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ब्रह्मभट्टवर्ल्ड और मंथन की सच्चाई: हरिओम Bihar India 

ब्रह्मभट्टवर्ल्ड और मंथन की सच्चाई: हरिओम

यह आप पर निर्भर करता है कि आपने क्या पाया? मैं दोनों मंथन में शरीक हुआ, काफी उर्जावान लोगों के करीब आया. लोगों को समझा, बहुत सारे लोगों में समाज के प्रति कुछ करने का सकारात्मक भाव देखा, कुछ हमारे प्रेरणा स्रोत रहे, मंथन की सफलता बुलंदी को छूता गया, अब तीसरे मंथन की तैयारी चल रही है, सारे बुद्धिजीवी फिर से एक मंच पर आएंगे

हरिओम राय भट्ट/पटना और वलसाड
लोगों में ऐसे सवाल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं कि इस ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ग्रुप की सच्चाई क्या है? मै जो समझ सका, उसे मैं व्यक्तिगत रूप से यहाँ साझा करने की कोशिश कर रहा हूँ
 
देखिए “जिन ढूंढा लीन पाइयां, गहरे पानी पैठ”. यह आप पर निर्भर करता है कि आपने क्या पाया और आपकी मानसिकता ही इसकी सच्चाई के करीब लेकर जाएगा. मैं दोनों मंथन (पटना और रांची) में शरीक हुआ, काफी ऊर्जावान लोगों के करीब आया. अपने बहुत सारे लोगों को समझा, कुछ लोगों में समाज के प्रति लगन कुछ करने का सकारात्मक रूप से देखा गया, कुछ हमारे प्रेरणास्रोत हैैं, मंथन की सफलता निरंतर बुलंदी को छूता चला गया. अब तीसरे मंथन की तैयारी आरंभ हो गई है, सारे बुद्धिजीवियों फिर से मंच पर आएंगे.
 
आप जब लोगों के करीब आते हैं तो आपमें एक-दूसरे को समझने का मौका मिलता है, कुछ रिश्ते ऐसे बनते हैं कि जीवनभर चलता है, हम कभी-कभी परेशान हो जाते हैं. नकारात्मक पहलू को देखते हुए, स्वार्थ की भावना रखते हुए जब कुछ करते हैं तो तो रिश्ते का डोर कमजोर हो जाता है, फिर हम ब्रह्मभट्टवर्ल्ड को कोसते हैं.
 
कुल मिलाकर हम अपने आपको संभालें क्योंकि स्वार्थ की बुनियाद पर खडी दोस्ती सत्य की हवा का एक झटका भी बर्दाश्त नहीं कर सकता है। जैसे बालू की बुनियाद पर बना घर, इसलिए हम सब नि:स्वार्थ भाव से मंथन में शरीक होने, इसकी अ‍हमियत को समझे, इस मिशन से आप को क्या मिलना है वो आपकी सोच और मिलने का तरीका ही दिशा देगा. सारे ग्रुप में अब तक इस तर्ज पर करनी की कोशिश कि लेकिन इसके समानान्तर अब तक कुछ देखने को नहीं मिला. उलटे तपन सर जैसे आदमी की बहुत ही बेइज्जती की गई लेकिन हमारी सकारात्मक सोच वाले साथी के सहयोग से हमेशा से ‘तपन सर’ पत्थर की तरह अडिग रहे और मंथन सफल रहा, आगे भी सफल होने की आशा करते हैं.
 
इस ग्रुप के माध्यम से कई लोग मेरे संपर्क में आए, हम कई के संपर्क में आए, लोग लाभान्वित भी हुए. लोग मदद लेकर भी चुप रहे क्योंकि गलती लोगो की सोच में है न कि ग्रुप में.
 
हमारा मानना है ग्रुप में एकता बनी रहे, सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों की तरफ बढे. दूसरे ग्रुप के आदमी भी स्वजातीय है उनका भी सम्मान करें. सभी लोगों का दायित्व है कि अपने संबंधों का दायरा बढाएं, करीब आएं. कभी सोचा है कि हम सब क्या लेके जाएंगे, जब तब हम सब सुनते है कि अमुक आदमी नहीं रहा. इसलिए ऐसा करें कि आपके बाद भी लोग आप हम सबको लोग याद रखे, गाली न दें। हम सब बडे प्यार से मिले रिश्ते की डोर को मजबूत करे, इसमें ब्रहमभट्टवर्लड सकारात्मक भूमिका निभाता है।
 
WE are close to attend to Third Manthan, We should Move forward and do best for the success. शिकायत, गिले शिकवे से दूर रह कर निस्वार्थ भाव से आए, मुझे विश्वास है कि आप अच्छा ही अनुभव लेके वापस जाऐंगे, बशर्ते कि आप अछे भाव से आए,नकारात्मक आदमी का तो अपने घर में भी ठिकाना नहीं है, ऐसे लोगों को मंथन में क्या मिलना??
 
जब आप दूसरों के सुख से सुखी होंगे या दुख सुनकर दु:खी होंगे तभी आप इंसान सही हैं, नहीं तो सब नाटक है. दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीना सीखिए, नकि बस आपस में ही उलझे रहें कि कौन, कितना बडा है जिसका निर्धारण पैसे कमाने के आधार पर करना बडी बेवकूफी है. सच यह है कि आप दूसरों के लिए कितना जीते हैं? इसका महत्व जीवन में ज्यादा है। यह सब मिलकर ही संभव है जो “ब्रह्मभट्टवर्ल्ड  मंथन” आपको देता है. आप सब अवश्य आगे आएं, एक-दूसरे को समर्पित हों, समझने की कोशिश करे. नयेसमाज का निर्माण करेें। कोशिश करें कि रिश्ते की बागडोर एकतरफा न हो, जिम्मेदारी आप पर भी है।
Comments on BBW group on Facebook:
 
Prabhat Kumar बिल्कुल सही आकलन और बेहतरीन सलाह मंथन की मानसिकता के बारे में।
 
Alok Sharma : आदरणीय सर/आपके एक एक महत्वपूर्ण शब्द विचारणीय है!हमे सकारात्मक सोच व पहल की सदैव मदद करनी चाहिए!यही वह मंच है जहाँ आपसे मुझे जुड़ने का सौभाग्य मिला!
 
Dinesh Rai हमे अपनी सामाजिक, नैतिक तथा आर्थिक उत्थान के बारे में सोचने की आवश्यकता है, इस राह मे. कहीं से भी कोई सार्थक पहल होता है तो हमे खुलकर सहयोग एवम् समर्थन देना चाहिए. न कि आलोचन एवम् प्रतिआलोचना मे अपनी ऊर्जा गंवानी चाहिए. मंथन जैसे सामाजिक मंच की प्रशंसा करता हूँ ,पूरी कोशिश रहेगी कि मैं भी मंथन में सहभागी बनूं.
 
Tuhin Kumar मथन का उद्देश्य गौण नहीं है।यह पहला ऐसा मच है जो दहेज उनमूलन हेतु पर अडिग है ।यह नये लोगों को आपस मे मिलाता है।
यह brahmabhatt world बेबसाईट के जरिये सवजनो को खुलकर लिखने का अवसर देता है। मथन मच के माध्यम से अभिव्यक्ति देता है।
 
Pramod Rana बहुत खूब ,आपने सही लिखा हैं ,सक्षम व्यक्ति को समाज के लिए सोचने की आवश्यकता हैं ,लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ लोगों को छोड़ कर बाकी लोग बुराई ज्यादा एवं नकारात्मक सोच रखते हैं जो सही वही हैं ,जहाँ तक बन सके सामर्थ के अनुरूप करने की आवश्यकता हैं /
आपके जैसा व्यक्तित्व बहुत कम मिलते हैं ,बहुत बहुत धन्यवाद
 
Ray Rahul Kumar दूसरों की खुशियों सम्मिलित होना, दुखों में द्रवित होना संभवतः इंसानियत की पराकष्ठा है. आप खुद इसके साक्षात उदाहरण हैं. सोसल मीडिया का प्रभाव अब दैनिक जीवन मे साफ साफ झलकता है. इसने दूरियों को घटाया है. पिछले महीने पांच सौ से ज्यादा लोगों ने मुझे जन्मदिन की बधाई दी, में तो आवाक रह गया.
 
Roy Tapan Bharati: ब्रह्मभट्टवर्ल्ड मंथन की परिभाषा और जिंदगी के मकसद को आपने सरल भाषा में समझा दिया। आशा है इससे नकारात्मक भाव वाले भी जीवन के ही दर्शन शास्त्र को समझेंगे।
 
Lp Rai मिलना जुलना हमेशा अच्छा होता है
 
हरिओम प्रासाद राय भट्ट: कुछ किया है, कुछ पाया, कुछ खोया, सधारन आदमी मुझे रहने दे, ताकि हमारा पहुंच सधारन से सधारन आदमी तक पहुंच सके। आप सब हमारे अंग है, ज्यादा बडा आदमी का आप जैसे सज्जन सेे संपर्क टूट जाता है।
 
Ajay Rai मंथन से निकला अमृत का रसपान करना सभी की बस की बात नही ,पर मंथन को जो समझ गया वो आज बहुत खुश है और इस BBW के मजबूती को लेकर लगातार तत्पर है , आइये फिर एक बार दिल्ली में इकठ्ठा हो कर इसका आनंद ले।
 
Prashant Bharadwaj बड़ी सार्थक बात कही है। सकारात्मक सोच की जीवन मे अधिकता होनी चाहिए
 
Ajaykumar Mishra हम समाज के एक माइक्रो जाति से आते हैं, हमारी संख्या समाज में अत्यंत ही सुक्ष्म है।ऐसे में यह ग्रुप हमे ब्यापक होने का एहसास कराता है।इस ग्रुप से जुड़ने के बाद लगा कि नही हम बहुत है, यहाँ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति का एहसास हुआ।
 
Rakesh Sharma: ब्रह्मभट्टवर्ल्ड की बहुत सुन्दर व्याख्या।
 
Narendra Sharma परमारथ के कारणे साधुन धरा शरीर
 
Ranjana Roy : बहुत ही उम्दा लेखनी और व्याख्या ब्रह्मभट्टवर्ल्ड की !
 
Rekha Rai : मन्थन के क्या कहने।बहुत अच्छा लिखा आपने।ऐसे ही सकारात्मक सोच की जरूरत है।तभी अपना समाज आगे बढ़ेगा।
 
Gorakh Nath Sharma: जो मंथन में शामिल नहीं होता उनके लिए अंगुर खट्टी है जो शामिल हो रहें हैं उनके लिए मिठी ! समाज के लिए कुछ करने वालों को हीं सम्मान और निंदा होती आई है !अपमान -सम्मान के बीच हीं लोकसेवा संभव है अन्यथा किसी एक की कमी या तो घमंडी या वक्षुब्ध बना कर सेवा से किनारा करवा देता है !तपन जी का प्रयास सराहनीय और व्योहारिक है !

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