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मर-मरकर जी रही, मेरा क्या कसूर Bihar India 

मर-मरकर जी रही, मेरा क्या कसूर

कहीं लड़की और लड़के में 10-12-15 साल का अंतर। पता नहीं,  जब लड़की के माता-पिता शादी के लिए निकलते हैं तो इतना ही सोचते हैं कि लड़का अच्छा पैसा कमाता हो जो लड़की को सुख सुविधा दे सके। पर होता है इसके विपरीत।
भारती रंजन कुमारी, दरभंगा

भारती रंजन कुमारी/दरभंगा

आज हर पिता के मन मे एक डर है कि बेटी का विवाह जिस लड़के से होगा पता नही उसका स्वभाव या चरित्र कैसा होगा? क्योंकि आजकल ज्यादातर विवाह में शादी के बाद ये पता चलता है कि लड़के का किसी और से अफेयर है या उसने पहले ही कहीं शादी कर रखी है जिसमे लड़की गैर बिरादरी का होने के कारण लड़के के माता-पिता ने चुपचाप बेटे की शादी जाति की एक अ‍न्य लड़की से करवा दी। बेचारी उस लड़की का जीवन बर्बाद। वो न तो मायके की रही न ससुराल की।
कहीं लड़का इतना हाई प्रोफाइल रहता है और लड़की एकदम साधारण। माता-पिता मोटी रकम दहेज में लेकर शादी कर देते हैं, जिसे लड़का अपने लायक नहीं समझता और किसी दूसरी जगह अपनी पसंद की लड़की से चुपचाप रिश्ता बनाये रखता है। ससुराल वाले बहु को दोष देंगे कि तुम्हारे कारण मेरे बेटे ने ऐसा गलत कर लिया। पर ये नही कहते कि मेरी गलती की सजा मेरी बहु भुगत रही है।
कहीं लड़की और लड़के में 10-12-15 साल का अंतर। पता नहीं,  जब लड़की के माता-पिता शादी के लिए निकलते हैं तो इतना ही सोचते हैं कि लड़का अच्छा पैसा कमाता हो जो लड़की को सुख सुविधा दे सके। पर होता है इसके विपरीत।
अगर लड़का या लड़की किसी को पसंद करते हैं तो उनकी शादी उनकी मर्जी से होनी चाहिए चाहे वो गैर बिरादरी के ही क्यों न हो। स्वजाति शादी करने और समाज में नाक कट जाएगी सोचकर किसी की बेटी का जीवन बर्बाद करने का अधिकार क्या हमें है?
लड़के के माता-पिता दहेज लेने के चक्कर में जैसी-तैसी लड़की बेटे के गले मे बांध देते हैं तो बेटा किसी दूसरी अपने मन लायक लड़की से गलत रिश्ता रख लेता है। इसमें बहु की क्या गलती? 
बेटी को न पिता ने पूछा कि तुम्हारी क्या इच्छा है और न ससुराल में खुशी मिलती है।
वो तो जिंदा लाश बनकर जीती रहती है और उसकी हर खामोश, दर्दभरी, रोती निगाहें हमारे समाज से पूछती है कि क्यों मै जीकर भी लाश की तरह हूँ? क्यों मेरे पिता ने मुझसे बेटी को जन्म देने के बदले मेरी खुशियों को बलि चढ़ा दिया और ससुराल वाले वंशवृद्धि के लिए मेरी औरत होने के गर्व को चूर कर दिए? क्यों मैं मर मरकर जी रही हूं? मेरा क्या कसूर है? समाज से इसका जवाब चाहिए।
(ये मेरे अपने विचार हैं: भारती रंजन कुमारी)

Comments on facebook: 

Geeta Bhatt: इसमे मां बाप पूरी तरह दोषी होते है। ये बात दोनो पर लागू होती है। मढ़ देते है दूसरे के गले। विचारणीय पोस्ट।
Jitendra Sharma Hitaishee: माँ बाप कभी भी अपने बच्चो का बुरा नही चाहते हैं, सबका अपना 2 प्रारब्ध भाग्य भी होता है।
 
Mahendra Pratap Bhat:t संबंध की कमिया इतनी जटिल है कि सुख दुख की गारंटी किसी तरह नहीं दी जा सकती। न तो अभिभावक और न ही विवाह योग्य जोड़ी भविष्यद्रष्टा हो सकते हैं।
जितना मैं जानता हूं, उस आधार पर केवल एक ही बात निश्चित है कि अपने विवाह को सुचारू रूप से चलाने के लिए सदा प्रयासरत रहना पड़ता है वो भी पूरी जिम्मेदारी के साथ।
 
Sunil Ray: अभिभावक अपने बच्चे को समझना नहीं चाहते।और दूसरेको हबाले कर के अपना बोझ हलका करते है।
 
Sunil Ray लड़का अपने घमन्ड मे और अभिभावक के जिदसे. लड़की (बहु) समय के साथ लडना नहीं चाहते। बह परतिथी(लड़का) को बदलना नही चहती। समय के साथ समझैता करलेति हैं । अही दोसी हैं सब का , यह हैं मेरा बिचार ।। धन्यवाद.
 
Rakesh Nandan आपने बहुत सही कहा! माँ- बाप चलते तो हैं इस नियत से की मेरी बेटी ख़ुश रहेगी पर compatibility नहीं देखते या फिर धोखा खा जाते हैं। पर इसका उपाय क्या है? क्या हमारे बिरादरी में ये सोच आयी है की बच्चों की ख़ुशी ज़्यादा ज़रूरी है जाती नहीं। शायद अभी वक़्त लगेगा लोगों के सोच में बदलाव आने में!
 
Durgeshwar Ray ये आपके अपने विचार हो सकते हैं, पर एकदम सराहनीय हैं। आशीष।
 
Dilipkumar Pankaj आपकी बातों से बिल्कुल सहमत हूँ।
 
Jitendra Sharma Hitaishee अपने अपने विचार से अच्छा लिखा है, लेकिन मैं सहमत नही हूं, अपने जितनी भी विवाह के बाद कठिनाई लिखी है, वो अपवाद स्वरूप कही-कही हो सकती है, ज्यादातर ऐसा कम ही होता है, इसी लिये विवाहों में संस्कारी परिवार देखे जाते हैं, और इस बात की क्या गारंटी है कि लड़की स्वयं विवाह करेगी तो उसमें उपरोक्त व्याधि नही आएगी,आज भी ज्यातर माता पिता द्वारा तय किये हुए विवाह ही ज्यादा सफल है, प्रेम विवाह या अंतरजातीय विवाह में ज्यादा कठिनाई आती है, उस समय समाज भी ज्यादा सहयोग नही करता है, वेसे अपवाद हर जगह होते हैं।
 
Arvind Kumar Guddu Babu आपकी विचार पूर्ण सत्य है।
Deorath Kumar: आपने बिल्कुल सत्य लिखा है बेबाकी से।
Dilipkumar Pankaj: आपकी भावना से सहमत हूँ। किन्तु आपने अंतरजातीय विवाह अथवा प्रेम विवाह का इस आधार पर समर्थन किया है कि ऐसी शादियाँ सुखद जीवन की गारंटी हैं। मैं इस विचार से असहमत हूँ। जीवन की गाड़ी आपसी सूझबूझ और सामंजस्य स्थापित करने से चलती है।
Nilu Sharma: Kudos to you…who raised voice against these system…Very nice post…Thanks for daring and sharing.
Pandit Satish Bhatt: अगर लड़की पड़ी लिखीं होतो उसे घर छोड़ कर खुद कोई काम धाम कर लेना चाहिए। पड़ी लिखी नहीं हैं तो उसे हालात के साथ समझवता करना पड़ेगा 
Vedprakash Sharma: आपके विचार सही हैं। फिर भी माँ, पिता कोई नही चाहता अपने बच्चों को दुख में। हर हाल में खुश देखने की तमन्ना होती है। गैर जातिय विवाह भविष्य के लिये दुख दायक है।
Rakesh SharmaRakesh: भारती जी, आपका पोस्ट और इस संबंध में की गयी टिप्पणी वाजिब है लेकिन क्या यह समस्या का समाधान है?विवाह हमारा एक प्रमुख संस्कार है जो जीवन में एकबार होता है। दूसरा, विवाह विकल्प है जो एक साथी से छुटकारा के बाद होता है। मैं आपको विवाह पद्धति के बारे में हमारे प्राचीन तथा मध्यकालीन इतिहास की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारा प्राचीन इतिहास से लेकर मध्यकालीन इतिहास में भी विवाह पद्धति कन्या तथा उसके अभिभावकों के सहमति पर ही केन्द्रित रहे। चाहे वह वरमाला पद्धति हो या वीरता पद्धति जिसमें हमेशा कन्या के सहमति और स्वेच्छा से ही विवाह सम्पन्न होता रहा है।
हर एक बाप अपने पुत्र और पुत्री का विवाह अच्छा से अच्छा घर और वर-वधु से करना चाहता है लेकिन किसी का भाग्यविधाता नहीं बन सकता। आज भी सौ में 95 प्रतिशत शादियाँ सफल होती हैं लेकिन इसी में 5 प्रतिशत असफल भी। मैंने महसूस किया है कि हमारे पूर्वजों के साथ ऐसी बातें बहुत कम होती थी।शादियाँ भगवान का गिफ्ट समझा जाता था और सफल भी। लेकिन आज यह बात नहीं रह गयीं है। हमारे समाज में समर्पण की भावना दिन ब दिन खत्म होते जा रहा है। सब जगह समस्याएं अलग अलग है।प्रेमविवाह तो और ज्यादे टुट रहें हैं किसकी गारंटी लिया जाये। यह जीवन एक रहस्य है जो लिखा होता है वही होता है। हमारा सिस्टम रिवाज खराब नहीं था वरन हम खुद समझ नहीं पाते हैं। शादी विवाह एक संपूर्ण विश्वास और समर्पण का मामला है जिसका सुधर गया वह भाग्यशाली हैं, बिगड़ गया तो भाग्य का खेल। भावी प्रबल होता है। और यह समस्या सब जगह है।
Ray Arun: देखिये मेरा राय है की माँ सीता की शादी राम जी के साथ हु ई माँ को कष्ट्ट सेहना पडा ए सब उँपर से लिखा होता है जो होता है अच्छा होता है हम ज़ितान रेत को पकदेगे ऑ ऊताना फिश्लाता है उसी परकार जीवन है
Sharad Bhatt प्रणाम स्वीकार हो मोहतरमा,आपके लेख में बहुत अच्छे बिंदु सामने लाये गए की मेल-बेमेल के आलोक में। विवाह पद्धत्ति जो हमारे समाज में चल रही है ,उसमें अनेकों दोष हैं।और हम में बदलने की मानसिक शक्ति तक नहीं है। आपके द्वारा उठाये गए बिंदु सामाजिक mis-match वाले है।
 
Vijay Sharma आपकी सोच बिलकुल सही है।
 
Niraj Sharma औरत अगर सही है तो ख़ुद रानी बन के रहती हैं और पति को राजा और गलता हो तो ख़ुद गुलाम बनके और पति को भी गुलाम बना के रखती हैं
Rekha Rai: भारती रंजन ने बहुत अच्छा विचार व्यक्त किया है। सच है आज पग-पग पर इन समस्याओं ने घेरा डाल रखा है। ऐसी समस्या के निवारण के लिए बेटी के पिता को या घर वालो को सजग होने की आवश्यकता है। शादी से पहले पूरी तरह जाँच पड़ताल करने की आवश्यकता है। पर क्या करें माता पिता भी, वो तो अच्छा देखकर ही चुनते है। कितना भी सजग रहें फिर भी ये समस्याएं बनी ही रहती है समाज में।
 
Sharad Bhatt: एक सुझाव ,B B W के माध्यम से विवाह पक्का करें। यहां लगभग सब एक दूसरे को जानते है ,रीस्ते नातेदारी ढूंढ कर ,पूरा कच्चा पक्का चिठ्ठा सामने रख ,आगे पीछे की सारी सच्चाई और जन्म कुंडली सामने आ जायेगी ।फिर टेंशन फ्री शादी होगी। व्यक्ति ,परिवार के बारे में, जब सब मालूम तो आगे भी सब फर्स्ट क्लास रहेगा, निश्चित जान लें ।
 
Rakesh Sharma: देहात में एक किस्सा है”पानी पियें छान के, शादी किजै जानपहचान में।”
Sharad Bhatt: बिल्कुल सही है। जान पहचान में अच्छी लड़की दिखे या उपयुक्त लड़का दिखे पीछे पड़ जाय Rakesh Sharma: जी सर।शादी जानपहचान में हो तो ठगने ठगाने का डर कम रहता है। शादी की पुरानी रिती भी यही है।
 
डा. अजय शर्मा: आपके विचार सत्य हैं पर लड़कियॉ भी बेचारी नहीं..आज केे परिप्रेक्ष्य में किसी एक के ऊपर दोषारूपण भी ठीक नहीॉ. समाज में हर प्रकार के लोग हैं
 
Ravindra Sharma: भारती जी आपके विचार से मैं सहमत नही हूँ। वो इसलिए कि आज के दौर में भी कही ना कही हम समाज को पिछे धकेल रहे है। विचार अपने उँचे रखिये कोई गलत बात नही है लेकिन क्या एक माँ बाप कभी चाहेंगे कि उनकी लाडली किसी और के साथ भाग कर शादी करले कभी नही।
 
Balram Bhatt: बहुत अक्षा सुझाव सबको सोचना पडेगा लडकीयो की मजबूरी का

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