You are here
“मंथन” वैचारिक चिंतन का एक सामाजिक मंच Bihar Chattisgarh India 

“मंथन” वैचारिक चिंतन का एक सामाजिक मंच

मंथन : स्वरुप और इतिहास

सन 2015 की ही बात है. तपन जी उप्र के किसी सामाजिक सम्मेलन से लौटे थे और वहां की अव्यवस्था से काफी उचटे हुए-से थे. आपने एक पोस्ट लिखा कि क्या इस समूह के सदस्यों का भी एक वार्षिक मिलन होना चाहिए? मैं तब इस समूह का एडमिन सदस्य था और पोस्ट एडमिन समूह में ही डाला गया था. मुझे याद है कि हम सबने विचार किया और मिलन के लिए शहरों का चयन करना शुरू कर दिया . मुंबई, बंगलौर, लखनऊ में आयोजक की तलाश करते हुए पटना में अंतिम पड़ाव मिला.
 
शंकर मुनि राय “गड़बड़”/राजनंदगांव

“मंथन” वैचारिक चिंतन का एक सामाजिक मंच है. इसमें ब्रह्मभट्ट्वर्ल्ड, जो एक फेसबुक समूह है, के सदस्य अपने समाज के अन्य लोगों के वैचारिक सहयोग से स्वयं के व्यय पर मिल-बैठ कर चिंतन करते हैं. इस समूह में किसी से किसी प्रकार का चंदा नहीं लिया जाता है. बल्कि समूह से जुड़े लोग आवश्यकता अनुसार जरूरतमंद लोगों की मदद करने की पहल भी करते हैं.

 
इस समूह और मंथन के बारे में बताना जरुरी है कि इसका इतिहास कैसा है. संभवतः 2015 की ही बात है. जब मैं इस ब्रह्मभट्ट्वर्ल्ड समूह से जुड़ा, तब सदस्यों की संख्या बहुत नहीं थी. लेकिन स्पस्ट करना है की इसके संस्थापक भाई तपन भारती के सतत प्रयास से आज इसकी संख्या 13 हजार से भी अधिक हो गई है.
 
सन 2015 की ही बात है. तपन जी उत्तर प्रदेश के किसी सामाजिक सम्मेलन से लौटे थे और वहां की अव्यवस्था से काफी उचटे हुए-से थे. आपने एक पोस्ट लिखा कि क्या इस समूह के सदस्यों का भी एक वार्षिक मिलन होना चाहिए? मैं तब इस समूह का एडमिन सदस्य था और पोस्ट एडमिन समूह में ही डाला गया था. मुझे याद है कि हम सबने विचार किया और मिलन के लिए शहरों का चयन करना शुरू कर दिया . मुंबई, बंगलौर, लखनऊ में आयोजक की तलाश करते हुए पटना में अंतिम पड़ाव मिला.
 
उस समय हमारी एडमिन टीम ने समूह के लिए जो नीति निर्धारित की थी उनके प्रमुख विन्दु इस प्रकार थे–
 
* दहेजमुक्त सामाजिक विवाह के लिए युवक युवतियों को प्रोत्साहित करना
* विधवा और विधुर विवाह को सामाजिक स्वीकृति और प्रोत्साहन
* इस तरह के विवाह करने वाले जोड़े को एडमिन की तरफ से लाखों रुपये के वैवाहिक उपहार देना
* जरूरतमंद लोगों को अपने स्तर से आर्थिक सहयोग करना
* समाज के सक्षम लोगो से स्वजातीय युवकों के लिए रोजगार की माँग करना आदि.
 
मेरे साथ एक दुखद संयोग यह रहा कि जिस समय हम इन बातों पर चर्चा कर योजना बना रहे थे उसी समय मुझे अपनी (ट्रैन दुर्घटनाग्रस्त) श्रीमतीजी की इलाज के लिए पटना में ही लम्बे समय तक रहना पड़ा था. भाई तपन जी, एलपी राय जी और भाई धर्मेन्द्रजी तब मेरी श्रीमतीजी को देखने ही आये थे. उसी दौरान सामाजिक मिलन की योजना बनी थी. तपनजी तो विचार ले-देकर दिल्ली चले गए, पर पटना के आयोजक धर्मेन्द्रजी, एलपी रायजी , ज्ञान ज्योतिजी और मेरी नींद हराम कर गए. रोज़ पूछते–प्रगति बताइये? चूँकि मैं कहीं बाहर जाने की स्थिति में नहीं था, इसलिए जिस होटल कॉर्पोरटे मैं था उसी में मंथन की बैठक बुलाई. इसमें शामिल थे धर्मेन्दरजी, एलपी राय जी, ज्ञानज्योतिजी, महावीर प्रसाद भट्ट जी, अजीत अकेला जी और विभूति राय जी. तपन जी लगातार संपर्क में रहे और पूरी योजना बन गई.
 
मैं यहाँ यह कहने के लिए अधीर हूँ कि कोई भी कार्यक्रम कुशल संचालक पर ही निर्भर करता है. और यह काम किया पटना की कुशकल टीम ने. इसमें शामिल थे–वही योद्धा धर्मेंद्र जी, एलपी राय जी, ज्ञान ज्योतिजी और अजीत कुमार अकेला जी . आपने विपुल और रंजन जैसे दो कुशल सिपाहियों के सहयोग से पूरी योजना को मूर्त रूप दिया था.
 
18 दिसंबर 2016 को पटना के होटल प्रीमियम में मंथन-1 आयोजित हुआ जिसमे देश के विभिन्न हिस्से से लोग आकर शामिल हुए. दिन भर के कार्यक्रम में लोग एक दूसरे से परिचित हुए, जिन्हें समूह में देखते थे उनसे मिले और सामाजिक प्रेम के प्रति उत्साहित हुए. मैं समझाता हूँ कि जातीय इतिहास में पहली बात महिलाओं को खुल कर मंच से बोलने का मौका यही पर मिला था . महिला सशक्तिकरण पर खुली बहस हुए और शाम को हमारे प्रिये लोकगायक भाई अकेला जी के संयोजन में हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम.
 
07  जनवरी 2018 को रांची में आयोजित होनेवाले मंथन से पहले मेरा प्रस्ताव यह था की यह कार्यक्रम किसी गांव में आयोजित हो. मेरे समर्थन में भाई तपन जी, देवरथ जी, नवीन जी सहित कई लोगों ने अपने स्तर से पोस्ट लिखा और किसी भी स्वजातीय गांव से आयोजक को आगे आने का निवेदन किया. पर कोई तैयार नहीं हुआ. अंत में आदरणीय श्याम सुन्दर दसौंधी जी और भाई अजय राय जी ने मंथन-२ का आयोजन रांची में करने का बीड़ा उठाया है. काफी उत्साह और लगन के साथ युवा पुलिस अधिकारी भाई नवीन जी के सहयोग से यह आयोजन संपन्न होने जा रहा है.
 
देश के सुदूर प्रांतों से महिला-पुरुष अपने परिवार के साथ इसमें शामिल होने जा रहे है. मुझे विश्वास है की यह आयोजन भी सफल होगा. हमारा सभी लोगों से निवेदन है कि उच्च सामाजिक विचार और नीति के साथ इस मंथन में शामिल हों और अपने साथ-साथ सभी को उन्नत बनाने का प्रयास करें.
 
डॉ. शंकर मुनि राय “गड़बड़”, राजनांदगाव (छत्तीसगढ़)
(मूल निवासी : गांव झलखोरा, बिहार )
 

Comments on facebook:

Ajay Prakash: एक अच्छी शुरुआत
 
Niraj Bhatt: शंकरमूनि भैया सादर प्रणाम। आपने इतनी सुंदर ढंग से पटना मंथन का मंथन किए। कि दिल गदगद हो गया।आपने कुछ अनछुई बातों का भी वर्णित किया जो शायद बहुत स्वजनो को नही मालूम। इससे हमारे ग्रुप की सार्थकता की पता चलता है।मुझे पूर्ण विश्वास है कि पटना मंथन की तरह राँची मंथन का आयोजन भी सफल होगा।
 
Navin Kr Roy: आप जैसे प्रबुद्ध स्वजनों का मार्गदर्शन ऐसे किसी भी आयोजन के लिए संजीवनी का काम करता है।हमारा सौभाग्य है कि पटना मंथन की ही तरह रांची मंथन को भी आप तमाम बुद्धिजीवियों का समर्थन और आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।इसमें कोई शक नही कि मंथन आयोजन की जो नींव पटना में पड़ी,उसकी मजबूती ही उस पर दीवार और छत का निर्माण करने की हिम्मत दे रही है।हम पटना मंथन के आयोजकों के योगदान को कभी भी भूल नही सकते।इस बार भी उन सभी का सहयोग हमें प्राप्त हो रहा है,और हमे विश्वास है कि रांची मंथन,पटना मंथन से शुरू किये गए मिलन सह वैचारिक आदान-प्रदान की कड़ी को आगे और मजबूती से बढ़ाने में सफल होगी।
Amod Kumar Sharma: पटना मंथन के तैयारी का रोचक वर्णन जानकर अच्छा लगा।आपलोगों के सहयोग एवम् सानिध्य से रांची मंथन भी अपने उद्देश्यों से समाज को जागरुक करेगा।
 
Rekha Rai: बहुत अच्छा वर्णन किया अपने मंथन के लिए। पिछली बार की तरह बेहतर से बेहतर होने की कल्पना रहेगी इस बार भी। सारे टीम को बधाई।
 
Arvind Ray: कविवर आप कुछ भूल रहे हैं सुबह सुबह का प्रणाम

Related posts

Leave a Comment