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बेमिसाल मंथन, आगाज़ रांची: अजित भट्ट Bihar India Uttar Pradesh 

बेमिसाल मंथन, आगाज़ रांची: अजित भट्ट

आप बाहर से या दूसरे समाज से, किताबों से या व्यवहारिकता से जो अच्छी बात/ जानकारी सीखकर आते हैं जो अपने समाज के लिए हितकर है “मंथन ” के मंच से साझा करके समाज को लाभ पहुंचाने का काम करें। 

अजित भट्ट/भारतीय रेलवे, फर्रुखाबाद, यूपी
परम आदरणीय स्वजनोंयथोचित अभिवादन। बेहद करीब आ रहे “रांची मंथन ” कार्यक्रम की तैयारी लगभग पूर्ण होने को है। आने वाले स्वजनों ने भी लगभग अपनी तैयारी पूरी कर लिए होंगे। मंथन की चर्चा भी कोने-कोने में हो रही है। मैं भी अपनी “मन की बात ” रख रहा हूँ।
 
सबसे पहले मैं “ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ग्रुप” के मंच पर मंथन के जन्मदाता और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में इनके सभी सहयोगी को हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, जो इस समाज के लिए एक “मिल का पत्थर ” साबित होने जा रहा है।
 
मंथन का मूल उद्देश्य आनंन्दात्मक अनूभूति के द्वारा सामाजिक जीवन का पथ प्रदर्शन करना है। मंथन कार्यक्रम के माध्यम से समाज को जोड़ने, समझने का मनःभाव उत्पन्न करने का विचार “ब्रह्मभट्ट वर्ल्ड ग्रुप” के संस्थापक व सदस्यों के द्वारा लिया जाना ही अपने आप में दर्शाता है कि “समाज रूपी सागर ( महिला/ पुरुष/ बच्चे/ बुजुर्ग ) को एक सूत्र में पिरोना है” जो अब सार्थक होते नजर आ रहा है।
 
मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया जाना किसी व्यक्तिगत उत्सव से भी कठिन है क्योंकि कार्यक्रम के आयोजन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सर्वत्र लोगों से दूरभाष/ व्हाटसेप/ फेसबुक पर संपर्क करना, रात-दिन एक कर सभी तरह का व्यवस्था बनाना आदि-आदि कार्य , जिस मनोयोग से यह कार्यक्रम सम्पन्न किया जाता है जो निश्चित ही एक साधना है, तपस्या है , इससे कम नहीं
 
यहाँ अगर व्यवस्थापक टीम का नाम नहीं लिया जाए तो यह बेईमानी होगी, चाहे वह पटना टीम हो या वर्तमान में रांची टीम जिस लगन से “मंथन ” का आयोजन सफल बनाने में अपना योगदान देते हैं यह भी एक “भागीरथी तपस्या से कम नहीं है। क्योंकि मैं देख रहा हूँ कि आयोजन समिति के सभी वरिष्ठतम सदस्य “आपके” एक दिन की “उपस्थिति” के लिए महीनों से रात-दिन एक कर रहे हैं।
 
महोदय, मैं अपने पूर्वजों से कहानी के रूप में सुना था कि ” भरथुआ गाँव में सन् 1941 में भट्ट महा सभा का आयोजन किया गया था मगर मुझे अपने जीवन के 54वे वर्ष में “ब्रह्मभट्ट वर्ल्ड ग्रुप” के व्दारा आयोजित “पटना मंथन-2016”
मे पत्नी उर्मिला भट्ट सहित सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

मंथन वास्तव में एक अद्भुत सामाजिक जीवन जीने का उदाहरण है :

1. अपने समाज के उपस्थित उन सभी सदस्यों से मुलाकात का एक ऐसा मौका मिला जो शायद संम्भव नहीं होता अगर यह मंथन नहीं होता क्योंकि वो हमारे सगे-संबंधियों में थे मगर मुझे मालूम नहीं था।
 
2. मंथन से पूर्व तक केवल हम सभी अपने परिवार सगे संबंधियों तक ही सीमित थे इन्हीं तक हमारी सोच सीमित थी , लेकिन मंथन के बाद आज हमें अपने समाज के लिए भी सोचने-समझने मौका मिला है।
 
3. आज कोन-कोने में बैठे अपने समाज के दुःख-सुख में हम सभी शरीक हो रहे हैं चाहे वो फेसबुक/ व्हाटसेप पर ही हो
आज हम सभी लोग ऐसा अपनापन महसूस कर रहे हैं कि सारा समाज अपनों जैसा लगने लगा है।
 
4. पटना आयोजन समिति के सभी सदस्यों की सोच को दाद देनी पड़ेगी कि इन्होंने महिलाओं की भागीदारी बराबर हिस्से की रखी , महिलाओं का सभी सत्रों में योगदान था, (ऐसा अभी अपने समाज के कई कार्यक्रम हुए हैं जहाँ महिलाओं की भागीदारी देखने को नहीं मिली है ) पर इस मंच से मैंने कई महिलाओं की ऐसी भाषण सुनी जो वास्तव में बेमिसाल था ।
जिसमें मेरी पत्नी उर्मिला भट्ट भी थी, जो हमारे बुजुर्गों के सामने स्टेज पर पहली बार बोल रही थी।और सबसे महत्वपूर्ण बात यह था कि इस मंच के संचालन भी महिला कर रही थीं।
 
5. पटना मंथन के बाद समाज में इस ग्रुप के माध्यम से कईयों बेरोजगार प्रतिभावान युवाओं की नौकरी एवं शादी-विवाह भी सम्पन्न हुए और आज भी यह दौर चल रहा है।जो पटना मंथन के मुख्य एजेंडा में था।
 
6. और अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कहूँगा कि आप बाहर से या दूसरे समाज से , किताबों से या व्यवहारिकता से जो अच्छी बात/ जानकारी सीखकर आते हैं जो अपने समाज के लिए हितकर है “मंथन ” के मंच से साझा करके समाज को लाभ पहुंचाने का काम करें।
 
7. यह अपनापन हम सभी को इस ग्रुप के मंथन के माध्यम से मिला है जो वास्तव में एक बेमिसाल है। “गुडमार्निंग से लेकर गुडनाइट तक” के बीच के सभी अच्छे/बुरे खबरों से हम सभी लोग एक दूसरे से वाकिफ़ होते रहते हैं।
 
हम सभी को आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि “रांची मंथन ” भी एक रोमांचक इतिहास लिखने की तैयारी में हैं हम सभी इसके साक्षी रहेंगे। अंत में मैं यही कहूँगा कि

“कुछ नये लोगों से होगी मुलाकात,

कुछ पुरानी रिश्तेदारी होगी और प्रगाढ़।
कहीं और मिलने का गोहगा वादा,
यही हमारी रफ्तार होगी।।”

 Comments on facebook:

Roy Tapan Bharati: मंथन के पूर्व तक हम केवल अपने सगे संबंधियों तक ही सीमित थे। यह बात सही है। मंथन तो एक बदलाव की लहर है।
 
Amita Sharma: बहुत महिलाएं मंच पर आकर पहली बार बोली।मेरे लिए भी ये पहला अनुभव था।इस ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ने हमलोगों को एक तरह से अपनी पहचान दे दी।यँहा सभी अपने खुद की पहचान से जानने लगें हैं।यही तो खासियत है।
 
Dilipkumar Pankaj: इस मिलन समारोह का पूरे देश में सकारात्मक सन्देश जाना चाहिए।
 
Suman Rai: मंथन जैसे कार्यक्रम होते रहना चाहिए जिससे हमारे समाज के लोगो को आमने सामने मिलने का अवसर मिलता रहे ।
 
Om Sharma: अजित भैया के साथ हमें भी,पटना मंथन में भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ,आशा करता हूँ,ऐसी ही तस्वीर राँची मंथन में भी ली जाएगी।

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