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बिखराव की कगार पर समाज Chattisgarh India 

बिखराव की कगार पर समाज

समय बहुत तेजी से बदल रहा है मैं अपने आसपास व अन्य स्थानों में देख रहा हूं अन्तरजातीय विवाह तेजी से बढ़ रहा है पहले यह इक्का-दुक्का ही था अब यह सभी समाजों में लगभग 40% हो गया है जो आगे बढ़ता ही रहेगा एेसा लगता है।

दिनेश शर्मा/ भिलाई, छत्तीसगढ
मैं मूलत: सुलतानपुर का हूं मेरे पिता भेल भोपाल में थे अत: मेरा एजुकेशन भोपाल में हुआ। पिछले ३२ वर्षों से मैं भिलाई इस्पात संयंत्र में नौकरी कर रहा हूं अत: मुझे तीन राज्यों का अनुभव है तीनों राज्यों में जितने भी स्वजातीय संगठन बने चाहे वे राष्ट्रीय हों राज्य या जिला स्तरीय होंं वे सभी समाज के लिये कुछ करने में पूरी तरह असफल साबित हुये हैं।

इसका कारण समाज में एकता नहीं है, दहेज अब भी मांगा जा रहा है, हम बड़ों का सम्मान कर उनके मार्गदर्शन में चलने को तैयार नहीं हैं। समय बहुत तेजी से बदल रहा है मैं अपने आसपास व अन्य स्थानों में देख रहा हूं अन्तरजातीय विवाह तेजी से बढ़ रहा है पहले यह इक्का-दुक्का ही था अब यह सभी समाजों में लगभग 40% हो गया है जो आगे बढ़ता ही रहेगा एेसा लगता है।

जातीय व्यवस्था भी कमजोर होती जायेगी और इस तरह सामाजिक संगठन का महत्व भी समाप्त हो जायेगा। आप सब से अनुरोध है इस समस्या पर अपने विचार अवश्य प्रकट करें ,धन्यवाद ।

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