You are here
अग्नि, पृथ्वी बनाने वाले डॉ. नौतम भट्ट को कितना जानते हैं: एसएन शर्मा Bihar India 

अग्नि, पृथ्वी बनाने वाले डॉ. नौतम भट्ट को कितना जानते हैं: एसएन शर्मा

SN Sharma, पटना

डा. कलाम के बाद अगर दूसरे नंबर पर जामनगर के नौतम भट्ट का नाम अगर माना जाये तो? देखा जाये तो उनका नाम दूसरे स्थान पर उचित नहीं है, क्योंकि भारत में रक्षा शोध की नींव रखने वाले या रक्षा क्षेत्र में स्वावलंबन के लिये जरूरी संसाधन/ संशोधन के पायनियर डॉ कलाम नहीं बल्कि डॉ नौतम भट्ट थे

SN Sharma/पटना
आज मै भारत रत्न उपाधि के मूल हकदार की हकीकत बताने का एक छोटी प्रयास करने जा रहा हूँ , जिन्हे पदमश्री तो मिला परन्तु भारत रत्न नहीं । विडंबना इस बात की है कि इस देश में कौन मूल्यांकन करता है ,ऐसे बहुमूल्य पुरस्कारों का और वह किस मानसिकता से ओतप्रोत है । उसकी स्वयं की कितनी उपलब्धियाँ हैं । मैंने आज ही डॉक्टर नौतम भगवान भट्ट की जीवनी पढी और उनसे प्रभावित होकर दूसरे व्यक्ति द्वारा बतायी एवं लिखी गई तथ्यो को आपलोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ । जी हाँ, अब आप पढें और जानें एक मानद पत्रीका एवं समाचार पत्र के संपादक हर्षल पुष्पकर्णा के शब्दों में :
आपमें से कितने लोगों ने डॉ नौतम भगवान लाल भट्ट का नाम सुना है? अच्छा अब बताइये आपने अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग, ब्रह्मोस,धनुष, तेजस, ध्रुव, पिनाका, अर्जुन, लक्ष्य, निशान्त, इन्द्र, अभय, राजेन्द्र, भीम, मैसूर, विभुति, कोरा, सूर्य.. आदि नाम सुने हैं? अब आप पहचान गये होंगे कि ये सब भारत के शस्त्र हैं। अब मैं एक और प्रश्न पूछना चाहूंगा कि कि इन सब शस्त्रों के साथ किसी सबसे पहले वैज्ञानिक का नाम जोड़ना हो तो आप किसका नाम जोड़ना पसन्द करेंगे? डॉ कलाम ही ना !! अगर मैं कहूं कि डॉ. अब्दुल कलाम से पहले डॉ नौतम भगवान लाल भट्ट का नाम जोड़ना ज्यादा सही होगा तो? आपको आश्चर्य होगा क्योंकि आज तक किसी ने डॉ साहब का नाम भी नहीं सुना।
डॉ नौतम भगवान लाल भट्ट

मशहूर गुजराती मासिक पत्रिका सफारी ने सन् 2005 के अक्टूबर अंक के संपादकीय में संपादक हर्षल पुष्पकर्णा जी ने जब पाठकों से यह प्रश्न पूछा था तब तक मैं भी डॉ साहब के नाम से अन्जान था। डॉ नौतम भट्ट का 2005 में देहांत हो गया था, और इतनी बड़ी शख्सियत के बारे में हम उनके निधन के बाद जान पाये कितना दुखद: है।

आपकी उत्सुकता बढ़ गई होगी.. आगे का विवरण में सफारी के शब्दों को ही अनुवाद करने की कोशिश कर रहा हूँ। हिन्दी- गुजराती में लिखने की शैली थोड़ी अलग होती है सो कहीं कहीं छोटी बड़ी गलती रह पाना संभव है।अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग, ब्रह्मोस, धनुष, तेजस, ध्रुव, पिनाका, अर्जुन, लक्ष्य, निशान्त, इन्द्र, अभय, राजेन्द्र, भीम, मैसूर, विभुति, कोरा, सूर्य.. इस सब शस्त्रों के नाम के साथ अगर किसी एक व्यक्ति का नाम जोड़ना हो तो शायद हमारे मन में ए. पी. जे. कलाम के अलावा दूसरा नाम याद नहीं आयेगा।
डा. कलाम के बाद अगर दूसरे नंबर पर जामनगर के नौतम भगवान लाल भट्ट का नाम अगर माना जाये तो? देखा जाये तो उनका नाम दूसरे स्थान पर उचित नहीं माना जाना चाहिये, क्यों कि भारत में सरंक्षण शोध की नींव रखने वाले या सरंक्षण के क्षेत्र में स्वावलंबन के लिये जरूरी संसाधन/ संशोधन के पायोनियर डॉ कलाम नहीं बल्कि डॉ नौतम भट्ट थे, और कुछ समय पहले आपका 96 वर्ष की उम्र में देहांत हुआ तब इस दुखद घटना को हमारे समाचार माध्यमों ने अपने चैनलों- अखबारों में बताया भी नहीं। सरंक्षण के क्षेत्र में उनके अतुल्य- अनमोल योगदान को नमन करना तो दूर भारत में ( या गुजरात में) ज्यादातर लोगों ने उनका नाम भी नहीं सुना हो इसकी संभावना भी कम नहीं!
जामनगर में 1909 में जन्मे और भावनगर तथा अहमदाबाद में स्कूली शुरुआती शिक्षा के बाद में बैंगलोर की इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ सायन्सिस में डॉ सी वी रमन के सानिध्य में फिजिक्स में MSc पास करने वाले नौतम भट्ट ने 1939 में अमेरिका की मेसेचुएट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी में इसी विषय में डॉक्टरेट की पदवी हासिल की। भारत की आजादी के 2 वर्ष बाद डॉ भट्ट सरंक्षण विभाग में जुड़े और नई दिल्ली में डिफेन्स साइन्स लेबोरेटरी की स्थापना की।
सेना के लिये रेडार संशोधन विभाग की भी स्थापना की, जिसमें वर्षों बाद नई पीढ़ी के वैज्ञानिक अब्दुल कलाम के नेतृत्व में बनने वाली डिफेन्स रिसर्च लेबोरेटरी और उसके बाद डिफेन्स एवं रिसर्च डेवलेपमेन्ट ओर्गेनाईजेशन (DRDO) के नाम से मानी जाने वाली थी। इस संस्था में 1960-65 की अवधि में स्वदेशी संरक्षण तकनीक (डिफेन्स टेक्नोलोजी) का विकास करने के लिये बम के फ्यूज, हीलीयम नियोन लेसर, सोनार, सेमी कन्डक्टर, चिप, रेडार आदि से संबधित शोध की गई वे सारी शोध नौतम भट्ट द्वारा डॉ कलाम जैसे युवा वैज्ञानिकों को दिये गये मार्गदर्शन की आभारी थी। कई शोधों को रक्षा मंत्रालय द्वारा मिलिटरी (सेना) के लिये गोपनीय वर्गीकृत (classified) माना क्यों कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखनी बहुत ही आवश्यक थी।
सरंक्षण के क्षेत्र में डॉ नौतम भट्ट ने संशोधकों-वैज्ञानिकों की एक फौज ही खड़ी कर दी थी जो भविष्य में अगिन, पृथ्वी एवं नाग जैसी मिसाइल्स और राजेन्द्र तथा इन्द्र जैसे रेडार, वायर गाईडेड टोरपीडो तथा एन्टी सबमरीन सोनार का निर्माण करने वाली थी। ध्वनिशास्त्र (acocstics) में डॉ भट्ट के अपार ज्ञान का लाभ सोनार डिजाईनर को मिला ही लेकिन दिल्ली में भारत के सर्वप्रथम 70mm के दो सिनेमा थियेटर ( ओडियन एवं शीला) के लिये आपने साऊंड सिस्टम तैयार की। मुंबई के बिरला मातुश्री सभागृह की 2,000 वॉट के स्पीकर्स वाली साउंड सिस्टम भी डॉ भट्ट ने ही बनाई थी।
राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन के हाथों 1,969 का पद्मश्री पुरुस्कार प्राप्त करने वाले डॉ भट्ट को भारत की डिफेन्स रिसर्च के भीष्म पितामाह के रूप में कितने लोग जानते हैं? लगभग कोई नहीं। इसका कारण है जेनेटिक्स के विशेषज्ञ डॉ हरगोविन्द खुराना, भौतिकशास्त्री चंद्रशेखर सुब्रमनियम, बेल टेलिफोन लेबोरेटरी के नियामक कुमार पटेल, अवकाश यात्री कल्पना चावला, रोबोटिक्स के प्रणेता राज रेड्डी आदि की तरह नौतम भट्ट भी अपना देश छोड़कर अमरीका में स्थायी हो गये होते तो आज उनका नाम भी गर्जना कर रहा होता, परन्तु भारत को रक्षा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाने की महत्वाकांक्षा को उन्होने खुद को हमारे लिये अंत तक अज्ञात ही रखा।
आखिर कब तक हमारे समाज के विभूतियों को राजनैतिक रूप से ओझल रखा जायेगा ? प्रतिभायें प्रोत्साहन की वैसे भी मोहताज नहीं होती वे स्वयं चलकर आ जाती हैं । समय लगता है।
Comments on facebook group: 
Rajesh Kumar Bhatta इस खोजी आलेख को पढकर बहुत हीं आश्चर्य होता है कि ऐसे चरम प्रतिभाशाली व्यक्तित्व भी समाज के लिए आखिर गुमनाम क्यूँ रह जाते हैं ।ऐसे सभी गुमनाम रत्नों को हमसबों से आप रु-ब-रु कराते रहें।
Hemant Bhatt आदरणीय आप को प्रणाम ये सारा वृत्तांत हमें पता चला शायद हम ने सच में कोई पूण्य किया होगा की ।हमारा जन्म ऐसे समाज में हुवा और आप जैसे लोगो का सानिध्य प्राप्त हुवा। आप लोगो की वजह से शायद हमारे समाज के युवाओं को एक नयी दिशा मिले। कोटि कोटि प्रणाम और धन्यवाद ग्यापित करते है । कि आप ने इस अछूते ज्ञान को हमारे बीच लाके हमें हमारे बारे में जानने की चाह को और बढ़ा दिया।
Akhileshwar Kr Sharma “गुर-गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय/बलिहारी गुरुआपने गोविंददियो बताय”
भट्ट विद्वानों की लम्बी फेहरिस्त में एक और नाम उजागर करने के लिए श्री एस. एन.शर्मा जी को कोटि-कोटि साधुवाद। अधिकांश भट्ट विद्वान साहित्य के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त हैं। विज्ञान के क्षेत्र में आधुनिक काल के इस गुमनाम मनीषी को शत-शत नमन।
Tuhin Kumar जामनगर(गुजरात)के डा.नौतम भगवान लाल भट्ट वास्तव में भारत रत्न के हकदार हैं।स्वजाति के बडी-बडी विभूतियों को इस प्रकार नजर अंदाज और उपेक्षित रखना एक गहरी साजिश है।इतने महत्वपूर्ण मिसाइल्स,रडार, टोरपीडो,कंडक्टर,पनडुब्बी, लेसऱ,सोनार,चिप आदि के शोध में सहायक और मार्गदर्शक होने के बावजूद इन्हें मात्र पद्मश्री के लायक समझना अनुचित है।अब आपको भट्ट रत्नों के अन्वेषक कहने में अतिशयोक्ति नहीं।ऐसे ही गुमनाम व अज्ञात किन्तु महान भट्ट रत्नों को आप सामने लाते रहें।समाज हेतु ये भी एक विशेष योगदान है ,आपका।अध्ययन और खोज निरंतर जारी रखें।हमारे समाज के प्रति आरंभ से सरकार का सौतेला एवं दोयम दर्जे काव्यवहार रहा है,जो बिल्कूल गलत एवं खुलेआम भेदभाव पूर्ण है।
पं. दीपक शर्मा समाज के ऐसे महान विभूति के बारे में पढ़ व जान के काफी गौरव की अनुभूति हो रही है । जय हो भट्ट समाज ।
 
Suraj Roy इतनी बेहतरीन, अनुपलब्ध और अद्भुत जानकारी शेयर करने के लिए आभार! वाकई समाज के लिए गर्व का विषय।
 
Balmiki Sharma ऐसी शख्सियत, महान हस्ती के बारे में जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ‌शतशत नमन,। अत्यन्त गौरवकीबातहै
 
Sangita Roy आपने एक बहुमूल्य व्यक्ति के व्यक्तित्व से परिचय करवाया।आपका सादर आभार ।
 
Priyanka Roy वाह, एक से बढ़कर एक महान व्यक्तित्व के विषय में जानना पूरे समाज के लिये कौतूहल है। मामा जी, आप पर हमें हमेशा गर्व है। आपकी इस अद्भुत लेखनी को प्रणाम।
 
Umanand Roy आपका डा0 नौतम भगवान् लाल भट्ट की विद्वता से सम्बन्धित लेख सराहनीय है कि आपने जाति गौरव, एक भूले हुए महान बिभूती की सभी को याद दिलायी, पर देश में रह जाने के कारण इन्हें उचित सम्मान नहीं मिला। दुर्भाग्यपूर्ण, घर की मुर्गी दाल बराबर। सूचना के लिए धन्यवाद।
 
RK Rai आपने बीते हुए कल को आज में परिणीत कर एक ऐसी शख्सियत , महान वैज्ञानिक के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया इसके लिए हम सभी कुलबंश के लोगों के लिए गौरव की बात है शत शत नमन !
Ganpati Maharaj बहुत ही जबरदस्त प्रतिभा से अवगत कराया।
 

Related posts

Leave a Comment