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बाजार में जब जबरन मुझे किताबें दी तो चौंक पड़ी India Tamil Nadu Uttar Pradesh 

बाजार में जब जबरन मुझे किताबें दी तो चौंक पड़ी

जब मैंने ये स्पष्ट किया कि यह तो बाइबल है और मुझे यह नहीं चाहिए तब उन्होंने किताब लेने से इनकार कर दिया, कई बार रिक्वेस्ट करने पर भी जब उन्होंने किताब वापस नहीं ली तब मैं उससे घर ले आयी क्यूँकि मेरी चेतना ने मुझे इजाज़त नहीं दी कि मैं किसी धार्मिक ग्रंथ का अपमान कर उसे कहीं भी छोड़ दूँ।

आद्या शर्मा शर्मा राय/चेन्नई

BBW के सभी मेम्बर्स को मेरा सादर प्रणाम। मैं आद्या शर्मा लखनऊ, यूपी की मूलनिवासी हूँ। मेरे पिता श्री शचिन्द्रा शर्मा पहले पत्रकार रहे और अब वह Aadi creations नाम की कम्यूनिकेशन फ़र्म चला रहे हैं। मेरी माँ श्रीमती रेणुका शर्मा पूर्व में ICICI insurance कम्पनी में कार्यरत थीं और अब वह Art of Living की योगा एवं आध्यात्मिक टीचर हैं। मेरे इकलौते बड़े भैया अभिनव शर्मा जी हैं जिन्होंने MCA करने के बाद मेरे पिताजी की लखनऊ वाली कम्पनी की बागडोर सम्भाल रखी है।
 
मेरा जन्म और पालन-पोषण लखनऊ शहर में हुआ, मैंने 12वीं के बाद लखनऊ के Isabella Thoburn college से B.A. और इंग्लिश लिटरेचर से M.A. किया और अब मैं बंगलुरू की Childfund India कम्पनी के लिए फ़्रीलांस कंटेंट लेखन करती हूँ।
 
साल 2015 में मेरी शादी चेन्नई के प्रसिद्ध पेपर उद्योगपति श्रीअशोक राय जी के संयुक्त परिवार में हुई। वह मेरे दादा ससुर जी हैं। ससुर श्री सुशील राय जी तथा पतिदेव दीपक राय जी उन्हीं के कारोबार अशोक राय पेपर एंड पल्प इंडस्ट्री में संलग्न हैं। मेरी सासु माँ श्रीमती रेखा राय जी से आप सब पहले से परिचित हैं, वह एक समाज सेविका हैं और इस ग्रूप की एडमिन भी हैं। चेन्नई में हमारा संयुक्त परिवार है और मेरी 2 सगी ननद के अलावा और भी देवर और ननद लोग हैं।
 
हम सभी बच्चे वीकेंड पर टाइम निकाल कर साथ घूमना-फिरना पसंद करते हैं। हर बार की तरह बीते रविवार हमलोग चेन्नई की एक लोकल एग्ज़िबिशन में घूमने गए लेकिन वहां कुछ ऐसा हुआ जिससे मैं हैरान और स्तब्ध रह गयी। इस घटना के बारे में मैंने अपने फ़ेस्बुक टाइमलाइन पर पोस्ट किया। संयोग से इस ग्रुप के संस्थापक राय तपन अंकल की नजर पड़ी तो उन्होंने मुझे BBW के मंच पर अपनी बात रखने लिये प्रेरित किया। मैं अंकल को धन्यवाद करना चाहती हूं इस हौसला अफ़्जाई के लिए।
 
हुआ कुछ यूँ कि एग्ज़िबिशन में कुछ देर समय बिताने के बाद मेरे पति और अन्य देवर लोग हमसे थोड़ा आगे निकल गए और मैं और मेरी ननद अनेक स्टाल देखते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कि तभी अचानक एक समुदाय के कुछ आदमी हमारे पास आए और हमे मुफ़्त में किताब पकड़ाने लगे। जब मैंने उनसे अंग्रेज़ी में पूछा कि ये कौनसी किताबें हैं तो पहले उन्होंने मुझसे मेरी मातृभाषा पूछी ताकि वह मुझे मेरी मूल भाषा में किताब भेंट कर सकें।
जब मैंने बताया की में हिंदीभाषी हूँ तब उस आदमी ने मुझे एक किताब हिंदी तथा दूसरी अंग्रेजी में दी और वे मुझसे हिंदी में बात करने लगे। मेरे दोबारा पूछने पर उसने बताया की यह आशीर्वाद की किताब है और इसे पढ़ने से उसे और उसके जैसे अनेक लोगों को आशीर्वाद प्राप्त हुआ है।
हीं खड़े खड़े मैंने उस किताब का पहला पेज पलटा तो पाया कि आशीर्वाद की किताब के नाम पर वह मुझे होली बाइबल थमा रहे थे, जब मैंने ये स्पष्ट किया कि यह तो बाइबल है और मुझे यह नहीं चाहिए तब उन्होंने किताब लेने से इनकार कर दिया, कई बार रिक्वेस्ट करने पर भी जब उन्होंने किताब वापस नहीं ली तब मैं उससे घर ले आयी क्यूँकि मेरी चेतना ने मुझे इजाज़त नहीं दी कि मैं किसी धार्मिक ग्रंथ का अपमान कर उसे कहीं भी छोड़ दूँ। बाद में पता चला कि एक और किताब उसी समुदाय के लोगों ने मेरे अन्य साथियों को भी दी और अब हमारे पास तीन बाइबल हैं।
 
अगले दिन मेरे एक मित्र ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर अपडेट किया कि कैसे ईसाई समुदाय के लोग हमारे देश के ग़रीब लाचार लोगों को निशाना बनाकर उन्हें पैसों का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, इसपर मैंने भी अपने साथ घटित इस घटना को फ़ेसबुक पर इंग्लिश में पोस्ट किया। क्यूँकि मैं कॉन्वेंट एजुकेटेड हूँ इसलिए मेरे बहुत से क्रिस्चन फ़्रेंड्ज़ हैं जिन्हें मेरे पोस्ट से काफ़ी दुख पहुँचा। पर मेरा किसी को भी ठेस पहुँचाने का उद्देश्य नहीं था। मैं यह स्पष्ट करना चाहूँगी कि मेरी परवरिश बहुत ही खुले माहौल में हुई है, बचपन से ही हम अपने हिन्दू त्योहारों के अलावा ईद, क्रिसमस, ईस्टर आदि जैसे त्योहारों को भी मनाते आए हैं ; हमारा भारतवर्ष एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर समुदाय और धर्म के लोग बसे हैं और हमारा संविधान भी हमें हमारी इच्छा का धर्म चुनने का मौलिक अधिकार देता है फिर ये ज़ोर ज़बरदस्ती क्यूँ? उस आदमी ने मेरे जैसे बहुत से लोगों को वो ग्रंथ दिया होगा और कई लोगों ने उसे फेंक भी दिया होगा क्या यह ग्रंथ का अपमान नहीं? और सबसे बड़ी बात की उस समुदाय के लोग बाइबल का नाम बदल कर क्यों बाँट रहे थे? कृपया आप सभी अपने मूल्यवान जानकारी मुझसे साझा करें और लोगों को जागरूक करें। धन्यवाद।
Comments on facebook:
Pawan Ray: बहुत सही लिखा आपने , मुम्बई मैं भी एक बार रेलवे स्टेशन पर बड़े बड़े बैनर लगा कर एक टोल फ्री नंबर पर मिसकॉल करने के बाद ,एक फोन आया और एड्रेस देने पर दो महिला किताब देकर गए , उसमें सिर्फ हिन्दू धर्मकी बुराई की गई थी। उसमे नगमा ,जोनी लिबर का भी लेख था, जहाँ तक याद है जॉनी लिबर का बेटा बीमार था।उनकी पत्नी हर जगह खास कर हिन्दू मंदिर पर वो मरने वाला था। पर इसु ने बचा लिया ,और डॉक्टर का ऑपरेशन सफल रहा, जहाँ में रहता हूं एक ईसाई महिला मेरे बिल्डिंग में मेरी पत्नी को बाइबिल पढने लाकर दी थी ।मैंने बहुत भला बुरा उस महिला को कहा था ।पर उसने एक बंगाली हिन्दू परिवार को फ्री स्कूल और कुछ लालच देकर ईसाई बना लिया, सत्त्य और सही
 
Rakesh Sharma: बहुत ही सारगर्भित पोस्ट के लिए सबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद।मुझे बहुत खुशी है कि आप रेखा दी की बहु हैं और रेखा दी के समान ही धर्म के प्रति काफी जागरूक भी हैं।शिक्षा का महत्त्व तुल्नात्मक अध्ययन से है और जो सभी धर्म को समान भाव से देखने का शिक्षा देता है वह है हमारा सनातन धर्म।हमारे लिए हमारा प्रमुख धर्मग्रंथ हमारा संविधान होता है जिसके अनुसरण से हम सभी धर्मों को समान भाव देते हैं परन्तु यही बात दुसरे समुदायों में प्रायः कम देखने को मिलती है जिसका प्रमुख कारण उनका अल्पसंख्यक होना भी है।मेरा जो अनुभव है उससे मुझे प्रतीत होता है कि हम सभी हिन्दू वर्ग या यूं कहे की सनातन धर्मीय सहृष्णुवताधारी व्यक्तित्व के होते हैं तथा आस्थावान होते हैं और बहुत जल्दी विश्वास भी कर लेते हैं।ईशाईयों का बाईबिल का मुल मंत्र यह है कि विश्वास करने से होता है।इसी मंत्र को लेकर पुरे विश्व में इशाई मशिनिरियाँ काम कर रही हैं तथा इस्ट इंडिया कम्पनी के तरह धर्म के माध्यम से हिन्दू धर्म पर विशेष नजर रखते हुए उनका इशाई धर्म के प्रति झुकाव लाना चाहती हैं।इसी क्रम में ये हरेक जगह ऐसे कार्यक्रम कर रहे हैं।इनका उद्देश्य सही नहीं है।परन्तु हमें सभी धर्मों का आदर तथा लिखी बातों को पढने में भी कोई हर्ज नहीं।आपने बढिया समायिक पोस्ट किया।इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।हार्दिक शुभकामनाएं और आशीर्वाद।
 
Ravi P. Sharma वन्या बेटा तुमने देवनागरी में लिखा अच्छा लगा।
धन्यवाद। भाषा-शैली भी जानी पहचानी लगी। अँग्रेजी में न लिखने पर डांट न पड़े इसलिये अँग्रेजी में पहले अपनी टाइमलाइन पर पहले ही पोष्ट कर चुकी हो।
मुझे याद है किसने कहा था …..वन्या तुम भी…? डरना नही……. देवनागरी में भी लिखो ….अच्छा लिखती हो। शुभाशीष…..
 
Deorath KumaL जागरूक करने वाला पोस्ट
 
Anil Sharma: इस स्पष्ट साझेदारी के लिए आपका धन्यवाद। रही बात ऐसे लोंगो की , तो इनका उद्देश्य केवल ख्रिस्टी धर्म में लोगों को आकर्षित करना होता है। सर्व धर्म के नाम पर एक साजिश सी चल रही है ।
 
Dharmendra Sharma: कितना सुन्दर कितना सारगर्भित लेख … शाबाश आद्या बेटी … उर्दू अल्फाज़ पर ध्यान देने की आवश्यकता है … शेष भाषा प्रवाह अच्छा है, सुन्दर है …
 
Roy Tapan Bharati: Adya, मुझे उम्मीद थी कि एक पत्रकार की बेटी होने के नाते जब भी लिखोगी अच्छा ही लिखोगी। अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं पर तुम्हारी अच्छी पकड़ है। तुमने अच्छा मुद्दा उठाया है। आगे भी लिखती रहोगी, यह मुझे विश्वास है। आशीष।
 
Rekha Rai अरे वाह बड़े मियां बड़े मियां छोटे मियां सुभानअल्लाह,,,,,,मेरी बहू आद्या ने इतना अच्छा लिखा ? बहुत खूब बेटी मुझे खुशी हुई कि इसी बहाने आपने ब्रम्हभट्टवर्ड में लिखना आरम्भ किया। और वो भी देवनागरी में बहुत ही अच्छे शब्दों में इस वृतांत का वर्णन किया है आपने।
Very good….रही बाइबिल की बात तो मुझे याद है कि जब ओह माई गॉड मूवी आयी थी तो उसमे एक डायलॉग था कि रामायण में पेज न इसमे ये बात,भागवत गीता में पेज न इसमे श्लोक नम्बर इसमे यही बात,और कुरान में पेज नम्बर इसमे यही बात और बाइबिल में पेज नम्बर इसमे धर्म की एक ही बात को अलग अलग तरह से ग्रन्थों द्वारा दर्शाया गया है।
तो हुवा क्या कि मुझमे जिज्ञासा जगी कि जरा मैं भी फलां फलां ग्रन्थों में फलां फलां पेज पर जाकर पढूँ। चूंकि मैं रामायण की नियमित पाठिका भी हूँ। खैर,,,,,
मेरी गोदाम में एक कामवाली (वेलांगनी)क्रिश्चियन है और वो हर गुरुवार चर्च जाती है।तब मैंने उससे इच्छा जाहिर की और बोला कि अक्का मुझे बाइबिल लाकर दो। दरअसल हम जानना चाहते थे कि हमारे हिन्दू धर्म के ग्रन्थ श्रीरामचरितमानस और श्रीमद भागवत गीता और बाइबिल में क्या समानता और असमानताएं हैं।कामवाली ने बताया कि भाभी चर्च में मिलेगा।मैंने उसको बोला ले आना।और मैंने उसे कुछ 4 सौ या 5 सौ रुपये दिए।
वो गयी और चर्च से उसने फोन किया कि भाभी ये किताब चार पाँच सौ नही बल्कि ढाई तीन हजार तक मिल रही है।रहने दो मत लाओ फिर कभी देखेंगे बोलकर मैंने मना कर दिया।
बात दो साल पुरानी हो गयी।
पर आश्चर्य: वही बाइबिल की किताब यूँ फ्री में जबरजस्ती बांटा जा रहा है?इस बात पर मुझे भी हैरानी हुई कि अरे ये तो सरासर गलत हो रहा।इसमे हमारा नही बल्कि बाइबिल ग्रन्थ का अपमान है।ये शर्म की बात है।
क्रिश्चयन धर्म स्वतः को ही अपमानित कर रहा है। हम सबकी जानकारी में भी कई लोग जबरजस्ती क्रिश्चियन बना भी दिए गए है। very bad…….
मेरी बहू समझदार निकली जो उसने इस बात को बेबाकी से समाज के सामने रखा।हमे सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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