांव से कराने के लिए
 
Uma Roy बहुत सटीक, मोहक ढंग से परिचय कराया है आपने अपने गांव का।अच्छा लगा,
 
Roy Manoranjan Prasad खूबसूरत चित्रण 👌👌👌 आशीर्वाद ।
 
Rajkumar Bhatt: रहसू खुदरा कुशीनगर में बैठ कर दूर •••••भट्टकुर गांव औरंगाबाद से परिचित होना काफी सुखद अनूभूति है | धन्यबाद आपको !
 
Maharaj Kumar Sushil: अति रोचक दृश्य जो प्रसंसनीय है अपने गांव की जिस प्रकार आपने बेयाख्या की है वो सराहनिये है जितनी भी तारीफ की जाए कम ही होगा ,,,,,,,जय हिंद जय भारत
 
Rekha Rai बहुत खूब।बहुत सुंदर घर और बहुत बढ़िया वर्णन।
 
Ranjana Roy: बहुत सुन्दर वर्णन 👍👍

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