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“चुगलख़ोर की चाहत, नहीं मिलेगी राहत!” India Uttar Pradesh 

“चुगलख़ोर की चाहत, नहीं मिलेगी राहत!”

समाज के कुछ खास व्यक्तियों में लोकप्रिय ये कलाकार दूसरों के हर्ष-उल्लास, प्रसन्नता तथा विकास से हमेशा जलन रखते हैं!इतना ही नहीं पारिवारिक व सामाजिक एकता के सबसे बड़े दुश्मन ये लोग कान के कच्चे व्यक्तियों के लिए विष के समान होते हैं!

आलोक शर्मा/महराजगंज (यूपी)
अकारण ही व्यक्ति,परिवार व समाज के परेशानी का सबब बने एक विशेष कारण पर अपना विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ! क्योकि यह समस्या समाज के उन व्यक्तियो के बुरे विचारों की उपज है जिन्हें भोजपुरी में कुचुरा,हिंदी में चुगलखोर,अंग्रेजी में Tattler तथा संस्कृत में ग्रामकण्टक कहा गया है!
 
अमीर तथा गरीब दोनों वर्गो में पाये जाने वाले ये इंसान प्रायः अपने गांव, नगर, बाजार व शहर के विकसित या विकासशील वर्ग के स्त्री-पुरुष युवा व बच्चों को अपना निशाना बनाते रहते है! उदासीन, आलसी, अकर्मण्य तथा जिम्मेदारियों से मुक्त ये लोग या तो पैतृक धन पे राज करते हैं या फिर दीन-हीन में दशा क्षणिक स्वार्थ की पूर्ती हेतु अपने बॉस या खास को खुश करने के चक्कर में समय-समय पर अच्छे व्यक्तियों व विचारों की गलत निंदा करते रहते हैं!
 
वैसे तो इनके इस स्वभाव के कयी कारण हैं! किन्तु कुछ विद्वान व सफेदपोश चुगलों के जन्म का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कारण यूँ है कि जब कोई व्यक्ति समान कद व पद लिए कड़ी मेहनत के बाद भी जीवन की प्रतिस्पर्धा में अपने लोगों से पीछे छूट जाता है,तथा साथ या बाद वाले आगे निकल जाते हैं तो इनके अंदर उदासीनता व अवसाद सहित हीनभावना प्रबल हो जाती है!और वह समाज में अपना सम्मान सुरक्षित रखने हेतु कर्मठी, विकाशील लोगो के जीवन व चरित्र पर तरह-तरह के लांक्षन लगाते रहते हैं!
 
स्वयं के परिवार से उपेक्षित ये स्त्री-पुरुष दूसरे परिवार की उपेक्षा का विशेष ध्यान देते है! चौक की चटाई से महलों के दीवान-ए-खास तक घर,ऑफिस तथा बाज़ार हर जगह उपलब्ध ये प्राणी बहुत मीठा बोलते है,अचानक आपके समक्ष उपस्थित होकर आपकी चापलूसी के समानांतर किसी व्यक्ति-विशेष की बुराई करते हुए आपके प्रति प्रेम, आत्मीयता व सम्मान का इजहार करते हैं!
समाज के कुछ खास व्यक्तियों में लोकप्रिय ये कलाकार दूसरों के हर्ष-उल्लास, प्रसन्नता तथा विकास से हमेशा जलन रखते हैं!इतना ही नहीं पारिवारिक व सामाजिक एकता के सबसे बड़े दुश्मन ये लोग कान के कच्चे व्यक्तियों के लिए विष के समान होते हैं!
 
अपने तमाम अवगुणों के शाहंशाह इन व्यक्तियों का एक विशेष गुण भी होता है कि ये समाज के निरीह,लाचार, असहाय व अक्षम लोगों को अपना शिकार नहीं बनाते तथा बहुत जल्दी ही अपने कर्मो से समाज में पहचान लिए जाते है!हर युग व काल में उपलब्ध रहे इन प्राणियों का प्रारम्भिक सानिध्य मीठा किन्तु अंत बहुत घातक होता है!इसलिए इनकी पहचान होते ही विना विचारे दोस्ती व बैर दोनों का परित्याग कर देना चाहिए! क्योकि ये अपने श्रोतागणो के ही सबसे बड़े दुश्मन होते हैं!
 
एक बात स्पष्ट कर दूँ कि वास्तविक बुराई पर विरोध करना, विचार प्रस्तुत करना,सच बोलना या वास्तविक प्रतिभा का सम्मान करना इस श्रेणी में नहीं आता क्योकि ये गुण समाजिक सुधार व विकास के स्तम्भ हैं! साथ ही मेरा यह लेख किसी व्यक्ति या व्यवस्था की आलोचना नहीं,बल्कि उनविचारों पर एक प्रहार है जो तुच्छ स्वार्थपूर्ति हेतु अकारण ही परिवार या समाज में विघटन व दुःख के कारक हैं!
comments on facebook:
Ajit Bhatt: बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। उन चापलूसो के लिए जो “अपने मुँह मियाँ मिट्ठू” के चक्कर में समाज के साथ धोखा कर रहे हैं ।
यही चरित्र समाज में विघटन का कारण बनता है ।
Amita Sharma: बहुत सही और सटीक व्याख्या उनके लिए जो समाज मे दीमक की तरह छायें हुए हैं।जिसके चपेट में हर एक सदस्य कहीं न कहीं है।
Navin Kr Roy: आलोक जी बहुत सटीक चित्रण आपने वर्तमान के इंसानी चरित्र का किया है।क्योंकि ऐसे चरित्र भारत में बहुतायत में पाये जा रहे हैं,जो करना तो कुछ नही चाहते,पर हासिल सब कुछ बहुत जल्दी करना चाहते हैं।
Anil Tiwari: गजब ,दर्पण दिखाए प्रशंसनीय
 
Bharti Ranjan: आजकल कान भरने वाले ही मिलते हैं!!!!!!!
 
Uday Sharma: बिल्कुल सही कहा है आलोक जी संसार का यह दस्तूर है काम करते जाइए कान भरने वाले बहुत आएंगे बहुत जाएंगे खासकर अपने समाज में ऐसे बहुत लोग हैं जो सिर्फ कान ही भरते हैं काम नहीं करते इसकी परवाह हम लोगों को नहीं करनी चाहिए
 
Brajnandan Mishra यहां हर कोई रखता है खबर , गैरों के गुनाहों की अजीब फितरत है… कोई आईना नहीं रखता ।।
 
Ranjeeta Kumari इस कलयुग में जो हो रहा है उसका आपने सही वर्णन किया है। मै तो यही जानती हु दुसरो को जितना आगे बढ़ाओगे , दुसरो के लिए जितना अच्छा करोगे या सोचोगे , जीवन उतना ही आनंदमय होगा।
 
Arun Sahar भाई साहब आपने बहुत ही सुन्दर और सटीक बात लिखी है आपने बहुत ही सुन्दर और सटीक विचारों से उन सभी को जबाब दिया है
 
Geeta Bhatt क्या बात है ।चुगलखोर की चाहत नही मिलेगी राहत ।
इतना ही नही पारिवारिक व सामाजिक एकता के सबसे बड़े दुश्मन ये लोग कान 👂 के कच्चे व्यक्तियो के लिए विष के समान होते है
 
Rekha Rai आपकी पोस्ट से हमेशा ऐसा लगता है कि जो कुछ आसपास हो रहा है।वही बातें आपके शब्दों में मिल जाती हैं।
Priyanka Roy: “नारायण-नारायण”!!😊😊
आलोक जी, आपका यह विचार वास्तविकता के बेहद करीब है। और कुछ इंसानों में व्याप्त ऐसी विकृति उनकी दुर्बलता को दर्शाता है। ये उनकी कमजोर मानसिकता का परिचायक बनता है। समाज- परिवार में जुड़े ऐसे इंसानों को अच्छे विचार वाले कभी नही अपनाते हैं।
 

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