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मेहनतकश स्वजनों से गुलजार है बिहार का यह मकेर गांव Bihar India 

मेहनतकश स्वजनों से गुलजार है बिहार का यह मकेर गांव

अरविंद कुमार/एक्जक्यूटिव इंजीनियर, UPCCL,  लखनऊ “यूं तो हमने लाख, हँसी देखे हैं, तुम सा नहीं देखा।।” लेखक: अरविंद शर्मा, एक्जक्यूटिव इंजीनियर at UPCL/लखनऊ बात जब गांवों की होती है, वो भी आपकी जन्मभूमि की तो आपका अति उत्साहित होना स्वाभाविक है। आपकी अनगिनत यादें जो जुड़ीं होती हैं। उस पर यदि आप मुख्यालय से सम्बद्ध होते हैं तो लिखने-पढ़ने का...
कम्हरिया गांव: लगभग हर घर सुखी संपन्न Bihar India 

कम्हरिया गांव: लगभग हर घर सुखी संपन्न

Dharmendra Ray/कम्हरिया, बक्सर जिला, बिहार आज मैं अपने गांव कम्हरिया का परिचय अपने ब्रह्मभट्ट समाज में कराने जा रहा हूं।  मेरा गांव बक्सर जिले के सदर अनुमंडल मैं पड़ता है बक्सर शहर और रेलवे स्टेशन से बक्सर बनारस मुख्य मार्ग पर बक्सर शहर से 7 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है मेरा गांव कम्हरिया।  उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर अवस्थित है।  गांव...
दहेज नहीं, बहू चहिए Engr ABHINAV के लिए Bihar India 

दहेज नहीं, बहू चहिए Engr ABHINAV के लिए

इंजीनियर अभिनव के लिए बहू की खोज में सहयोग करें आपमें से बहुत सारे स्वजन पटना में बसे पुरैनी (मधेपुरा) के निर्मल कुमार रायजी को जानते होंगे। वे आरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट पद से रिटायर हैं और समाजसेवा को सदैवा समर्पित रहते हैं। वे पटना मंथन में भी शरीक हुए थे। उन्होंने की दहेज विरोधी मुहिम का समर्थन करते हुए...
सुनो,अगर हाथ थामा है ,तो कभी छोड़ना मत Bihar India 

सुनो,अगर हाथ थामा है ,तो कभी छोड़ना मत

written by भारती रंजन कुमारी, दरभंगा, बिहार सुनो,अगर हाथ थामा है ,तो कभी छोड़ना मत। छोड़कर जाना होअगर,तो हाथ थामना मत।   तुम जैसे क्या समझेंगे बेवफाई का दर्द , तुम जैसे क्या समझेंगे रिश्तों का फर्ज, सुनो–दूर जाना है अगर,तो जरूर जाओ , मगर दुबारा वापस लौटकर ,कभीआना मत। मेरे तन मन को जिंदा लाश बनाना मत। छोड़कर जाना...
आखिर यह दहेज इतना डरावना क्यों है? Bihar India 

आखिर यह दहेज इतना डरावना क्यों है?

उस वक्त बेटों को वारिस एवं बेटियों को “पराया धन” समझा जाता था। इसलिए पिता अपनी बेटियों को उनका हक समझ कर अपनी चल संपत्ति में से उनके विवाह के अवसर पर उपहार देता था। संगीता राय/पूर्णिया, बिहार दहेज प्रथा हमारे समाज की एक पुरातन प्रथा है। हमारी पुरातन सामाजिक व्यवस्था ऐसी थी जहाँ एक पिता अपरोक्ष रूप से बेटी...
छपरा के भादपा गांव में हर तरह की बुनियादी सुविधाएं Bihar India 

छपरा के भादपा गांव में हर तरह की बुनियादी सुविधाएं

भादपा गांव से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध गोदना सिमरिया है जहां महर्षि गौतम ऋषि का आश्रम है। इसी आश्रम में भगवान श्रीराम ने माता अहिल्या को अपने चरणों से उद्धार किया था। आज भी श्रीराम भगवान का चरण स्थल इस मंदिर में हैं। Vivek Kumar Mishra/Greater Noida मैं एक बार पुनः आप सबको ब्रह्मभट्टवर्ल्ड के माध्यम से...
गनगनिया की मनस्वी दिल्ली से जर्मनी पहुंची Bihar India 

गनगनिया की मनस्वी दिल्ली से जर्मनी पहुंची

Weekly Brahmbhattworld News on Every Monday: गनगनिया की मनस्वी एक्सचेंज एजुकेशन प्रोग्राम के तहत दिल्ली से जर्मनी पहुंची 1. गनगनिया के मूल निवासी औक इंदिरापुरम में बसे रवि शंकर सिंह, जो एक नामी कंपनी में सीनियर मैनेजर हैं और दिल्ली नगर निगम की चिकित्सक डा रश्मि रेखा की इकौलौती बेटी मनस्वी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पिछले सप्ताह जर्मनी के म्यूनिख...
इंग्लिशपुर का Aamazon-Flipkart Bazar Bihar India 

इंग्लिशपुर का Aamazon-Flipkart Bazar

ये TVS की मोपेड, महिलाओं का एक पूरा बाज़ार है इसकी तुलना AMAZON या FLIPKART से कर सकते। लेखक: धर्मेंद्र कुमार, डायरेक्टर at DHARMENDRA’S SOCIOLOGY, New Delhi उत्तर भारतीय पितृसत्तात्मक समाजों की तरह इंग्लिशपुर में भी महिलाएं दो प्रकार की होती हैं। बेटियां और बहुएं। बेटियों को थोड़ी आज़ादी होती है पर बहुएं (खास कर यंग) घरों में ही रहती हैं,।पर...
संजीव राय को बेहतरीन काम के लिए एसपी से प्रशस्ति-पत्र Bihar India 

संजीव राय को बेहतरीन काम के लिए एसपी से प्रशस्ति-पत्र

संजीव को हाल ही पूर्वी पटना के एसपी विशाल शर्मा की ओर से बेहतरीन कार्य के लिए संजीव को प्रशस्ति पत्र मिला। सरकारी विभाग में ऐसे पत्र को बिरले को ही मिलते हैं। संजीव को पहले भी ऐसे ही प्रशस्ति पत्र मिले। राय तपन भारती क्या आप बोकनारी के होनहार नौजवान संजीव राय को जानते हैं? मैं और अनेक स्वजन...
राजकुमार शुक्ल भी जातिवाद के शिकार हो गये थे… Bihar India 

राजकुमार शुक्ल भी जातिवाद के शिकार हो गये थे…

राजकुमार शुक्ल की याद में रांची के कांग्रेस नेता अजय राय ने 7 साल पहले भी यादगार कार्यक्रम किया था Written by Roy Tapan Bharati/New delhi -25-30 साल पहले आपमें से 99 फीसदी राजकुमार शुक्ल को नहीं जानते थे और न ही बडे स्तर पर कोई कार्यक्रम कर भारत की आजादी में उनके योगदान को याद करता था। पाठ्य पुस्तकों...
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