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मन नहीं भरा, इसलिए मंथन 2 दिन का रखें: बिंदु कुमारी Delhi India 

मन नहीं भरा, इसलिए मंथन 2 दिन का रखें: बिंदु कुमारी

मंथन का मेरा अनुभव, पार्ट-2

मेरी ये कोशिश थी कि मेरे सामने या मेरे आस पास जो भी दिखे, मैं उनसे मिलूँ और मैंने ऐसा किया भी। जिन महिलाओं को फेसबुक पर देखी हुई थी, उन्हें तो चेहरे से पहचान कर मिलने जाती ही थी, जिनको नहीं भी जानती थी, उनसे भी बातचीत की। पर चाहते हुए भी बहुत से लोगों से मैं नहीं मिल पाई, जिसका अफसोस है।

बिंदु कुमारी/नवी मुंबई Bindu Kumari/Navi Mumbai
Hello, कैसे हैं आप सब?
उम्मीद करती हूँ आप सब अच्छे होंगे। मंथन पर लिखे मेरे पहले पोस्ट को आप सब ने पसन्द किया, आप सबों को मैं इसके लिए धन्यवाद देती हूँ। मंथन के बारे में अब तक इतने लोगों के पोस्ट आ चुका है की जो लोग मंथन में नहीं आ सके वो भी मंथन के हर पल से वाकिफ हो गए होंगे। आज फिर से मैं मंथन के कुछ और पहलुओं पर अपना अनुभव लिख रही हूँ।
 
एंकरिंग: मुझे बहुत अच्छा लगा कि एंकरिंग के लिए नए नए लोगों और युवाओं को सामने लाया गया। यह बहुत अच्छी बात हुई इस मंथन में। मंथन के दौरान मुझसे कई लोगों ने बोला की देवरथ जी को आना चाहिए था एंकरिंग के लिए। उनसे उस समय तो मैं कुछ नहीं बोली, पर सब बोल रही हूँ। मुझे पता है कि ये एक अच्छे वक्ता हैं और इनमें और भी बहुत सारी ख़ूबियाँ हैं, पर परिवर्तन संसार का नियम है। अगर ये पर्दे के पीछे नहीं आयेंगे तो आप और हम नए लोगों को कैसे जान पायेंगे। एक छोटे से बदलाव से अगर हमें इतने अच्छे अच्छे युवा एंकर्स हमें देखने और सुनने मिले, तो ये बदलाव बहुत अच्छा है।
 
आपसी मेल-जोल के लिए समय की कमी
 
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैंने महसूस किया, जो मेरे साथ साथ अन्य महिलाएँ भी महसूस की होंगी वो थी मेल जोल के लिए समय का अभाव। आज के समय मे सबों के पास समय की कमी है, उसके वावजूद मंथन में हम सब महिलाएँ शामिल हुईं। और वहाँ हमारा आपस मे मेल जोल, बातचीत ठीक से नहीं हो पाया, तो ये बात ठीक नहीं। मेरी ये कोशिश थी कि मेरे सामने या मेरे आस पास जो भी दिखे, मैं उनसे मिलूँ और मैंने ऐसा किया भी। जिन महिलाओं को फेसबुक पर देखी हुई थी, उन्हें तो चेहरे से पहचान कर मिलने जाती ही थी, जिनको नहीं भी जानती थी, उनसे भी बातचीत की। पर चाहते हुए भी बहुत से लोगों से मैं नहीं मिल पाई, जिसका अफसोस है। एक और बात मैंने नोटिस किया कि कुछ लोग जो मेरे facebook पर फ्रेंड हैं, वो पता नहीं क्यों बात करने या मिलने में संकोच कर रहे थे। जब हम सब एक परिवार की तरह हैं, मंथन में हम सब एक समान हैं, तो संकोच किस बात की।
मंथन आयोजन समिति और ब्रह्मभट्टवर्ल्ड से मेरी अपील है कि अबसे मंथन एक दिन की बजाय डेढ़ या दो दिन का किया जाय, जिससे हम महिलाएँ आपस मे जी भरकर बात कर सकें और सबों से मिल जुल सकें। सभी महिलाओं से भी कहना चाहूँगी की आप सब आगे आएँ और एक दूसरे से खुलकर मिलें तभी हम सब एक दूसरे को और करीब से जान पायेंगे। मैं तो मंथन में कहीं भी लोगों से बातें करना शुरू कर देती थी। मैं ये सब इसलिए लिख रही हुँ क्योंकि मंथन से आकर मेरा मन नहीं भरा है, इसलिए आप सब कृपया मंथन 2 दिन का रखें, जिससे हम महिलाएँ आपस में ख़ूब गप्पें मार सकें और जी भर कर आनंद उठा सकें

Comments bt BBW members on facebook group: 

Pankaj Sharma बिलकुल सही सुझाव, मेरा भी मानना है कि मंथन की पूर्व संध्या पर एक साथ रात्रि भोज और स्वजनो द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर परिचय सत्र को पुरा किया जा सकता है।
Rakesh Sharma प्रणाम।आपने बिल्कुल मेरे मन की बात कहीं हैं अगले बार से इसपर ध्यान दिया जाये। धन्यवाद।
Mousam Maharaj भाभी आप बहुत अच्छी है। और आपकी लेखनी तो कमाल की है
Anirudh Choudhary आप दोनो से मिलना एक सुखद अनुभव था
Nilu Sharma बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति 💖
Anoop Gorakhpuri बिलकुल सही सुझाव
Neha Kumar आपने बिल्कुल सही लिखा है दीदी। मंथन में वाकई बहुत सारे लोगों से अच्छे से बात नहीं हो पाई और समय भी कम पड़ गया एक दूसरे से मिलने का। मेरी भी यही गुजारिश है कि आने वाला मंथन 2 दिन का हो ताकि हम एक दूसरे से सही से जान पाए।
Kamlesh Kumar जानदार सुझाव शानदार तस्वीर
Vandana Choudhary मंथन 2 दिन का हो, इससे मैं भी सहमत हूँ बिंदु जी।
Rama Shankar Rai बहुत सही लिखा है आपने । मंथन का पूरा का पूरा कार्यक्रम दिलचस्प था । बीच में उट कर लोगों से मिलने जुलने का काम मेरे से भी जितना चाहिए उतना नहीं हुआ । इस बात का मलाल मुझे भी है । इसलिए आगे मंथन का कार्यक्रम दो दिनों के लिए हो तो बेहतर रहेगा।
 
अमित कुमार शर्मा: आप तो भाई साहब बच्चो का बायोडाटा तैयार कर लाइयेगा। लोगों की जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई दे रही है।
 
Rekha Rai बहुत बढ़िया लिखा बिन्दु जी ने। अगली बार 2 दिन का मंथन होगा।
 
Rajeeb Kumar Roy सही कहा बिन्दु, पर मेरा अनुमान है दो दिन के मंथन का खर्चा भी डबल हो जाएगा, मुझे उम्मीद है कि लोग 3000 रुपये तक प्रति व्यक्ति योगदान कर लेंगे
Roy Tapan Bharati यह सच है कि एक दिन के मंथन से स्वजनों का दिल नहीं भरा। आशा है आप सब दो दिनों की निबंधन राशि 3 हजार रुपये खुशी खुशी जमा कर देंगे तब आपका लोगों से मिलकर दिल भी भरेगा और मंथन में अनेक विभूतियों को सुनने का सौभाग्य भी हासिल कर सकेंगे।
 
अमित कुमार शर्मा दोनों ही विकल्प रखे कि जो एक दिन चाहे वो एकदिन, जो दो दिन चाहे तो दो दिन। फिर बच्चों के लिए रूचिपूर्वक भी इसमें शामिल होने का सोचना होगा।
Awadhesh Roy अगर सबों का विचार एक समान हो तो क्यों नहीं दो दिनों का मंथन रखा जाए | इस बारे में एकबार सबों की राय ले ली जाए तो अच्छा रहेगा | मेरा भी यही विचार है किसबों से मिलने-जुलने का पूरा वक्त तो मिलना चाहिए ही |
Sharma Nirmala सच मे समय नही ।मिला अफसोस है ही मिल पाई।
 
Deorath Kumar मैं तो बहुत लोगों से नहीं मिल पाया
Arvind Kumar आप बहुत उम्दा और दिल से लिखी।इसके लिए आपको बहुत-2 धन्यवाद मैडम।समयाभाव के कारण मैं भी कई अच्छे लोगो से मिल नही सका।तस्वीरों से ही पता चल रहा है इतने सारे लोग आए थे।कई अच्छे लोगो को मौका नही मिला।जल्दबाजी में concentration भी नहीं बन पा रहा था।हद तो तब हो गयी जब मुझे लगा कि लखनऊ निवासी बजरंगी प्रसाद भट्ट अंकल से मैं मंथन में मिला। पर लौटने पर उनका फ़ोन आने पर पता चला कि उनकी ट्रैन ही कैंसिल हो गयी थी।इसलिये वे शरीक ही नही हो पाए।
Kunal Sharma: Noted, 2 दिन का मंथन रखने के बावजूद आपको समय का अभाव महसूस होगा और बाकी कि भी महिलाओं को भी, infact शायद पुरुषों को भी इसका एक मात्र कारण ये हैं कि हम एक दूसरे से सालो बाद आमने-सामने मिलते हैं।
 
Bharat Bhai Barot सामाजिक कार्यक्रमो मे आप जैसी एक नारी शक्ति इतना खुलकर अपना वक्त देती है यह गर्व की बात है सैल्युट है, मंथन सफल हुआ 
 
Pradeep Bhatt आपके हृदय के उदगार बता रहें हैं कि आप मंथन में सम्मलित होकर कितनी प्रसन्न हुई। इसी प्रकार औऱ भी बंधु बांधव यही अनुभव कर रहे होंगे। यही तो हम सब चाहते हैं कि इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी हम कुछ पल ख़ुशी के गुज़ार लें एवं कुछ सुखद पलों को ताउम्र याद रख सकें। निश्चित यही बात इस मंथन को सफ़लता का राज़ हैं।
 
Nalini Sharma वाह बहुत सुन्दर लफ्ज भाभी आपने मेरे मन की बात कह दी मै मंथन मे नही गई पर विडियो देखने के बाद मूझे ये एहसास हुआ कि समय की कमी का ।आपने ने काम पूरा कर दिया धन्यवाद भाभी

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