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बदलाव लाओ: बैर भाव रखे बिना सुंदर सुघड़ आशियाना बनाओ India Jharkhand 

बदलाव लाओ: बैर भाव रखे बिना सुंदर सुघड़ आशियाना बनाओ

आओ, मिलकर आशियाना बनाए!

हमारा यह सबल, समृद्ध, विग्य, कुलीन, ओजताधारी, दैदिप्यमानी, साहसी, वाक्चातुर्य वंशी भट्ट समाज कुछ अपनी करनी से और कुछ अन्य समाज के जनों की ईर्ष्या के कारण आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और बौद्धिक स्तर पर च्युत हुए उससे उबरने की जरूरत है, और यह संभव होगा मिलकर बात करने से, न कि फेसबुक पर ट्वीट करने से।

रेवती नन्दन चौधरी, अधिवक्ता/ दुमका

करीब सवा एक अरब की हमारे संपूर्ण राष्ट्र की, है गौरव की बात, पर क्या बहुल कहलाएंगे, नहीं?
ये जाना कब ,जब हमारे अपने हमसे मिलने में रुचि रखने लगे। सच मानिए दृगों के कोर से अश्रु की बूंदें चुहचुहाने लगे। चित्त गदगद सा हो गया, परस्पर संवादिक हो संप्रेषण मे विचारों के आयामी हो गए। अपने खुले मन से हमे सम्मान देने लगे। है ना खुशी की बात।
फेसबुक पर, व्हाटसैप पर, मैसेंजर पर, हर सोशल साइट पर ब्रह्मभट्ट ही ब्रह्मभट्ट के लेख, टिप्पणी, समीक्षा, आलोचना, समालोचना, विश्लेष्ण, कल्याण की बातें, विधवा या विधुर विवाह, शादी, आरक्षण की मांग, विरोध, नौकरी, एकीकरण और ना जाने कितने ही पहलु। बहुत सारे सोशल ग्रुप अपनी-अपनी बातें को दूसरों से मनवाने को आतुर, व्याकुल।
हे आदरणीय, पूज्यनीय, स्नेही भट्टकुल जातक, निवेदित है आपके सम्मुख यह अदना-सा, पर अंश ही तो हूँ आपका। जौं बैन मेरे खरे हों तो क्षमायाचित रहूंगा और जो बात मेरी जंचे तो सार्थक प्रयास करें, एकीकरण का।

मेरी याचना सबों से…

1…अपनी जाति के चलने वाले सभी सोशल ग्रुपों के एडमिन की सूची ब्ननाई जाए।
2…सभी सोशल ग्रुपों के उद्येश्य की जानकारी ली जाए
3…संख्या बल की गणना की जाए
4…कार्यालय का पता जहाँ से वो संचालन कर रहे हैं
5…साधनों का विवरण
6…कार्य करने की दिशा मे पाई गई उपलब्धियों का सार।
7…और अन्त मे समाज को देने के लिए समय और धन का खुलासा।
महानुभावों, मैं आप सबों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ कि आपसबों ने हमे पहचाना। धन्य अति धन्य हुआ।
अब समय आया है कि हृदय से हृदय मिलने का आलिंगन बद्ध हों।
महाशय आलिंगन बद्ध होने के लिए हमे आपस मे मिलना होगा, किसी एक निश्चित स्थान पर।
एकत्रित होना होगा, क्योंकि आपकी संख्या विरल है सघन नहीं।
क्षेत्रीय अन्तर है, आपसी कलह है,अहंकार है, दंभ भरा है, आपके स्वार्थ आपकी लेखनी से ही स्पष्ट परिलक्षित हो जाया कर रही हैं ।आपमे हममें हम सब में यह कही न कहीं छुपा बैठा है धृतराष्ट्र की तरह कि राजा हमी ,अंधे है तो क्या?
आख्यान तो बहुत बडा हो जाएगा और हम मूल से बिलग हो जाएं, शायद।
सारांश यही कि हमारा यह सबल, समृद्ध, विग्य, कुलीन, ओजताधारी, दैदिप्यमानी, साहसी, वाक्चातुर्य वंशी भट्ट समाज कुछ अपनी करनी से और कुछ अन्य समाज के जनो की ईर्ष्या के कारण आर्थिक, समाजिक, राजनीतिक और बौद्धिक स्तर पर च्युत हुए उससे उबरने की जरूरत है, और यह संभव होगा मिलकर बात करने से, न कि फेसबुक पर ट्वीट करने से।
इसलिए हे, आदरणीय सम्मानीय हमारे अपने रक्तवंशी निकलिए कन्द्राओं से और मिलिए अपनों से बिना मन मे कोई बैर भाव रखे, एक सुन्दर सुघड आशियाना बनाएं मिलकर सभी अपने-अपने. हुनर का रंग भरे और अपनों को सुख का दरश कराएं।
बस कामना यही मेरी अपनों से।
आपसबों का: रेवती नन्दन चौधरी, अधिवक्ता, दुमका, झारखंड, मोबाइल नं: 9973533909
इस लेख पर फेसबुक पर जो कमेंट आए:
Deorath Kumar: बहुत सुंदर लिखा आपने, मंथन में शरीक होइए, अपनों से मिलिए और एक दूसरे को जानिये
 
Rajeev Sharma: रेवती नंदन जी दिल्ली मंथन में अपनें पुरे परिवार के साथ शरीक हो रहे हैं। इन्होनें रजिश्ट्रेशन भी करा लिया है।
Sanjeev Ray बहुत सुंदर आलेख।
मन को शांति मिली पढ़कर। एकता बिन सब सुन है।

Ajay Rai: रेवती बाबू के ये विचार सबके लिए उतना ही प्रासंगिक है जो अलग अलग स्वजनों का समूह/संस्था का संचालन कर रहे है।इन्ही मुद्दों को लेकर पिछले तीन चार दिनों से हमारा प्रस्न इस बात को लेकर रहा है कि हम एकीकरण की बात फेसबुक पर करते है और वो भी प्लेटफार्म के हिसाब से यह कतई उचित नही है।

दिल साफ कर सामाजिक मुद्दों पर अगर ईमानदारी पूर्वक काम हो तो निश्चित रूप में रेवती नंदन जी की बातों पर जो इन्होंने सबके लिए लिखा है वो चरितार्थ होगा ।

राजेश कुमार भट्ट/पटना

Rajesh Kumar Bhatta आपने अपने मन के भाव को सुस्पष्ट और बडे विनम्रता से रखी है आपका यह सारगर्भित अपील एक दिन अवश्य हीं रंग लाएगी ।

Roy Tapan Bharati: आपके विचारों पर विचार करना चाहिए। ब्रह्मभट्टवर्ल्ड वेबसाइटस के संचालन पर मेरा निजी खर्च होता है। शुरू में कुछ मित्रों ने आंशिक मदद जरूर की थी। इलाज में मदद हमारे सदस्य सीधे गरीब रोगी के बैंक खाते में जमा करते हैं। और मंथन के लिए होटल में प्रति व्यक्ति खर्च के बराबर निबंधन राशि ली जाती जिसके खर्च का ब्यौरा हर मंथन के मंच से दिया जाता है।
 
Rewti Choudhary प्रणाम भाई साहब।मैने अपने उद्गार रखे हैं बस, बाकी पारदर्शिता व योजनाओं की रूप रेखा स्पष्ट करनी होगी तभी तो एकसूत्रता की मजबूत नीव रखी जाएगी ?
Ranjana Roy आदरणीय रेवती जी आपकी उत्कृष्ट लेखनी और ऊंचे विचार बहुत ही प्रासंगिक है ! ऐसे विचारों का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करती है BBW नमन 🙏🙏

 

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