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‘ब्रह्मभट्ट समाज में भी सबकी ज़िन्दगी पर गहरा असर डाला कोरोना ने’ Delhi India 

‘ब्रह्मभट्ट समाज में भी सबकी ज़िन्दगी पर गहरा असर डाला कोरोना ने’

राय तपन भारती/नई दिल्ली

कोरोना कालखंड में सबका अपना-अपना अनुभव है, सबका अपना-अपना दर्द है। Brahmbhattworld ने जब सबका अनुभव पूछा तो किसी ने इस कालखंड को शानदार समय तो बहुतों ने इसे चुनौती भरा बताया। एक स्वजन ने कहा, इस संकट काल में अच्छे से ईश्वर की कृपा से समय व्यतीत हो रहा है तो एक भट्ट नौजवान ने बताया, इस कोरोना ने तो मेरी जॉब ले ली, अब क्या करूँ? एक महिला ने बेबाक जवाब दिया, “हम व्यर्थ के आडंबर वाली आपाधापी में जी रहे थे। अब थोडा़ सुकून है।”।

Abhishek Kumar, नोएडा: कोरोना ने सबकी ज़िन्दगी पर गहरा असर डाला है। बड़े से बड़े व्यवसाय और व्यवसाइयों को हिला कर रख दिया है। ऐसे में नौकरीपेशा लोगों का संतुलन बिगड़ना आम सी बात है।बुखार का शिकार होने पर हमें डर हुआ कि शायद मैं भी कोरोना की चपेट में आ गया, लेकिन वो केवल वायरल था।2 महीने घर में बैठने के बाद अब ऑफिस जाना शुरू हो चुका है लेकिन दिल्ली के हालात पहले से बहुत बदतर होते जा रहे है। ऐसे में केवल एक ही पंक्ति सही लगती है, “सावधानी हटी दुर्घटना घटी”।

Anita Sharma: जिदंगी में जरुरतें ज्यादा नहीं है। हम व्यर्थ के आडंबर वाली आपाधापी में जी रहे थे। अब थोडा़ सुकून है।

Ashok Sharma, दुबई: Good time for self. Corona and lock down taught the lesson that life is most important of all things. Learnt to live at home and as a minimalist – no luxury, no movement, no events or outside entertainment. Life is great with simplicity. Nurturing Body & Mind and internal purification through daily meditation. Also got time to learn new things and got time to enjoy hobbies of music , reading & writing.

Ashok Sharma, रांची: इस कोरोना ने तो मेरी सब कुछ उल्टा पुल्टा कर दिया। जॉब भी चली गई।और आगे क्या क्या होगा इस कोरोना जैसे महामारी में ये भी पता नहीं।

Dhananjay Maharaj, पटना: BBW में सबको नमस्कार, मैं पटना में रहता हूँ और होली के बाद से अब तक घर से बाहर नहीं निकला हूँ। जहां तक अपने पेशे और काम की बात है तो वह मोबाइल से भी जारी रहा। मेरी नजर में अभी निवेश का सुनहरा मौका है। और समझदार लोग रियल एस्टेट में निवेश कर भी रहे हैं। रिटर्न का सबसे अच्छा मौका पटना में है।

Gaurav Bhatt, Gopalganj: इस कोरोना महामारी ने हम सभी के जीवन में भूचाल ला करके रख दिया है। ऐसा कोई नहीं होगा जो इस महामारी से ग्रसित नहीं हुआ होगा, ग्रसित का मतलब आर्थिक रूप से कमजोर, चाहे वह छोटा सा व्यवसाई हो यह बड़े उधमी हो हर किसी को कोरोना महामारी के कारण आर्थिक रूप से समस्या झेलनी पड़ी है और शायद झेल भी रहे हैं। ठीक मेरे साथ भी वैसा ही हो रहा था परंतु इस महामारी के दौर में ही मुझे एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी हाथ लग गई और उसको मैंने स्वीकार किया और उसके नक्शे कदम पर चलने का फैसला लिया। करो ना महामारी के कारण जगमगाते हुए कदम को मैं रोक लिया उम्मीद है शीघ्र ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।

Geeta Bhatt, इलाहाबाद: कोरोना काल में सब घर में साथ-साथ रहे इसका आनंद तो बहुत आया है। परंतु व्यवसाय में फर्क बहुत पड़ा। नौकरी में भी व्यवधान रहा। जमा किया धन कब तक इंसान खर्च करता रहेगा इन सभी मुद्दों का समाधान कैसे होगा कुछ पता नहीं।कोरोना अभी ज्यादा समय तक रहने वाला है। अभी जाने वाला नहीं।

Harendra Sharma (Dr), रांची: मैं झारखंड के सरकारी अस्पताल में 4 महीनों से कोरोना की ड्यूटी निभाने के कारण बहुत व्य्यस्त रह रहा हूँ। ट्रेन, बस बंद होने के कारण मैं परिवार और माता-पिता से काफी दिनों से दूर हूँ। फिर भी मुझे खुशी है कि कोरोना संकट में पलायन न कर रोगियों के प्रति अपना फर्ज निभा रहा हूँ। इससे काफी शकुन मिलता है और दिल से खुश हूँ।

Lp Rai, पटना: कारोना ने आत्म निर्भर आत्म संयम और जिन्दगी की असलियत की जानकारी दिया।

Neha Kumar, Noida: कोरोना काल निःसंदेह बहुत ही कठिन समय वाला है। सबकी जिंदगी बदल सी गई है। ज़्यादातर लोगों के काम जा चुके हैं, ऐसे में मैं भी अभी घर पर ही अपने बच्चों के साथ हूँ।इस विषम परिस्थिति की एक खास बात ये लगी कि, अपनों के बीच ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने का वक़्त मिला। अपनों को जानने का वक़्त मिला। बहुत से लोगों में एक दूसरे का हाल चाल पूछने से भी नज़दीकियां बढ़ीं।और ऐसे में ब्रह्मभट्टवर्ल्ड ने भी समाज के सभी सदस्यों का साथ खूब निभाया।”ज़िन्दगी सुख दुख का संगम हैये आता जाता मौसम है”ये कठिन वक़्त भी जल्दी गुज़र जाएगा

Nirmala Sharma, दिल्ली/नोएडा: कोरोना के समय मै तो घर मे ही रही 82 वर्ष की आयू मे पहली बार विश्व व्यापी महामारी ने आरम्भ मे तो भयभीत किया लेकिन धीरे धीरे समय के साथ सुगम दिन चर्या होगयी कोई घर आता नही हम कही जाते नही खाने पहने के खर्च कम होगये जो हाथ लगा पहन लिया और खाना भी घर का सादा खाया सुवह कुछ समय प्रभु के साथ फिर टीवी मोवाइल मे लिखते पढ़तै कैसे दिन निकल जाता है पता ही नही चलता।

Nirupma Sharma, नोएडा: कोरोना का यह लगभग चार महीने की अवधि बहुत ही चौंकना होकर हम लोगों ने ब्यतित किया है अभी तक तो सब लोग घर पर ही साथ में रह रहे थे पर अब मेरे पुत्र दिल्ली अपने काम पर जाने लगे हैं।लग भग आस पास के सभी सुसाइटीयों कोरोन केस निकला ही है । हम सब नियमित योगाभ्यास प्राणायाम और खान पान का ध्यान रख रहें हैं ।दूध रासन कुछ फल ओनलाइन आता है सप्ताह में एक बार सब्जी लाकर साफ करके फ्रिज में रख दिया जाता है। जान-पहचान में या सफाई वाले , काम वाली जो लोग भी आर्थिक परेशानी में घिरे नजर आए यथा सम्भव ईश्वर की कृपा से परिवार के सदस्यों ने उनकी ममद की विशेष रूप से मेरी बेटी ने। परमात्मा ने जैसे अबतक रक्षा किया है वैसे ही आगे भी करेगें ऐसा विश्वास है। समय समय पर BBW की जानकारियों से भी हमें लाभ मिलता रहा है धन्यवाद। निरूपमा शर्मा नोएडा।

Parmanand Choudhary, मुंगेर: बुजुर्गों को घर बैठने का सलाह मिला है।बच्चों के सहारे खर्च पूरा हो रहा है। आगे ईश्वर जानें।

Preeti Sushil Sharma, यूपी: कोराना ने भौतिकता और वास्तविकता से परिचय करवाया, सबसे बड़ी बात हमने सोचा ही नहीं था जीवन इतना सरल भी होता है और इतना कठिन भी, हर सुख को पैसे से पाने की इच्छा ख़तम हो गई, अब परिवार और अपनों के लिए नैतिकता और व्यवहार सृजन हुआ है।लेकिन मैंने तो पहली बार अपने बच्चो और सास ससुर को अपने से दूर गांव में सुरक्षित रहने के लिए भेजा। उनके बिना जीना कितना कष्टदाई होगा अब समझ आया। पर खुशी है कि वो वहा सुरक्षित और स्वस्थ हैं।

Panna Shrimali, पटना: कोरोना काल में लोक डाउन बिजनेस पूरी तरह से ठप पड़ गया। अभी दो दिन से थोड़ा काम स्टार्ट हुआ वो भी अभी 30% है sale। मार्केट में ऑर्डर की बहुत बड़ी दिक्कत है । जब मैंने सर्वे किया तो पाया कि राशन कि सामग्री को छोड़ सभी का हाल बूरा है। ये अभी तक का सबसे खराब दौर है बिजनेस का। दूसरे बिजनेस के विकल्प पे सर्वे कर रहा हूं मार्केट खुलने के बावजूद भी स्थिति बहुत खराब है।

Purushottam Rai, लखनऊ: खर्च तो सारे शौक पर है साधारण जीवन जीने के लिए बहुत धन की आवश्यक्ता नही,व्यवसाय तो 2 माह बन्द रहा,बचत ही काम आया,लेकिन परिवार के साथ इतना समय एक नया अनुभव दे गया,बहुत आनंद आया बच्चो के साथ।

Roy Tapan Bharati, दिल्ली एनसीआर: कोरोना संकट से मेरा परिवार जबरदस्त प्रभावित हुआ। मेरी पत्नी कोरोना की चपेट में आईं। पर जान बची लाखों पाये, ईश्वर की कृपा रही और परिवार के साथ रहने का सुनहरा मौका मिला। यथासंभव बहुतों को फोन से बात कर उनकी निराशा दूर की। परिवार में दो बिजनेस, दोनों ठप्प। केवल किरायों और अच्छे समय में की गई बचत काम आया।दुश्वारियाँ बहुत रहीं पर कोरोना और संकट से परेशान लोगों को सहयोग अभियान भी जारी रखा। कोरोना के भय से लोगों को मुक्त करने की मुहिम इस BBW में भी जारी रखी।

Shashi Roy, नई दिल्ली: कोरोना काल ने सच कहूँ तो जिंदगी ही उलट कर रख दी। शायद कुछ नजदीक अभिभावकों को इसका संज्ञान भी भली भाँति है प्रारंभ से। बिगत 5 महीनों से मिली हुई रोजगार भी कोरोना के संग छीन गयी। बहुत कुछ है साझा करने को परंतु ये समय उपयुक्त नहीं, बस इतना अवश्य कहूंगा की इस संकट काल ने बहुत कुछ सिखा भी रहा है और दिखा भी रहा है। माँ और भाई के साथ ने दिल्ली जैसे मेट्रो शहर में अबतक टिका कर रखा है और सामाजिक परिभाषाओं को अलग मोड़ के साथ परिभाषित भी किया है। आंशिक तौर पे कहूँ तो ” कोई सच में साथ है तो आत्मबल और धेर्य की सीमा ” वरन साथ किसी का मिला हो ना हो समाज में पर हर एक पल इस कालखंड का सेवा रूपी जीवन जीने का अवसर अवश्य दिया है। कहने में कोई संकोच नहीं की हर कोई सौभाग्यशाली नहीं होता सामाजिक कवच में जुड़ कर। गिनती भी है और सलाह भी बहुत अपनों के दिये हुए पर वक़्त ने सबकुछ सिखा दिया की महज शब्दों की दुनिया है, हकीकत में कुछ और ही दृश्य है। आशा है की सभी सकुशल होंगे और माता जी बिल्कुल स्वस्थ होंगी।

Sunil Kumar Sharma, जमशेदपुर: कोई फर्क नहीं पड़ा। हां, यह जरूर पता चला कि सामान्य तौर पर हम फिजूल के काम मैं ज्यादा व्यस्त रहते हैं जिनके बिना भी जीवन सामान्य चलता है और आराम के लिए पूरा समय मिल जाता है। कार्यक्षमता और उत्पादकता बढी।

Uphar Sharma: इस संकट की घड़ी में कैसे साधारण जीवन जिया जा सकता है यह सीख ली..

Sanjeev Ray, पटना: सबसे बड़ी बात है, की इस कोरोना काल मे निजी कर्मचारियों या यूं कहें कि जिनका अपना काम भी है उनको भी इसमें मुश्किलों से सामना करना पड़ा है।सरकारी मुलाजिम होने के नाते हमारी तो ठीक है परन्तु कुछ लोगों के हालात देखने के बात मायूस हो जाता हूँ। मैं जरूरी सेवाओं में से एक मे हूँ जिसे हर समय रात-दिन तत्तपर रहना पड़ता है। लेकिन भाग्यवश ये कोरोना काल कितने आराम से निकल गया, पता ही न चला।इस्वर के कृपा से अभी तक सपरिवार स्वस्थ हूँ, ये भी बड़ी खुशी की बात है।

Virendra Kumar Rai Bhatt, इलाहाबाद: इस संकट काल में अच्छे से ईश्वर की कृपा से समय व्यतीत हो गया। एक बात और देखने को मिली कि समाज के लोग पहले भी एक दूसरे से दूरी बनाकर रहना चाहते थे अब और अधिक एक दूसरे से दूरी बनाकर रहने लगे। ऐसा हमने पाया कि लोग कांटेक्ट में तो हैं लेकिन उनके बीच कनेक्शन नहीं है।

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