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जब उनकी शादी में हम सब ठगे गये: जितेंद्र India Uttar Pradesh 

जब उनकी शादी में हम सब ठगे गये: जितेंद्र

शादी में मदद सबकी करनी चाहिये, लेकिन सुपात्रों की ही जिस पर अचानक कोई मुसीबत आ गयी हो

जितेंद्र शर्मा हितैषी/इलाहाबाद

रिश्तेदार को मदद करने पर BBW के अपने एडमिन राय तपन भारती जी का सुझाव पढ़ा। अत्यंत नेक विचार है। परंतु इसके साथ ही एक स्वजातीय परिवार की एक घटना याद आ गयी। आज आप सभी सदस्यों से साझा कर रहा हूँ।

चूंकि हमारे नगर में अत्यंत निकट के रिश्तेदार के रिश्तेदार अपनी बेटी का विवाह करने के लिये पूरी बस भर कर शादी करने आये थे। कोई काम मेरे लायक हो, इसलिये हम उनसे मिलने चले गए। अत्यंत मृदुभाषी, बड़े ही मिलनसार सामाजिक व्यक्ति लगे। बातचीत के दौरान उन्होने कहा कि क्या करें, बेटे वाले की सारी बातें माननी पड़ती है। उन्होंने कहा कि यहाँ आकर ही शादी करनी पड़ेगी तो हम सभी यहीं आ गये। अब दूसरे शहर में क्या इन्तजाम कर सकते हैं? चलो, जो प्रभु की जो इच्छा। 

शाम को बारात के द्वारचार के समय वधू के पिता और 4-5 लोग चिंतित होकर एकांत में बात करते दिखाई दिए। पूछने पर जानकारी मिली कि लड़के वाले 50 हजार अतिरिक्त मांग रहे हैं। क्या करें इस घडी ? उन्होंने अचानक मांग रख दी तो शादी में शामिल होने आये एक समझदार रिश्तेदार के सुझाव पर कि कोई हंगामा न हो, आये हुए वधू परिवार के लोगों ने मिलकर 50 हजार रुपये जुटाये और वह रकम लड़के के पिताजी को सौंप दी। खैर जैसे-तैसे विवाह सम्प्पन हो गया, विदाई भी हो गई।

कन्या पक्ष के लोग एक दिन अतिरिक्त ठहर गये। अगले दिन विदाई के वक्त उनकी बस नहीं आई। अब सब घर कैसे जाएं ? तो किसी तरह कोई बस से तो कोई अपने किसी अन्य साधन से विदा हुए। सब कार्य सम्प्पन होने के बाद मैंने अपने रिलेशन में जो शादी में नही आ पाए थे उन्हें सब सूचना दी। तो उन्होंने पूछा कि आपने ज्यादा पैसे तो उन्हें नही दे दिए। मेरे जवाब के बाद उन्होंने कहा कि वधू के बाप का रिकार्ड इस मामले में अच्छा नही है। एक हफ्ते बाद किसी अन्य समारोह में जहाँ वो लड़की वाले भी शामिल थे, वो अपने एक मिलने वाले से चुपचाप बात रहे थे कि भाई साहब, मैंने अपनी बेटी की शादी की है,  लड़के वाले बारात लाने को तैयार थे परंतु मैंने तो मना कर दिया था कि हम ही आ जायेंगे। वहाँ जो मेरी तरफ से इंतजाम था वो मैंने वही अपने रिश्तेदारों से इकट्ठा कर उन्हें दे दिया और बस तो मैंने बस की बुकिंग एक तरफ के लिए ही की थी, क्योंकि रुकने पर बस वाले पैसे अधिक मांग रहे थे. बस सिर्फ छोड़ने के लिए ही किया था. प्रभु का आशीर्वाद है मेरा काम तो सब ऐसे ही हो जाता है, उनकी बातें सुनकर आज भी ये ख्याल आता है कि वो होशियार ज्यादा थे. चालाक या बेवकूफ या अन्य लोग ? इसलिये मदद सबकी करनी चाहिये, लेकिन सुपात्रों की ही. जिस पर अचानक ही कोई मुसीबत आ गयी हो.

Comments on facebook BBW group:

Roy Tapan Bharati: यह तो सरासर धोखाधडी थी। ऐसे में कौन मदद करेगा?
Sangita Roy: ज्यादातर रिश्तेदार ऐसे ही होते है।आप उनकी मदद सोच कर करेंगे और वो आपको बेवकूफ बना कर मदद लेंगे।मुझे भी एक नही कई कटु अनुभव है। अतः बेहतर है किसी अपरिचित की मदद कर दी जाय कमसे कम दिल को तसल्ली मिलेगी।अगर आप आर्थिक रूप से सक्षम है तो ज्यादातर रिश्तेदार या करीबी ऐसे ही मिलते है जो आपको बेवकूफ बना कर या समझ कर ठगने का प्रयास करते है।
Batuk RaiBatuk: ऐसे लोग दूसरों के लिए खड्डा खोद जाते हैं और जिनको वास्तव में जरूरत होती है वो मदद नहीं पाते
Rai Shiva Kant समादरणीय जितेन्द्र जी, सादर अभिवादन।आप की पोस्ट समाज को जागरूक करने का आधार हो सकती है परन्तु भइया जी ऐसी पोस्ट से परहेज किया कीजिए।
Jitendra Sharma Hitaishee जी आपकी सलाह उत्तम है, परंतु मैं अपने अनुभव के आधार पर ही काम करता हूं, इस पोस्ट में भी मैंने किसी का नाम व जगह का नाम इस लिए ही नही दिया क्योकि मेरा उद्देश्य किसी के अपमान का नही है, किन्तु यदि मैं या समाज किसी के भी उचित कार्य की प्रशंसा करता है तो अनुचित कार्य की आलोचना भी जरूर करनी चाहिये, मेरे एक मित्र जो मुर्गी फार्म चलाते थे,यदि उनसे कोई मुफ्त में मुर्गी मांगे तो देते समय ये निवेदन जरूर करते थे कि भाई मुर्गी लेलो परंतु मेरे पीछे किसी ये ना कहना कि हमने उसको बेवकूफ बना कर मुर्गी ले ली।
Rakesh Sharma: वे ठग हैं इसकी सजा भगवान उनको देंगें परन्तु उनको जो मदद किया भगवान उनका मदद करेंगे।भलाई करनेवाला भलाई करने के नियत से भलाई करता है और उसे उसका लाभ भी मिलता है और ठग दुसरों को नहीं ठगता बल्कि खुद ठगा जाता है।
Priyanka Bhatt आजकल आप आप अगर अच्छाई करो तो लोग आपको बेवकूफ समझ कर फायदा उठाने लगते है ऐसे मे हमे और जादा तकलीफ होती है, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो चुका है समझ सक्ती हू आपकी तकलीफ
A.P. Sharma: माना.कि ऐसे लोग है लेकिन.प्रचार.करने अच्छे लोग जो कभी मुशीबत मे पड सकते है काम रूक.जायेगा। बाद मे उनको अपने समाज.मे बुलाकर चर्चा करे। अपना विचार….।
Birendra Tiwari आप को ऐसे लोगों के बिषय में नाम ऐवं जगह के साथ पुरी जानकारी अपने लेख में देना चाहिए ताकी इस तरह के नीच बिचार वाले लोगों से भविष्य में सावधान रहा जा सके। अब रहा सवाल मदद करने की तो वर्तमान में किसी की मदद पुरी जानकारी लेने के पश्चात ही करना उचित होगा।

Pankaj Sharma: मैने भी एक रिश्तेदार की मदद की थी । रिश्ता ही खत्म हो गया

Anita Sharma: आज 90% लोग ऐसे ही मिलेंगे कुछ सच मे जरूरत मंद भी मिलेंगे अपनी नीयत अच्छी रख कर मदद दिजिए और भूल जाइए अगर याद रखा या अपेक्षा किया तो रिश्ते मे दरार आएगी ही.

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