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इतनों से दोस्ती-रिश्ते कैसे निभाते, फेसबुक पर बहुत सारे पुरुष-महिलाएं फ्रेंड कैसे बन गए? Uncategorized 

इतनों से दोस्ती-रिश्ते कैसे निभाते, फेसबुक पर बहुत सारे पुरुष-महिलाएं फ्रेंड कैसे बन गए?

क्या आप रोज उनसे बात करते?नियमित बात न करने पर भी रिश्ते इतने मजबूत कैसे?

28 November 2014 को फसबुक के brahmbhattworld group पर प्रकाशित लेख:

मैंने लोगों को ईमानदार दोस्त और निष्कपट रिश्तेदारों के लिए तरसते देखा है… पर मेरे सामने ऐसी दिक्कत कभी नहीं आई…इस कड़ी में सबसे पहले मुंबई के Suresh Sharma जी का जिक्र करुंगा जो एमटीएनएल के एसडीओ पद से रिटायर हो चुके हैं. 

राय तपन भारती/नई दिल्ली

मैंने लोगों को ईमानदार दोस्त और निष्कपट रिश्तेदारों के लिए तरसते देखा है… पर मेरे सामने ऐसी दिक्कत कभी नहीं आई…इस कड़ी में सबसे पहले मुंबई के Suresh Sharma जी का जिक्र करुंगा जो एमटीएनएल के एसडीओ पद से रिटायर हो चुके हैं. किसी भी विषय पर दो टूक बोलने वाले सुरेश जी से आपका इतना गहरा रिश्ता कैसे है? मेरा जवाब रहता है, वे मेरे बड़े भाई समान हैं. उनकी वाणी हमारे लिए अमृत जैसी है. वैसे भी मेरा कोई सगा बड़ा भाई नहीं है…उनके दुख या सुख में यथासंभव मेरा परिवार उनके साथ खड़ा रहा…उनके तीनों बच्चे- DrPriyam Bhatt, Vikas Sharma और Vishal Sharma अपने बच्चों जैसे हैं. केवल विवाह होने से ही संबंध बनता है इस धारणा को हम सबने तोड़ा है.
दिल्ली में joint Secratary Hare Ram Sharma, Sales Tax के एडिशनल कमिश्नर Kamlesh Bhatt Kamal, कोका-कोला के V.P. SN Bhatt , ITDC के पूर्व मैनेजर Narayan Maharaj , फौज के रिटायर्ड अफसर Niteshwar Prasad Rai , LIC के Santosh Kumar और पर्यावरण मंत्रालय के Satya Dev Bhatt से इतनी गहरी निकटता पर भी मेरे स्वजन हैरान रहते हैं. इनमे से अधिकतर से भाई सरीखा संबंध है. उनसे कम मिलूं फिर भी रिश्ते में ठंडी कभी नहीं आई. हमने इन्हें हमेशा परिवार-विस्तार का हिस्सा माना. वर्षों बीत गए पर इन सबसे एक जैसा संबंध है. हमने मिलने पर कभी भी धन और बच्चों की उपलब्धियों पर फालतू बात नहीं की.
इस कड़ी में कई नाम हैं.
नवी मुंबई के आयकर अधिकारी Deorath Kumar और उनकी पत्नी Bindu Kumari तो मेरे परिवार के सदस्य जैसे हैं…देवरथ की स्वर्गीय मां व मेरे पिता दोनों सगेरे मौसेरे भाई-बहन हैं…जितना उनका रिश्ता था उससे कई गुना रिश्ता अब हमारे बीच है. वे हर निजी बातों से वाकिफ रहते हैं. हमारे पारिवारिक-विस्तार में बेंगलुरु की Ranjana Roy और उनके पति Rajeeb Kumar Roy सबसे ऊपरी पावदान पर हैं. उनके बड़े भाई Bijay Kumar Roy, होसुर की Roopam Roy हमारे दिलों में बसे हैं.
मेरे कुछ सगे परेशान. आप कइयों के भैया, मामा और अंकल हैं. इस तरह से लोगों से रिश्ता कैसे निभा पाएंगे? उदाहरण के लिए दिल्ली में गनगनिया निवासी Ravi Shankar Singh मेरे साढ़ू के भांजे हैं पर रवि व उनकी पत्नी Dr Rashmi Rekha मेरे घर के सदस्य जैसे हैं. उन्हें हम अपने भांजे-भांजी (Richa sharma, Ritu Ratnam and Rishabh Raghav ) से कम नहीं मानते. वे भी हमे अभिभावक समझते हैं. अच्छे रिश्तों को खुलकर स्वीकार करने में हमे हिचक नहीं.
दिल्ली में रिटा. आईएएस Uk Roy, The Hindu के Rajeev Bhatt, मुंबई के इंजी. Raju Kumar, जॉन्सन एंड जॉन्सन के Rajiv Ranjan Sharma, दिल्ली के Kumar Pratyush और एरोसिटी ट्रैवल के Abhishek Kumar मेरे पारिवारिक विस्तार के सदस्य हैं. कई नाम छूट सकते हैं उस पर अन्यथा न लें.
रांची में Ram Sundar Dasaundhi और देवघर के Balram Dasaundhi (अब स्वर्गीय) से तो मेरे पिता के जमाने से रिश्ता निभता रहा. अपने पिता की तरह मैं भी इन्हें आदर देता हूं . नवादा के दवा उद्यमी Brajesh Roy मेरे अभिभावक तुल्य हैं. पर रांची के Ajay Rai. और टीवी पत्रकार Brajesh Roy तो मेरे छोटे भाई हैं जो नियमित परामर्श व चर्चा करते रहते हैं.
हरिद्वार के निकट बसे Engr Lakshmi Narayan जी निश्छल इंसान हैं जिनसे मिलकर मन गंगा में तब्दील हो जाता है. पटना की Priyanka Roy तो मुझसे ज्यादा मेरी पत्नी की फैन है. उसके लिए मैं सदैव मामा रहूंगा.

तब जिन्होंने इस लेख पर कमेंट लिखे थे:

Rajiv Ranjan Sharma: हम सब एक विस्तृत परिवार का हिस्सा हैं। अच्छा होगा की सब ये बात समझ लें और प्यार और सहयोग की भावना के साथ आगे बढे।

Roopam Roy, होसुर: मामा जी आपलोगो के कारन सबको एक बड़ा परिवार मिला पर आपकी वजह से मुझे दो मा मा का जगह खाली था आपके ओर मामी से मिलने के बाद वो जगह पुरी हो गई

Rajiv Ranjan Sharma, पहले दिल्ली, अब नवी मुंबई:  इसमें कोई शक नही कि इस मंच से बहुत लोग बहुतों को जानने लगे है। एक दुसरे को जानने और संबंध बनाने के लिए काफी उपयुक्त मंच है।

Deorath Kumar, नवी मुंबई: बिल्कुल सही कहा आपने तपन भैया। ये रिश्ते दिल के हैं, जहाँ एक दुसरे के लिए सच्चा प्यार है और कोई expectations नहीं है।

Arvind Rahi, नवी मुंबई: तपन जी,

लेख पढ़ के फिर से दिल धड़का है, कहीं से आवाज़ आई है।
भाई आप दिल से बात करते हैं, आपको दिल से बधाई है।

Kumar Pratyush, दिल्ली: बहुत बढ़िया तपन सर….!! खुले दिल से खुली बात…!! (y)….!

Lalita Bhatt, तब हैदराबाद, अब रायपुर: अभी और कितने रिश्ते खुलेंगे खुलकर फिर बंधेंगे !!!!!हम सब भले ही अलग अलग घर और माहौल में बढे हैं पर फिर भी सब एक हैं एक अलग तरह की गर्माहट है रिश्ते में !!!!!!!!! हैदराबाद में रह रहे अपनों के फोन नो. और एड्रेस चाहिए ….आप सब से निवेदन है जो भी हों बताइयेगा !!!!!!!

Akhilesh Sharma, नैरोबी अब दिल्ली:  Thanks a lot for positing this article. I have never seen most of the community members but this article is so touchy….लगता ही नही, हमने किसी को देखा तक नहीं….I wish I would attend the April meeting!!!

Vishal Sharma, मेलबोर्न: इतनी गेहरी बात कही है श्री तपन अंकलजी, यह ग्रूप एक बहुत बड़ा परिवार बन गया है और खास बात है की सारे निस्वार्थी भाईयो बहनो से बना यह मोतियों की माला है। कहते है परिवार तो परमात्मा की देन होती है लेकिन दिल का रिश्ता हम बनाते है।
इस मंच से इतना भावात्मक लगाव है की पीछे २ हफ़्ते काम में अत्यधिक व्यस्त रेहने से फसेबूक पर नहीं आया तो लगा की परिवार से दूर हो गये।

Ashwani Roy, हरियाणा: धन्यवाद तपन जी. मुझे याद है कि आपने किस तरह मुझे अचानक ही ‘एडमिन’ के तौर पर शामिल करके हैराँ कर दिया था जबकि मैंने तो इस ग्रुप में अभी प्रवेश ही किया था. आपकी यादाश्त भी बहुत अच्छी है. मेरी यादाश्त कमज़ोर होने के कारण मैं अक्सर भूल जाता हूँ. अगर किसी व्यक्ति को दो या तीन बार मिल लूं तो याद रहता है, अन्यथा फेसबुक मित्रों को भूलने की गलती अक्सर करता रहता हूँ. हालांकि आपसे कभी साक्षात नहीं मिल पाया, फिर भी आपको मैं अपने सामने ही देख सकता हूँ, क्योंकि हमारी वार्ता लगातार चलती ही रहती है. फिर भी ये सही है कि फेसबुक पर ‘बुकियाते’ रहने के कारण मैं बहुत से लोगों को अब जानने लगा हूँ.

Ranjana Roy, बंगलोर: बहुत ही खूबसूरत विषय पे चर्चा की है आपने भैया। इसमें कोई संदेह नहीं की इसे सफल और सुगठित बनाने में आपने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस मंच ने हमें सिर्फ एक -दूसरे से मिलाया ही नहीं है बल्कि कई बिछड़े और टूटे हुए रिश्तों को जोरा भी है। हम सभी अब इसे extended family के रूप में देखतें हैं।

Vinod Roy, दिल्ली: तपन भैया आप बहुत अच्छा लिखते हैं. वैसे भी आप पत्रकार हैं तो आपके लेखन में दम तो होना ही चाहिए. वैसे मैं बता दूँ की मैं आपको भैया कहकर इसलिए संबोधित कर रहा हूँ कि मैं मयंक का मौसेरा भाई भाई हूँ और लक्ष्मीपुर मेरा घर है. मैं दिल्ली में ही शाहदरा में रहता हूँ और आपसे मिलने कि इच्छा रखता हूँ. कृप्या आप बताएं कि आपसे कहाँ और कब मिल सकता हूँ

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